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सऊदी अरब (Saudi Arabia) और अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देशों ने 2 अप्रैल को इस साल के अंत तक हर दिन 1.15 मिलियन बैरल तक तेल की कुल कटौती की घोषणा की है. तेल उत्पादक देशों के इस ऐलान के बाद से दुनिया भर में तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं.
इस एक्सप्लेनर में हम इन सवालों का जवाब देंगे
कौन-कौन सा देश कितनी कटौती कर रहा है?
तेल में कटौती क्यों की गयी है?
OPEC के ऐलान से अमेरिका पर क्या पड़ेगा असर?
इस ऐलान से रूस को होगा फायदा?
भारत पर क्या असर?
इराक ने कहा कि वह प्रति दिन 211,000 बैरल, संयुक्त अरब अमीरात 144,000, कुवैत 128,000, कजाकिस्तान 78,000, अल्जीरिया 48,000 और ओमान 40,000 तक उत्पादन कम करेगा.
AP के अनुसार, सऊदी अरब ने ओपेक (OPEC) सदस्यों के बीच प्रति दिन 5 लाख बैरल पर सबसे बड़ी कटौती की घोषणा की. कटौती पिछले अक्टूबर में घोषित हुई एक कटौती के अतिरिक्त है, जिसने बाइडेन प्रशासन को प्रभावित किया था. सऊदी ऊर्जा मंत्रालय ने इस कदम को तेल बाजार को स्थिर करने के उद्देश्य से 'एहतियाती उपाय' बताया है.
कटौती 2022 में सऊदी अरब के औसत उत्पादन 11.5 मिलियन बैरल प्रति दिन के 5% से कम है. ऊर्जा मंत्री ने रविवार को कहा कि यह कटौती कुछ ओपेक और गैर-ओपेक सदस्यों से समन्वय कर की जाएगी.
क्लियरव्यू एनर्जी पार्टनर्स एलएलसी के प्रबंध निदेशक केविन बुक ने कहा कि कटौती से अमेरिकी गैसोलीन की कीमतों में करीब 26 सेंट प्रति गैलन की वृद्धि हो सकती है. OPEC के इस ऐलान से अमेरिका के साथ संबंधों में और तनाव आने की संभावना है, जिसने सऊदी अरब और अन्य देशों को उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा था.
इससे पहले UAE और अन्य ओपेक सदस्यों ने पिछले साल अक्टूबर में तेल उत्पादन में कमी कर अमेरिका को नाराज कर दिया था. उस वक्त करीब 2 मिलियन बैरल तेल की कटौती एक दिन में की गयी थी. ये कटौती ऐसे समय में की गई थी, जिस वक्त अमेरिका में मध्यावधि चुनाव होने वाले थे और महंगाई प्रमुख मुद्दा था.
हालांकि, अमेरिका और सऊदी अरब दोनों ने विवाद में किसी भी राजनीतिक मंशा से इनकार किया था.
दरअसल, यूक्रेन-रूस के युद्ध के चलते पूरी दुनिया महंगाई का सामना कर रही है. ऐसे सऊदी के ऐलान के बाद से तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी होगी, जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा. उच्च तेल की कीमतें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खजाने को भरने में मदद करेंगी.
'तास' के अनुसार, रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा, "मास्को साल के अंत तक 5 लाख की स्वैच्छिक कटौती का विस्तार करेगा. रूस ने फरवरी में पश्चिमी देशों द्वारा कीमतों पर रोक लगाने के बाद एकतरफा कटौती की घोषणा की थी. हालांकि, इस पर ओपेक की ओर से कोई तत्काल बयान नहीं आया है.
दरअसल, दुनिया भर में बढ़ती महंगाई के बीच, ये तेल आयात करने वाले देशों को अधिक दाम देने के लिए मजबूर करेगा. भारत की बात करें तो यहां पहले से ही महंगाई आरबीआई (RBI) के तय स्तर से नीचे नहीं आ रही है. हालांकि, भारत सरकार ने घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इनके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है.
अधिसूचना में तेल रिफाइनरी कंपनियों से कहा गया है कि वे अपने पेट्रोल निर्यात का 50 प्रतिशत (सालाना) और डीजल निर्यात का 30 प्रतिशत (सालाना) घरेलू बाजार में उपलब्ध कराएंगी. इसका असर उन गैर सरकारी कंपनियों पर पड़ सकता है, जो रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उन्हें रिफाइन कर महंगा पेट्रोल-डीजल दूसरे देशों को बेच रही है.
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