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सऊदी अरब में तख्तापलट की कोशिश, हिरासत में लिए गए दो राजकुमार

क्राउन प्रिंस ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने का संकेत दिया

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क्राउन प्रिंस ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने का संकेत दिया
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क्राउन प्रिंस ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने का संकेत दिया
(फोटो: AP)

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सऊदी अरब में राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है. खबर है कि शाही परिवार के दो राजकुमार समेत तीन सदस्यों को सऊदी अरब के अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक इन लोगों पर तख्तापलट का आरोप लगाया गया है. इसके साथ ही देश के शक्तिशाली राजकुमार क्राउन प्रिंस ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने का संकेत दिया है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल के सूत्रों के मुताबिक, शाही गार्ड ने शाह सलमान के भाई राजकुमार अहमद बिन अब्दुलअजीज अल-सउद और भतीजे राजकुमार मोहम्मद बिन नयेफ को 6 मार्च को उनके घर से हिरासत में ले लिया. उन पर राजद्रोह का आरोप है. हालांकि सऊदी अरब के अधिकारियों ने तत्काल इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

इससे पहले क्राउन प्रिंस मोहम्मन बिन सलमान ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए प्रतिष्ठित मौलवियों और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ राजकुमारों और कारोबारियों को जेल में डाला था.

क्राउन प्रिंस मोहम्मद ने 2017 में सत्ता पर जमाया था कब्जा

जून 2017 में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पूर्व क्राउन प्रिंस नयेफ को दरकिनार करते हुए अरब देश की सत्ता पर कब्जा जमाया था. उस समय खाड़ी देश के टेलीविजन चैनलों ने प्रिंस मोहम्मद को पूर्व प्रिंस का हाथ चूमते हुए और उनके सम्मान में घुटनों के बल बैठते हुए दिखाया था.

बाद में पश्चिमी मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि अपदस्थ प्रिंस को घर में नजरबंद कर दिया गया है. हालांकि सऊदी अरब के अधिकारियों ने इस दावे का खंडन किया था.

सत्ता पर पकड़ मजबूत कर रहे हैं प्रिंस

अमेरिका स्थित आरएएनडी कोरपोरेशन में नीति विश्लेषक बेका वासेर ने कहा, ‘‘यह सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की ओर एक कदम है और साथ ही शाही परिवार के सदस्यों समेत किसी के लिए भी संदेश है कि उनको हटाने की कोशिश न करें.’’हिरासत में लेने की यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब सऊदी अरब ने कोरोना वायरस के डर से मुस्लिम जायरीनों को इस्लाम के पवित्र स्थल की यात्रा करने से रोक दिया है.

बता दें कि, शाह के बेटे प्रिंस मोहम्मद ने इस्तांबुल दूतावास में अक्टूबर 2018 में आलोचक जमाल खशोगी की हत्या को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचना का भी सामना किया था.

सऊदी अरब ने मक्का और मदीना में इस बीमारी के फैलने के डर से ‘उमरा’ स्थगित कर दिया है जिससे आगामी हज यात्रा पर भी अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. तेल संपन्न सऊदी अरब कच्चे तेल की गिरती कीमतों से भी जूझ रहा है जो उसके राजस्व का मुख्य स्रोत है.

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