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सऊदी अरब पाकिस्तान को खुश रखने के लिए इस्लामिक को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (OIC) देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने को राजी हो गया है. बैठक कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के लिए होगी. सऊदी के इस कदम को भारत के लिए झटका माना जा रहा है क्योंकि अरब वर्ल्ड में वह इसका मजबूत सहयोगी है.
सऊदी ने मलयेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद की ओर से इस्लामिक मुद्दों पर बुलाई बैठक में शामिल होने से पाकिस्तान को रोक दिया था. इसकी भरपाई के लिए ही उसने पाकिस्तान को कश्मीर पर विशेष बैठक आयोजित करने का भरोसा दिया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पिछले सप्ताह सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल-सऊद पाकिस्तान आए थे. बताया जाता कि इस दौरान उन्होंने कश्मीर पर OIC के विदेश मंत्रियों की खास बैठक बुलाने का आश्वासन दिया. दरअसल सऊदी अरब ने मलयेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद की ओर से इस्लामिक मुद्दों पर बुलाई गई बैठक में शामिल न होने का दबाव डाला था. इस दबाव में इमरान ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया था. समझा जाता है कि इसकी भरपाई के लिए ही सऊदी अरब ने पाकिस्तान को कश्मीर पर विशेष बैठक आयोजित करने का भरोसा दिया है.
बैठक में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भी हिस्सा लिया था. सऊदी अरब इसे लेकर खासा खफा है. अगर सऊदी कश्मीर पर बैठक बुलाता है तो यह भारत के लिए बड़ा राजनियक झटका होगा. सऊदी अरब ने अपने प्रभाव वाले देशों में कश्मीर पर भारत के रुख पर समर्थन जुटाने में मदद की है.
दरअसल सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इस्लामी देशों में भारत की नई विदेशी नीति के प्रमुख स्तंभ हैं. इन देशों की बदौलत ही पाकिस्तान कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने के भारत के फैसले के खिलाफ समर्थन नहीं जुटा सका था.
दअसल, इस्लामी देशों के नेतृत्व को लेकर राजनयिक रस्साकशी चल रही है. एक तरफ सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और उनके प्रभाव वाले देश हैं. दूसरी ओर, तुर्की और मलेशिया हैं. ईरान का तुर्की और मलयेशिया की बुलाई बैठक में हिस्सा लेना सऊदी अरब को रास नहीं आया था. सऊदी के किंग सलमान ने भी मलेशिया को इस बैठक में हिस्सा न लेने के लिए मनाया था. अलबत्ता इंडोनेशिया ने बैठक से दूरी बना ली थी.
पाकिस्तान ने इस बैठक से आखिरी वक्त में दूरी बना ली थी. तुर्की ने इसे मुद्दा बना लिया है. उसका कहना है कि सऊदी पाकिस्तान को धमकी दे रहा है. तुर्की के मुताबिक सऊदी ने पाकिस्तानी को धमकी दी है कि वह अपने यहां काम कर रहे 40 लाख पाकिस्तानियों को वापस भेज देगा और इसके बजाय बांग्लादेशियों को काम देगा. साथ ही उसने कहा है कि वह पाकिस्तान स्टेट बैंक में जमा अपना पैसा भी निकाल लेगा. इससे आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की मुश्किल और बढ़ सकती है.
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