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SCO के विदेश मंत्रियों की मेजबानी के लिए भारत तैयार: एजेंडा में क्या-क्या है?

SCO foreign Ministers Meet: गोवा में 4 और 5 मई को को SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक होगी

प्रणय दत्ता रॉय
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>SCO Foreign Ministers Meet in Goa</p></div>
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SCO Foreign Ministers Meet in Goa

(Photo: Altered by The Quint)

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SCO foreign Ministers Meet: गोवा में 4 और 5 मई को शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए मंच तैयार है. यहां ये शीर्ष राजनयिक आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा सहित भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

चीनी विदेश मंत्री किन गैंग, रूस के सर्गेई लावरोव और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी इस बैठक में शामिल होंगे. बैठक की अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे.

यह बैठक श्रृंखला की तीसरी बैठक है. जबकि आखिरी बैठक नई दिल्ली में 4-5 जुलाई को तय एससीओ शिखर सम्मेलन है. इससे पहले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक 29 मार्च को हुई थी, उसके बाद रक्षा मंत्रियों की बैठक 27 और 28 अप्रैल को हुई थी.

SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने वालों की पूरी सूची यहां दी गई है:

  • डॉ एस जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

  • मुख्तार टाइलुबेर्दी, कजाकिस्तान के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री

  • किन गैंग, चीन के विदेश मंत्री

  • कुलुबाएव मोल्दोकनोविच झीनबेक, किर्गिस्तान के विदेश मंत्री

  • बिलावल भुट्टो जरदारी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री

  • सर्गेई विक्टरोविच लावरोव, रूस के विदेश मंत्री

  • सिरोजिद्दीन मुह्रिद्दीन, ताजिकिस्तान के विदेश मामलों के मंत्री

  • व्लादिमीर इमामोविच नोरोव, उज्बेकिस्तान के विदेश मामलों के मंत्री

क्या द्विपक्षीय वार्ता होगी? हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?

चीनी विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि किन गैंग इस साल के एससीओ शिखर सम्मेलन की पूरी तैयारी करने के लिए अन्य विषयों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्थिति और विभिन्न क्षेत्रों में एससीओ सहयोग पर अन्य सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए गोवा की यात्रा करेंगे."

विशेष रूप से, पाकिस्तान ने घोषणा की कि बिलावल भुट्टो गोवा जाने वाले देश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. यह 2014 में पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के बाद से किसी भी पाकिस्तानी नेता की पहली भारत यात्रा होगी.

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहराह बलोच ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, "बैठक में हमारी भागीदारी एससीओ चार्टर और प्रक्रियाओं के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता और पाकिस्तान द्वारा अपनी विदेश नीति की प्राथमिकताओं में क्षेत्र को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाती है."

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इससे पहले, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर एके महापात्र ने द क्विंट को बताया कि मेजबान देश के रूप में भारत ने पाकिस्तान को निमंत्रण दिया था क्योंकि पाकिस्तान एससीओ का सदस्य है और नई दिल्ली पाकिस्तान को न्योता न देकर नेगिटिव लाइट में नहीं दिखाना चाहेगी. साथ ही, जब तक एससीओ के इतर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं होती, तब तक संबंधों में किसी प्रगति की उम्मीद नहीं की जा सकती है.

"मैं संबंधों में प्रगति को लेकर बहुत आशावादी नहीं हूं. लेकिन हो सकता है कि वार्ता आगे की चर्चा और बातचीत के लिए कुछ सकारात्मक स्थिति पैदा करे.. इन वार्ताओं से अधिकतम उम्मीद यह की जा सकती है कि यह भविष्य में भारत और पाकिस्तान के संबंधित प्रधानमंत्रियों के बीच बातचीत की गुंजाइश बना तैयार करे."
एके महापात्र

इस बीच, एक रूसी अधिकारी ने पहले कहा, "रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में हिस्सा लेंगे."

अधिकारी ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंडे के सामयिक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान होगा."

कई रिपोर्टों में कहा गया है कि जयशंकर अपने चीनी और रूसी समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, जबकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के साथ संभावित द्विपक्षीय वार्ता पर अभी भी कोई पुष्टि नहीं हुई है.

इसके अलावा, जयशंकर और किन गैंग के बीच द्विपक्षीय बैठक के फोकस क्षेत्रों पर कोई डिटेल जारी नहीं किया गया है. पिछले साल, पूर्व चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत का दौरा किया था, उसके बाद इस साल G20 विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए गैंग ने दौरा किया था.

दोनों पक्षों के विदेश मंत्रियों के बीच भारत-रूस द्विपक्षीय के लिए व्यापार और भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर ध्यान केंद्रित रहता है. इसके अलावा, रूसी विदेश मंत्री की बैठक पिछले तीन हफ्तों में रूस से तीसरी उच्च स्तरीय यात्रा है. इससे पहले रूसी उप प्रधान मंत्री और रूसी रक्षा मंत्री ने भारत का दौरा किया था.

एससीओ आखिर में क्या है?

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान और चार आब्जर्वर देशों (अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया) के साथ-साथ छह डॉयलॉग पार्टनर्स - अर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की से मिलकर बना एक क्षेत्रीय ब्लॉक है.

भारत 2017 में इसका सदस्य बना था और इसके बाद से पहली बार भारत ने समूह की अध्यक्षता संभाली है.

एससीओ का उद्देश्य अपने सदस्यों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना है और इसकी स्थापना लगभग दो दशक पहले हुई थी. एससीओ देश दुनिया के लगभग 42 प्रतिशत आबादी और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं.

पीएम मोदी उज्बेकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल हुए. किर्गिस्तान के बिश्केक में जून 2019 में एससीओ नेताओं की बैठक के बाद सितंबर 2022 में एससीओ के राज्य प्रमुखों की परिषद की 22वीं बैठक पहली व्यक्तिगत शिखर बैठक थी.

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