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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) पूरी दुनिया को दहलाने वाला मैसेज देते हुए परमाणु अलर्ट (Russian nuclear alert) जारी कर चुके हैं. वह इस समय पश्चिमी देशों पर खास तौर पर कुपित हैं. अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका और उसके सहयोगी ब्रिटेन उसके राडार पर हैं. खासतौर पर ब्रिटेन को रूस से सतर्क रहने की बहुत जरूरत है, क्योंकि वह रूस से कोई बहुत ज्यादा दूर नहीं है.
हम आपको क्विंट हिंदू की परमाणु सीरीज में रूस की परमाणु स्ट्रेटजी और उसके खुफिया प्लान की स्टोरीज पहले पढ़वा चुके हैं, यहां बात चूंकि ब्रिटेन पर मंडराते परमाणु खतरे की हो रही है तो इस स्थिति में जानना जरूरी है कि यदि रूस ने ब्रिटेन पर अचानक परमाणु हमला कर दिया और पूरा ब्रिटेन तबाह हो गया तो क्या कोई रूस से इसका बदला लेने वाला हेागा.
आज हम आपको रूस जैसे दुश्मन से बदला लेने के ब्रिटेन के उसी बेहद गोपनीय ब्रिटिश न्यूक्लियर अटैक (Secret British nuclear plan) प्लान के बारे में बताने जा रहे हैं. दुश्मन देश के परमाणु हमले के जबाव देने के इस बेहद सीक्रेट प्लान की शुरुआत ब्रिटेन में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले शख्स से होती है. वह पहले उस स्थिति की कल्पना करते हैं जब किसी दुश्मन मुल्क ने पूरे ब्रिटेन को राख का ढेर बना दिया हो... इसके बाद ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर अपने हाथों से एक विशेष खत लिखते हैं, जिसे लिफाफे में बंद करके समुद्र में छिपे इस देश के खुफिया लड़ाको को सौंपने के लिए भेज दिया जाता है.
ये खुफिया लड़ाके असल में इस देश की चार विशेष पनडुब्बियां हैं, जो गहरे समुद्र में कहीं छुपी हुई होती हैं, और उन पर परमाणु मिसाइलें भी तैनात रहती हैं. इनके बारे में कोई नहीं जानता कि वे कहां हैं, पर इतना तय है कि ये खतरे वाले देशों के आसपास हर समय कहीं ना कहीं मौजूद रहती हैं. यह चिट्ठी इन्हीं पनडुब्बियों के कमांडर को सौंपी जाती है.
इन पनडुब्बियों पर एक खुफिया तिजोरी रहती है, जिसमें ब्रिटिश प्रधानमंत्री के हाथ से लिखी गई न्यूक्लियर बम विस्फोट वाली चिट्ठी को संभालकर रखा जाता है. इस चिट्ठी को 'लेटर ऑफ लास्ट रिजॉर्ट' नाम दिया गया है. इस चिट्ठी को किसी को भी खोलकर पढ़ने का अधिकार नहीं है. इसके लिए ब्रिटेन में एक विशेष प्रोटोकॉल बनाया गया है, जिसके अनुसार जब दुनिया का कोई और देश ब्रिटेन पर परमाणु हमला करके उसे राख का ढेर बना देगा तब ब्रिटेन के आखिरी प्रतिनिधि के तौर पर अकेली बचीं इन पनडुब्बियों के कमांडर इस तिजोरी को खोलेंगे. उसमें जो संदेश प्रधानमंत्री ने मरने से पहले उनके लिए छोड़ा होगा, उस पर उन्हें अमल करना होगा. इस चिट्ठी में क्या लिखा जाता है, अभी तक इसका राज सामने नहीं आया है, लेकिन अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री पूरे देश को तबाह होने की स्थिति में दुश्मन से बदला लेने का मैसेज इसमें लिखते होंगे.
यह 'लेटर ऑफ लास्ट रिजॉर्ट' दुनिया के उन चंद राजों में से एक है, जिनके बारे में अभी तक आम लोगों को जानकारी नहीं है. जब भी ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद पर किसी नए नेता को मौका मिलता है तो पिछले वाले नेता के हाथ से लिखे गए 'लेटर ऑफ लास्ट रिजॉर्ट' को बिना पढ़े, बिना देखे नष्ट करना होता है. इसकी जगह पर आया नया प्रधानमंत्री परमाणु पनडुब्बियों के कमांडरों को नया आदेश देने वाला 'लेटर ऑफ लास्ट रिजॉर्ट' जारी करता है. अपने जीते जी अपने देश के तबाह होने के बाद का आदेश देने का यह सिलसिला ब्रिटेन के प्रधानमंत्री द्वारा पिछले कई सालों से लगातार चल रहा है.
ब्रिटेन के इस खुफिया राज की जानकारी प्रोफेसर पीटर हेनेसी नाम के लेखक ने अपनी किताब 'द साइलेंट डीप' में उजागर की है. वह एक ऐसे शख्स रहे हैं जिन्होंने अपनी आंखों से ब्रिटेन की इन छिपी हुई पनडुब्बियों से परमाणु मिसाइल फायर टेस्ट को देखा है. वह ब्रिटेन के परमाणु कार्यक्रम से भी जुड़े रहे हैं. तभी उनके पास इस प्लान की जानकारी रही है.
प्रोफेसर पीटर ने अपनी किताब में इन पनडुब्बियों की जानकारी भी दी है. इन पर ब्रिटेन ने इमरजेंसी स्थिति से निपटने के लिए परमाणु बम से लैस मिसाइलें तैनात कर रखी हैं. बकौल प्रोफेसर पीटर ब्रिटिश आर्मी के पास परमाणु बम का हमला करने वाली ऐसी चार सबमरीन हैंं, जिनके नाम वैनगार्ड हैं और इन पर जो मिसाइलें तैनात हैं वे ब्रिटिश आर्मी की ट्राइडेंट एटम मिसाइल्स हैं. इनमें से एक प्रमुख पनडुब्बी हमेशा नॉर्थ अटलांटिक सी में मौजूद रहती है और केवल ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर के एक निर्देश वाले कोड के जारी करते ही यह सेकंड्स के अंदर दुश्मन देश का समूल नाश कर सकती है.
अपनी किताब के एक हिस्से में प्रोफेसर पीटर हेनेसी ने बताया है कि यदि ब्रिटेन पर ऐसी नौबत नहीं भी आती कि उसे यह लैटर खोलना पड़े और उससे पहले ही किसी दुश्मन देश का उस पर हमला हो जाए तो ऐसी स्थिति में परमाणु हमले के आदेश का यहां क्या सिस्टम है. उनके अनुसार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रॉयल नेवी की वैनगार्ड पनडुब्बियों को हमले के आदेश के लिए अपने पास मौजूद एक विशेष लॉन्च कोड भेज सकते हैं. इसी तरह का विशेष कोड रॉयल नेवी की पनडुब्बियों पर तैनात दो वरिष्ठ अधिकारियों के पास भी होता है. हमले से पहले उन्हें भी अपने कोड का प्रधानमंत्री के कोड से मिलान करना होता है.
ब्रिटेन के परमाणु बम को छोड़े जाने की यह पूरी प्रक्रिया सुनने पढ़ने में तो रोचक लग सकती है, पर हमें दुआ करना चाहिए कि दुनिया पर कभी भी ऐसी स्थिति ना आए जब किसी एक देश को दूसरे देश पर न्यूक्लियर बम का उपयोग करना पड़े. अगली बार क्विंट हिंदी की परमाणु सीरीज में हम एक और रोचक स्टोरी आपके लिए लेकर आएंगे.
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