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Sri Lanka:आर्थिक आपातकाल से राष्ट्रपति के 'भागने' तक- श्रीलंका में कब क्या हुआ?

Sri Lanka crisis Timeline: राष्ट्रपति Gotabaya Rajapaksa और PM रानिल विक्रमसिंघे, दोनों ही इस्तीफा देने जा रहे हैं

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<div class="paragraphs"><p>Sri Lanka crisis timeline</p></div>
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Sri Lanka crisis timeline

(फोटो- Altered By Quint)

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भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका गहरे राजनीतिक और आर्थिक संकट (Sri Lanka crisis timeline) से गुजर रहा है. प्रदर्शनकारियों ने जहां राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया वहीं प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) के कोलंबो में स्थित निजी आवास में आग लगा दी. उग्र प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa)और PM रानिल विक्रमसिंघे, दोनों ही इस्तीफा देने जा रहे हैं.

श्रीलंका अपने आजाद इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है. 2.2 करोड़ लोगों की आबादी वाले इस द्वीपीय देश में प्रदर्शनकारियों ने महीनों के लंबे ब्लैकआउट, भोजन और फ्यूल की भारी कमी और बेतहाशा बढ़ती महंगाई को झेलने के बाद इनके इस्तीफे की मांग कर रही थी.

राजपक्षे सरकार आर्थिक संकट को दूर तो नहीं कर पाई, उल्टे पूरे देश को राजनीतिक संकट में भी झोंक दिया. आइए नजर डालते हैं श्रीलंका संकट की टाइमलाइन पर जहां हम आपको बता रहें कि यहां-कब क्या हुआ.

1 अप्रैल 2022: महीने के आर्थिक संकट को झेलकर तंग आ चुकी जनता जब सड़क पर उतरने लगी और सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन करने लगी तब 1 अप्रैल को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने एक अस्थायी आपातकाल की घोषणा की, जिससे सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने का व्यापक अधिकार मिल गया.

3 अप्रैल 2022: इस दिन श्रीलंका के लगभग सभी मंत्रिमंडल ने देर रात बैठक में इस्तीफा दे दिया. इसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके भाई प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गए. श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने भी एक दिन बाद अपने इस्तीफे की घोषणा की.

5 अप्रैल 2022: इस दिन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब वित्त मंत्री अली साबरी ने अपनी नियुक्ति के सिर्फ एक दिन बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया. गोटबाया से उनके पूर्व सहयोगी दलों ने पद छोड़ने का आग्रह किया, वे अपना संसदीय बहुमत खो चुके थे. ऐसी स्थिति में उन्होंने आपातकाल को हटा दिया.

12 अप्रैल 2022: सरकार की हालत यह थी कि उसने आर्थिक संकट पर हाथ खड़े कर दिए थे. सरकार ने घोषणा की कि वह "अंतिम उपाय" के रूप में अपने 51 बिलियन डॉलर के विदेशी लोन पर ब्याज देने से चूकेगी (डिफॉल्ट), क्योंकि उसके पास बेहद जरूरत के सामान के आयात के लिए भी विदेशी मुद्रा की किल्लत थी.

19 अप्रैल 2022: इस दिन कई हफ्तों के सरकार विरोधी प्रदर्शनों में पहली हिंसा देखने तो तब मिली जब पुलिस ने एक प्रदर्शनकारी को मार डाला. इसने आग में घी डालने का काम किया.

अगले दिन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने जानकारी दी कि उसने श्रीलंका से कहा है कि वह बचाव (रेस्क्यू) पैकेज पर सहमत होने से पहले अपने विशाल विदेशी लोन का पुनर्गठन (रिस्ट्रक्चर) करे.

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9 मई 2022: श्रीलंका के प्रदर्शन का यह सबसे हिंसक दिन रहा और राजनीतिक रूप से अहम भी. सबसे पहले इस दिन कोलंबो में राष्ट्रपति ऑफिस के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर सरकारी वफादारों ने हमला किया. इसके बाद प्रदर्शनकारियों के बदले के हमलों में नौ लोग मारे गए और सैकड़ों अन्य घायल हो गए, भीड़ ने कई सत्ताधारी नेताओं के घरों में आग लगा दी.

हजारों प्रदर्शनकारियों ने महिंदा राजपक्षे के कोलंबो स्थित आवास पर धावा बोला जिसके बाद महिंदा राजपक्षे ने प्रधान मंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया. इसके बाद प्रधानमंत्री पद पर रानिल विक्रमसिंघे बैठे, जो एक राजनीतिक दिग्गज हैं, जो पहले से ही कई कार्यकालों की सेवा दे चुके थे.

10 मई 2022: अगले दिन 10 मई को रक्षा मंत्रालय ने सैनिकों को लूटपाट या "जीवन को नुकसान पहुंचाने" में शामिल किसी भी व्यक्ति को देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया. लेकिन प्रदर्शनकरियों ने सरकारी कर्फ्यू को नहीं माना. कोलंबो में शीर्ष पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट की गई और उनके वाहन में आग लगा दी गई.

10 जून 2022: इस दिन UN ने चेतावनी दी कि श्रीलंका एक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है, जिसमें लाखों लोगों को सहायता की आवश्यकता है. UN ने बताया कि श्रीलंका में गंभीर भोजन की कमी के कारण तीन-चौथाई से अधिक आबादी ने अपने भोजन का सेवन कम कर दिया है.

27 जून 2022: सरकार ने बताया कि श्रीलंका में लगभग पूरा फ्यूल खत्म हो गया है और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर दूसरे सभी कारणों के लिए पेट्रोल की बिक्री पर रोक लगा दिया गया. इस कारण से स्कूल तक बंद हो गए.

9 जुलाई 2022: राष्ट्रपति राजपक्षे सैनिकों की सहायता से कोलंबो में अपने आधिकारिक आवास से भाग गए. इससे बाद प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया. प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सरकार की निरंतरता और सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की, उधर उनके घर में आग लगा दी गई.

देर रात संसद के स्पीकर महिंदा अभयवर्धना ने टेलीविजन पर आकर जानकारी दी कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बुधवार, 13 जुलाई को पद छोड़ने की पेशकश की है.

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