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Sri Lanka लौटे पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे,भारी विरोध के बीच छोड़ा था देश

जुलाई में राजपक्षे आर्थिक संकट की वजह से लोगों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए देश छोड़कर भाग गए थे.

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Sri Lanka लौटे पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे,भारी विरोध के बीच छोड़ा था देश

(फोटो- आईएएनएस)

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श्रीलंका (Sri Lanka) के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) शुक्रवार को अपने देश वापस लौट आए हैं. जुलाई में आर्थिक संकट की वजह से लोगों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए देश छोड़कर भाग गए थे, जिसके बाद अब करीब 7 हफ्ते बाद वह स्वदेश लौटे हैं. जानकारी के मुताबिक राजपक्षे शुक्रवार आधी रात को बैंकॉक से सिंगापुर होते हुए कोलंबो के भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे. जहां मंत्रियों और राजनेताओं ने उनका स्वागत किया. भारी सुरक्षा के बीच उन्हें एयरपोर्ट से बाहर निकाला गया.

13 जुलाई को देश छोड़कर भाग गए थे राजपक्षे

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में महीनों से गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा था. आंदोलनकारी राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. इस बीच 9 जुलाई को विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया. आंदोलनकारियों ने राष्ट्रपति भवन सहित कई अन्य सरकारी इमारतों पर धावा बोल दिया. जिसके बाद 13 जुलाई को राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए.

गोटबाया राजपक्षे पहले श्रीलंका वायुसेना के विमान के जरिये कोलंबो से मालदीव गए. इसके बाद मालदीव से वह सिंगापुर रवाना हुए थे, जहां से उन्होंने 14 जुलाई को अपना इस्तीफा भेजा था. बाद में राजपक्षे ने अस्थायी आश्रय की तलाश में थाईलैंड के लिए उड़ान भरी थी.

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कराई राजपक्षे की वापसी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने राजपक्षे की स्वदेश वापसी के इंतजाम किए हैं. कहा जा रहा है कि श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (SLPP) पार्टी के अनुरोध पर राजपक्षे के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं. बता दें कि राजपक्षे के अपदस्थ होने के बाद श्रीलंका की संसद ने तत्कालीन कार्यवाहक राष्ट्रपति और 6 बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना था. विक्रमसिंघे को 225 सदस्यीय संसद में सबसे बड़े दल श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) का समर्थन हासिल था.

वहीं 19 अगस्त को SLPP के महासचिव सागर करियावासम ने इस संबंध में विक्रमसिंघे के साथ बैठक की थी. करियावासम के अनुरोध पर ही श्रीलंका सरकार ने राजपक्षे की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए हैं.

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