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श्रीलंका इस समय अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) के बीच दंगों-और हिंसा से जूझ रहा है. ऐसे में मीडिया रिपोर्टों के अनुसार श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) और उनके परिवार ने एक नौसैनिक अड्डे पर शरण ली है. इस खबर के सामने आने के बाद श्रीलंका के उत्तर-पूर्व में स्थित इस त्रिंकोमाली नौसैनिक अड्डे के बाहर सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों का विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया.
श्रीलंका में सोमवार, 9 मई को तत्कालीन प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा शांतिपूर्ण सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद हिंसा भड़क उठी. इस हिंसा में एक संसद सहित कम-से-कम 5 लोगों की मौत हुई जबकि सैंकड़ों घायल हो गए. हिंसा के बाद श्रीलंका में सोमवार, 9 मई को देशव्यापी कर्फ्यू लागू कर दिया गया और हजारों सैनिकों, पुलिस को तैनात किया गया है. दूसरी तरफ महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हजारों सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में पीएम के आधिकारिक आवास में सोमवार की देर रात घुसने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और भीड़ को तीतर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ी. न्यूज एजेंसी एएफपी ने एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट किया कि पीएम आवास परिसर में कम से कम 10 पेट्रोल बम फेंके गए.
ऐसी स्थिति में सेना ने मंगलवार, 10 मई की तड़के सुबह महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार को बचाने के लिए हेलीकॉप्टर में नौसैनिक अड्डा पहुंचाया.
सामने आये वीडियो फुटेज में दिखाया गया कि हंबनटोटा शहर के मेदामुलाना में महिंदा राजपक्षे और उनके छोटे भाई और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का पूरा घर जल रहा था.
सत्ता पर राजपक्षे परिवार की पकड़ श्रीलंका में महीनों के आर्थिक संकट के बीच कमजोर पड़ गयी है. श्रीलंका 1948 में स्वतंत्र होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. जहां प्रधानमंत्री भाई महिंदा राजपक्षे ने अपना इस्तीफा दे दिया है वहीं राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे व्यापक शक्तियों और सुरक्षा बलों पर कमान के साथ पद पर बने हुए हैं.
वर्ष 1948 के वित्तीय संकट के बाद श्रीलंका पहली बार इस पैमाने के आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. यहां तक कि चावल, दूध, तेल जैसी आवश्यक जरूरतों की कीमतें चरम पर हैं. यही कारण है कि बड़े पैमाने पर देशव्यापी विरोध और राजनीतिक अस्थिरता पैदा हुई है.
श्रीलंका के पास अभी प्रयोग करने योग्य विदेशी भंडार (foreign reserves) केवल 50 मिलियन डॉलर का है. यह बात खुद श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने पिछले सप्ताह कही थी और इसके पीछे कोरोना महामारी, तेल की बढ़ती कीमतों और टैक्स में कटौती को कारण बताया था.
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