श्रीलंका (Sri Lanka) के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (PM Mahinda Rajapaksa resign) ने आखिरकार बढ़ते दबाव के बीच अपने पद से ऐसे समय में इस्तीफा दे दिया है जब देश अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार पीएम राजपक्षे के अलावा कम से कम दो कैबिनेट मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया है. माना जा रहा है कि पूरी महिंदा राजपक्षे कैबिनेट ही एक-एक कर अपना इस्तीफा देने जा रही है.
महिंदा राजपक्षे का फैसला उनके समर्थकों द्वारा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय के बाहर सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के कुछ घंटों बाद आया. इस हिंसा में सैंकड़ों लोग घायल हो गए और सत्ताधारी पार्टी के सांसद समेत 5 की मौत हो गयी है. इसके बाद सरकार को देशव्यापी कर्फ्यू लगाने के लिए बाध्य होना पड़ा. यहां तक कि प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे परिवार और कई मंत्रियों के घरों को आग के हवाले कर दिया है.
ऐसे में सवाल है कि श्रीलंका का राजनीतिक भविष्य अब किस करवट बैठेगा. जब देश न सिर्फ भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा हो बल्कि साथ ही बड़े पैमाने पर दंगे हो रहे हों- राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सामने नई सरकार को लेकर क्या विकल्प मौजूद हैं?
बनेगी मिली-जुली सरकार?
अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार महिंदा राजपक्षे के प्रवक्ता रोहन वेलिविता ने कहा है कि 1948 में ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद से देश के सबसे खराब आर्थिक संकट से लड़ने के लिए राष्ट्रपति द्वारा सुझाई गई "नई मिली-जुली सरकार" का रास्ता साफ करने के लिए पीएम ने अपना इस्तीफा भेजा है.
मालूम हो कि अप्रैल के आखिर में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को हल करने के लिए प्रस्तावित अंतरिम सरकार में अपने बड़े भाई को प्रधानमंत्री के रूप में रिप्लेस करने पर सहमति व्यक्त की थी.
सांसद मैत्रीपाला सिरिसेना ने राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद मीडिया को जानकारी दी थी कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने कहा है कि एक नए प्रधानमंत्री के नाम के लिए एक राष्ट्रीय परिषद नियुक्त की जाएगी और कैबिनेट में सभी पार्टी के सांसद शामिल होंगे.
ऐसे में माना यही जा रहा है कि महिंदा राजपक्षे और उनकी कैबिनेट में इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अंतरिम सरकार चलाएंगे और नए पीएम चुनने के लिए राष्ट्रीय परिषद को नियुक्त करेंगे. हालांकि अंतरिम सरकार से नई सरकार के हाथों में सत्ता का हस्तांतरण कितने समय में होगा, इसपर संदेह बरकरार है.
श्रीलंका में 225 सदस्यीयों वाली संसद है और यहां बहुमत का आंकड़ा 113 का है.
मालूम हो कि राजपक्षे परिवार पिछले 20 वर्षों में श्रीलंका में जीवन के लगभग हर पहलू पर हावी रहे हैं. खुद महिंदा राजपक्षे श्रीलंका के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के रूप में दो-दो कार्यकाल काम कर चुके हैं. वह 2019 से देश के पीएम हैं और इससे पहले 2005 से 2015 तक भी पीएम के रूप में कार्य किया था.
मुश्किल आर्थिक हालात, हिंसा-दंगों से और बिगड़ी बात
1948 के वित्तीय संकट के बाद पहली बार श्रीलंका एक अप्रत्याशित पैमाने के आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. चावल, दूध और तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर देशव्यापी विरोध और राजनीतिक अस्थिरता पैदा हुई है.
वित्त मंत्री अली साबरी ने पिछले सप्ताह कहा था कि कोरोना महामारी, तेल की बढ़ती कीमतों और टैक्स में कटौती के कारण श्रीलंका के पास प्रयोग करने योग्य विदेशी भंडार (foreign reserves) केवल 50 मिलियन डॉलर का है.
श्रीलंका ने मदद (बेलआउट) के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का दरवाजा खटखटाया है और आपातकालीन सहायता के लिए अधिकारियों के साथ सोमवार को ही एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन शुरू होना है.
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