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दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामलों का आंकड़ा 55 लाख से ज्यादा हो गया है. संक्रमण से मरने वालों की संख्या साढ़े 3 लाख के करीब पहुंच चुकी है. रोजाना किसी रिसर्च या स्टडी में कोरोना वायरस की वजह से शरीर में होने वाली दिक्कतों का पता चल रहा है. अमेरिका में हुई ऐसी ही एक स्टडी गर्भवती महिलाओं के लिए चिंता का विषय बन सकती है.
रिसर्चर्स को कोरोना वायरस संक्रमित गर्भवती महिलाओं के प्लेसेंटा में घाव के सबूत मिले हैं. प्लेसेंटा गर्भवती महिलाओं के गर्भाशय में बनने वाला एक अंग होता है. इसी के जरिए जरूरी पोषण मां से बच्चे तक जाता है.
अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने 16 महिलाओं के प्लेसेंटा में घाव देखे हैं. ये महिलाएं प्रेगनेंसी के समय कोरोना वायरस पॉजिटिव पाई गई थीं. प्लेसेंटा में घाव की वजह से मां और बच्चे के बीच खून के असामान्य बहाव देखने को मिला. इस स्टडी के नतीजे अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल पैथोलॉजी में पब्लिश हुए हैं.
रिसर्चर्स का कहना है, "इस स्टडी से ये तय करने में मदद मिलेगी कि महामारी के समय में गर्भवती महिलाओं की क्लीनिकल मॉनिटरिंग किस तरह की जानी चाहिए."
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में पैथोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर जेफ्री गोल्डस्टीन का कहना है, "ज्यादातर बच्चे प्रेगनेंसी के पूरे टर्म के बाद ही पैदा हुए. तो उम्मीद नहीं होती कि प्लेसेंटा में कुछ दिक्कत होगी लेकिन ये वायरस प्लेसेंटा में किसी तरह का घाव कर रहा है."
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और स्टडी की को-ऑथर एमिली मिलर ने कहा, "मॉनिटरिंग नॉन-स्ट्रेस टेस्ट के तौर पर हो सकती है. इसमें देखा जाएगा कि प्लेसेंटा कितनी अच्छी तरह ऑक्सीजन डिलीवर कर रहा है या फिर ग्रोथ अल्ट्रासॉउन्ड कर सकते हैं. इसमें देख सकेंगे कि बच्चा एक स्वस्थ दर से बढ़ रहा है या नहीं."
जेफ्री गोल्डस्टीन ने कहा, "फ्लू प्लेसेंटा को क्रॉस नहीं कर सकता, इसलिए जो भी ये दिक्कतें कर रहा था, वो या तो इम्यून सिस्टम से संबंधित है या फिर प्लेसेंटा में घाव के कारण है."
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