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स्वीडिश आनुवंशिक विज्ञानी स्वंते पाबो (Swedish geneticist Svante Paabo) को 03 अक्टूबर को मेडिसिन या फिजियोलॉजी के लिए नोबेल पुरस्कार 2022 (Nobel Prize 2022) से सम्मानित किया गया. नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि स्वंते पाबो को "विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनोम से संबंधित उनकी खोजों के लिए" यह पुरस्कार दिया गया है.
नोबेल समिति के सचिव थॉमस पर्लमैन ने सोमवार को स्वीडन के स्टॉकहोम में करोलिंस्का संस्थान में विजेता की घोषणा की. अपनी इस खोज के लिए नोबेल प्राइज पाने वाले स्वंते पाबो कौन है आइए आपको बताते हैं.
स्वंते पाबो का जन्म 20 अप्रैल 1955 को हुआ. पाबो का जन्म स्टॉकहोम में हुआ था और वह अपनी मां, एस्टोनियाई रसायनज्ञ कैरिन पाबो के साथ पले बड़े. वह एक स्वीडिश आनुवंशिक विज्ञानी (Geneticist specialist) हैं जो विकासवादी आनुवंशिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं. पेलियोजेनेटिक्स के संस्थापकों में से एक के रूप में, उन्होंने निएंडरथल जीनोम पर बड़े पैमाने पर काम किया है.
उन्हें 1997 में जर्मनी के लीपज़िग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी में जेनेटिक्स विभाग का निदेशक नियुक्त किया गया था. वह ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, जापान में भी प्रोफेसर हैं.
उन्होंने 1986 में उप्साला विश्वविद्यालय से रिसर्च के लिए पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, जिसमें यह जांच की गई कि एडेनोवायरस का E19 प्रोटीन प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे नियंत्रित करता है.
स्वंते पाबो को पैलियोजेनेटिक्स के संस्थापकों में से एक के रूप में जाना जाता है, एक प्रैक्टिस जिसमें प्रारंभिक मनुष्यों और अन्य प्राचीन आबादी की स्टडी करने के लिए जेनेटिक्स के तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है.
1992 में, उन्हें ड्यूश फ़ोर्सचुंग्सगेमिन्सचाफ्ट का गॉटफ्रेड विल्हेम लाइबनिज पुरस्कार मिला, जो जर्मन रिसर्च में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है. पाबो को 2000 में रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज का सदस्य चुना गया था. 2005 में, उन्हें मेडिसिन के लिए प्रतिष्ठित लुइस-जीनटेट पुरस्कार मिला. 2008 में पाबो को ऑर्डर पोर ले मेरिट फॉर साइंसेज एंड आर्ट्स के सदस्यों में जोड़ा गया था.
(इनपुट्स- विकिपीडिया)
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