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तालिबान का क्रूर चेहरा सामने आने लगा, वादा भूल महिलाओं पर लगाईं कई पाबंदियां

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि तालिबान ने मीडिया पर हमले तेज कर दिए हैं.

मोहम्मद साकिब मज़ीद
दुनिया
Updated:
<div class="paragraphs"><p>तालिबान सरकार के टूटते वादे: अफगानी महिलाओं और पत्रकारों पर लग रहीं पाबंदियां</p></div>
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तालिबान सरकार के टूटते वादे: अफगानी महिलाओं और पत्रकारों पर लग रहीं पाबंदियां

(फोटो- अल्टर्ड बाय क्विंट)

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अफगानिस्तान (Afghanistan) की तालिबान (Taliban) सरकार ने पिछले दिनों लड़कियों के एजुकेशन से संबंधित किए गए अपने वादे को तोड़ दिया. सरकार का कहना है कि क्लास 6 के ऊपर की लड़कियों के स्कूल अभी नहीं खोले जाएंगे. पिछले दिनों स्कूलों को खोला गया और कुछ ही घंटों बाद बंद कर दिया गया. Bakhtar न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार, 23 मार्च को शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस्लामिक कानून और अफगानी रवायत के मुताबिक एक प्लान जब तक नहीं तैयार हो जाता है, लड़कियों के लिए स्कूल बंद रहेंगे. इसके अलावा देश में पत्रकारों की गिरफ्तारी के भी कई मामले सामने आए हैं.

इस तरह की घटनाओं के बाद तालिबान के वो वादे टूटते हुए दिख रहे हैं, जो उनके रहनुमाओं द्वारा किए गए थे. पिछले साल अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने कहा था कि वह अब बदल चुका है, इस दौरान तालिबान ने महिलाओं की शिक्षा का भी वादा किया था.

अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक जारी की गई नोटिस में कहा गया है कि सभी गर्ल्स हाई स्कूलों और जिन स्कूलों में क्लास 6 से ऊपर की छात्राएं हैं, उनको सूचित किया जाता है कि वो अगले आदेश तक बंद रहेंगे.

दुनिया के कई देशों ने तालिबान नेताओं से स्कूलों को फिर से खोलने और महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर उनका अधिकार देने का आग्रह किया है.

हालांकि अफगानिस्तान के शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि अधिकारियों को शिक्षकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार के गिरने और तालिबान के सत्ता में आने के बाद देश छोड़कर भाग गए हजारों लोगों में कई टीचर्स भी चले गए.

अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने ट्वीट कर इस फैसले पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए इसे अफगान लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति सार्वजनिक प्रतिबद्धताओं के साथ विश्वासघात बताया है.

मौजूदा वक्त में अफगानिस्तान में टेलीविजन को छूट दी गई है, महिलाओं को बुर्का पहनना जरूरी नहीं है लेकिन हिजाब पहनना अनिवार्य किया गया है. पासपोर्ट कंट्रोल एंड कस्टम्स, स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालयों और काबुल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर भी महिलाएं काम पर लौट आई हैं.

मीडिया पर अटैक और पत्रकारों की गिरफ्तारी

ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने बुधवार, 30 मार्च को कहा कि तालिबान ने मीडिया पर हमले तेज कर दिए हैं. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी प्रांत नंगरहार के एक जर्नलिस्ट ने कहा कि अफगानिस्तान से रिपोर्ट करना अब बहुत मुश्किल है.

ह्यूमन राइट्स वॉच के अफगानिस्तान के शोधकर्ता फरेशता अब्बासी ने कहा कि कुछ भी हो सकता है, आपको केवल एक रिपोर्ट के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है, पीटा जा सकता है, प्रताड़ित किया जा सकता है या मारा भी जा सकता है.

अब्बासी ने एक रिपोर्ट में कहा कि 28 मार्च को तालिबान के खुफिया महानिदेशालय के सुरक्षा अधिकारियों ने गाने (Songs) पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर दक्षिणी शहर कंधार में चार रेडियो स्टेशनों के कार्यालयों पर छापा मारा और छह पत्रकारों को हिरासत में लिया.

जब पत्रकारों ने वादा किया कि अब वो कभी गानों का प्रसारण नहीं करेंगे, जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. गिरफ्तारी के बाद रिहा किए गए एक पत्रकार ने कहा कि मैं यह नौकरी छोड़ना चाहता हूं. एक दूसरे जर्नलिस्ट ने कहा कि एक पत्रकार बनना हमेशा से मेरा ड्रीम जॉब रहा है, लेकिन अब ऐसा नहीं है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान में दारी, पश्तो और उज्बेक भाषाओं में Voice Of America और BBC सहित इंटरनेशनल न्यूज प्रोग्राम्स के प्रसारण पर बैन लगा दिया है.
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HRW ने कहा कि यह नया प्रतिबंध स्वतंत्र सूचना तक पहुंच को सीमित करने के लिए तालिबान का नया तरीका है. 17 मार्च को तालिबान ने न्यूज प्रजेंटर Bahram Aman सहित Tolo News के तीन स्टाफ मेंबर्स को हिरासत में लिया. इसके बाद सभी को बिना किसी स्पष्टीकरण के 21 घंटे बाद रिहा कर दिया गया.

कंधार के एक पत्रकार ने कहा...

तालिबान यह नहीं बताता कि एक पत्रकार को क्यों हिरासत में लिया गया है.

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक महीने में, अफगानिस्तान में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा के कम से कम 22 मामले दर्ज किए गए हैं.

टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान ने कहा कि हाल ही में कुछ अफगान पत्रकारों को गलतफहमी के कारण हिरासत में लिया गया था.

महिलाओं को अकेले सफर करने पर पाबंदी

ARAB NEWS की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान ने अफगानिस्तान की एयरलाइंस में महिलाओं को अकेले सफर करने पर रोक लगा दी है. जब तक महिला के साथ एक पुरुष रिश्तेदार नहीं होगा, फ्लाइट में सफर की इजाजत नहीं होगी.

एरियाना अफगान एयरलाइंस के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा अपने कर्मचारियों को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि किसी भी महिला को पुरुष रिश्तेदार के बिना किसी भी घरेलू या अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में उड़ान भरने की इजाजत नहीं है.

फ्लाइट में मौजूद एक यात्री ने कहा कि कुछ महिलाएं जो बिना किसी पुरुष रिश्तेदार के सफर कर रही थीं, उन्हें यात्रा करने से मना कर दिया गया.

पार्कों में साथ नहीं जा सकेंगे महिला और पुरुष

तालिबान सरकार ने अपने नए नियमों में यह भी कहा है कि पुरुष और महिलाएं काबुल के पार्कों में एक ही दिन नहीं जा सकेंगे.

मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना में कहा गया है कि महिलाओं को अब केवल रविवार, सोमवार और मंगलवार को पार्क में जाने की अनुमति होगी. इसके अलावा बचे हुए दिन पुरुषों के लिए रिजर्व होंगे.

मंत्रालय के एक अधिकारी मोहम्मद याह्या आरफ ने कहा कि यह इस्लामिक अमीरात का आदेश नहीं है बल्कि यह अल्लाह का फरमान है कि जो मर्द या औरत एक-दूसरे के लिए गैर हैं, वो एक जगह इकट्ठा नही होंगे.

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Published: 01 Apr 2022,06:27 PM IST

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