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भारतीय बाजार में चीनी सामानों का दबदबा है. हर तरह के चाइनीज सामान यहां आसानी से मिल जाते हैं. लेकिन इसके ठीक उलट चीनी बाजार में भारतीय सामानों को लेकर अलग रवैया है. चीन भारत से कई सामानों की खरीदारी करता है. लेकिन जिन भारतीय सामानों का दुनियाभर में दबदबा है, उनमें से कई सामानों के आयात पर चीन ने रोक लगा रखी है.
पिछले हफ्ते भारतीय प्रधानमंत्री चीन के दौरे पर गए थे. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई. लेकिन इन सामानों पर से रोक हटाने संबंधी बातों पर कोई सहमति नहीं बन पाई.
भारत दुनिया के कई देशों को चावल एक्सपोर्ट करता है, जो करीब 5.3 अरब डॉलर का बिजनेस है. वहीं चीन सालाना 1.5 अरब डॉलर का चावल विदेशों से आयात करता है. लेकिन भारत के चावल को नहीं खरीदता.
भारत दुनिया के प्रमुख मांस निर्यातक देशों में से एक है. देश से हर साल करीब 3.68 अरब डॉलर कीमत के भैंसों का मांस निर्यात होता है. लेकिन चीन में भारत से भैंसों के मांस के आयात पर पूरी तरह रोक है. हालांकि चीन दुनिया के अन्य देशों से सालाना 2.45 अरब डॉलर का मांस खरीदता है.
भारत में बनीं दवाइयां दुनियाभर में बेची जाती है. लेकिन इन दवाइयों को खरीदने में चीन की कोई रुचि नहीं है. भारत से सालाना 10 करोड़ 95 लाख डॉलर कीमत की दवाइयों का निर्यात होता है. इतना ही नहीं चीन भी हर साल 62 करोड़ 50 लाख डॉलर की मेडिसिन दुनिया के बाकी देशों से खरीदारी करता है. लेकिन भारत और चीन के बीच मेडिसिन को लेकर किसी तरह का व्यापार नहीं हो रहा.
देश में चाइनीज सामानों के दबदबे की वजह से पिछले साल भारत में चीन से 61.28 डॉलर कीमत का सामान आयात हुआ. लेकिन बदले में भारत से महज 10.17 अरब डॉलर का सामान ही चीन में निर्यात हो सका.
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