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Turkey Elections Explained: पिछले दिनों तुर्की (Turkey) में आए जोरदार भूकंप से पूरे देश में तबाही मचने के बाद अब देश में चुनावी माहौल है. देश की जनता अगले पांच साल के कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति और संसद के 600 सदस्यों को चुन रही है. वोटों की गिनती जारी है और मौजूदा राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान ने पहले दौर में चार अंकों की बढ़त बना ली है. लेकिन पूरी तरह से नतीजे आने के बाद ही तस्वीर साफ होगी कि तुर्की की सत्ता किसके हाथ में जाने वाली है.
तुर्की के लगभग 600 मिलियन वोटर्स अपने राष्ट्रपति और संसद का चुनाव कर रहे हैं.
पहले दौर में राष्ट्रपति की कुर्सी जीतने के लिए, एक उम्मीदवार को डाले गए मतपत्रों के 50 प्रतिशत से ज्यादा हासिल करना होता है. अगर कोई उम्मीदवार इसे हासिल नहीं कर पाता है, तो 28 मई को दो प्रमुख उम्मीदवारों के बीच एक रनऑफ होगा, जो तय्यब एर्दोगान और विपक्ष के नेता केमल किलिकडारोग्लू होंगे. इसमें जो फतह हासिल करेगा, उसी के हाथ में देश के सत्ता की चाबी होगी.
संसद में एंट्री करने के लिए, एक पार्टी को 7% वोट जीतने की जरूरत है.
इस चुनावों को एर्दोगान के शासन के दो महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर रखते हुए देखा जा रहा है. उनका देश की अर्थव्यवस्था को संभालना और आधुनिक तुर्की को उसकी धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक नींव से दूर करना.
मौजूदा वक्त में तुर्की की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है. मंहगाई लगभग 50% है, जो 2022 में 85 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई थी. करेंसी लीरा पर भी पिछले पांच सालों में बुरा असर पड़ा है.
इसके अलावा पिछले दिनों खतरनाक भूकंप ने हालात और खराब कर दिए हैं. मुद्रास्फीति की परेशानी का एक हिस्सा एर्दोगन द्वारा ऋण पर ब्याज दरों को बढ़ाने से इनकार करने और देश के केंद्रीय बैंक द्वारा उनके साथ खड़े नहीं होने के कारण है.
एर्दोगन का कहना है कि जो लोग कहते हैं कि देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है, वो एक कुलीन अल्पसंख्यक हैं, जो पश्चिम की ओर झुके हैं. जबकि वह तुर्की और देशभक्त नागरिकों को अधिक ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं. हालांकि उनकी बयानबाजी के खिलाफ असंतोष बढ़ता नजर आ रहा है.
रजब तय्यब एर्दोगान और उनकी जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी चुनाव को लेकर बहुत उत्साहित हैं. 20 साल के शासन में, एर्दोगान ने केमल अतातुर्क द्वारा स्थापित कट्टर धर्मनिरपेक्ष गणराज्य का इस्लामीकरण कर दिया है.
अतातुर्क, एक प्रसिद्ध सैन्य कमांडर और राजनेता थे, जो अपने व्यक्तित्व और लोकप्रियता के बल पर प्रमुख रूप से आधुनिक तुर्की को आकार दिया था. धर्म के खुले प्रदर्शन पर रोक लगाई, महिलाओं को समान नागरिक और राजनीतिक अधिकार दिए और तुर्क सल्तनत को एक लोकतंत्र में बदल दिया. हालांकि 1938 में उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन अतातुर्क तुर्की के अब तक के सबसे बड़े नेता रूप में याद किया जाता है. कई लोगों का मानना है कि करिश्माई और लोकप्रिय एर्दोगान उनकी जगह लेने की कोशिश कर रहे हैं.
आधुनिक तुर्की के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले शासक के रूप में एर्दोगान अपने कार्यकाल का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने 2018 में पहले राउंड में 52.6 फीसदी वोट के साथ जीत हासिल की थी.
किलिकडारोग्लू 6 दलों के मुख्य विपक्षी गठबंधन के संयुक्त राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं. वह रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (CHP) के अध्यक्ष हैं, जिसकी स्थापना आधुनिक तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने की थी. चुनाव में यह देखा गया कि उनको 50 फीसदी के करीब वोट मिलते दिख रहे हैं.
तुर्की दुनिया के लिए मायने रखता है, यह सीरिया और ईरान के साथ सीमा साझा करता है. काला सागर द्वारा रूस और यूक्रेन से अलग होता है और भूमध्य सागर और एजियन सागर से घिरा हुआ है. तुर्की बोस्फोरस जलडमरूमध्य को नियंत्रित करता है, जो भूमध्य सागर तक पहुंचने के लिए रूस और यूक्रेन के पास एकमात्र रास्ता है.
एर्दोगान के कार्यकाल में देश के अंदर लोकतंत्र खत्म होने के आरोप लगे हैं. अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ संबंध खराब हो रहे हैं. अगर एर्दोगान इस बार सत्ता में वापस आते हैं, तो उम्मीद है कि पश्चिमी देशों के साथ उनके मतभेद और बढ़ जाएंगे.
विपक्ष ने कहा है कि वे यूरोपीय संघ की सदस्यता सुरक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे.
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