तुर्की (Turkey) और सीरिया (Syria) में आए जोरदार भूकंप से अब तक लगभग 22000 नागरिकों की मौत हो चुकी है. अकेले तुर्की में मरने वालों की संख्या 19000 के पार चली गयी है. देश में तबाही जैसे हालात पैदा हो गए हैं. लोग अपनों की तलाश में बिलख रहे हैं. बड़ी-बड़ी इमारतें मलबों का ढेर बन गई हैं. देश में आई आपदा के बाद सरकार के सामने भी बड़ी चुनौती है. देश को हुए जान-माल के नुकसान के अलावा राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान (Recep Tayyip Erdogan) के सामने राजनीतिक संकट भी मंडरा रहा है क्योंकि 3 महीने बाद चुनाव होने हैं.
इस एक्सप्लेनर में आपको बताते हैं कि आने वाले चुनाव में राष्ट्रपति एर्दोगान के सामने चुनौतियां बड़ी क्यों होंगी? क्या विपक्ष की एकजुटता बदलेगी तुर्की की सत्ता? राष्ट्रपति एर्दोगान का अबतक का पॉलिटिकल करियर कैसा रहा है?
Turkey: भूकंप से ढहेगी राष्ट्रपति एर्दोगान की कुर्सी? 20 साल के शासन पर खतरा
1. Turkey: Recep Tayyip Erdogan के सामने क्या हैं चुनौतियां?
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान पिछले 20 सालों से शासन कर रहे हैं लेकिन मौजूदा वक्त में वे अपने राजनीतिक जीवन के सबसे मुश्किल भरे दिनों का सामना कर रहे हैं. तुर्की 1999 के बाद से सबसे विनाशकारी भूकंप से जूझ रहा है.
तय्यब एर्दोगान 2016 में एक तख्तापलट की कोशिश में बच गए थे लेकिन उनका आगे का शासन अब इस पर निर्भर करेगा कि देश के लोगों को आई तबाही से वो किस तरह से निकालने में सफल होते हैं.
देश में आई बेलगाम मंहगाई और जीवन संकट ने पहले ही एर्दोगान की चुनावी रेटिंग को प्रभावित कर दिया है. दूसरी तरफ आने वाले मई में चुनाव होने जा रहा है और विपक्ष ने उन पर आरोप लगाए हैं कि राष्ट्रपति आपदा के लिए तैयारी करने में फेल साबित हुए हैं.
2003 से प्रधानमंत्री के रूप में और फिर 2014 के बाद से राष्ट्रपति के रूप में, तय्यब एर्दोगान ने एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में तुर्की को मजबूत बनाया है. उन्होंने इस्लाम से प्रेरित मामलों का समर्थन किया और घरेलू विरोध को कम करने में भी सफलता हासिल की.
Expand2. Turkey: क्या विपक्ष की एकजुटता बदलेगी तुर्की की सत्ता?
तुर्की में 14 मई को संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है. राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान को उम्मीद है कि वो एक बार फिर से सत्ता हासिल करने में कामयाब होंगे.
राष्ट्रपति एर्दोगान के सामने मुख्य विपक्ष मध्यमार्गी-वामपंथी और दक्षिणपंथी पार्टियों का गठबंधन है, जिसे टेबल ऑफ सिक्स कहा जाता है.
विपक्षी दलों का इरादा है कि सत्ता में आने के बाद वे एर्दोगान की नीतियों को बदल देंगे, सख्त मॉनेटरी पॉलिसी लागू करेंगे और सेंट्रल बैंक की आजादी बहाल करेंगे.
बता दें कि विपक्ष की ओर से अभी तक कोई राष्ट्रपति चेहरा नहीं तय किया गया है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाली 13 फरवरी को विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार का ऐलान किया जा सकता है.
अब देखना ये है कि क्या विपक्षा की एकता के सामने तैय्यब एर्दोगान की पार्टी कमजोर पड़ती या फिर से सत्ता की चाभी उनके हाथों में आएगी.
Expand3. Turkey: तय्यब एर्दोगान का राजनीतिक सफर और चुनौतियां
तय्यब एर्दोगान की पैदाइश तुर्की काला सागर तट पर एक तटरक्षक के घर फरवरी 1954 में हुई. उसके बाद जब एर्दोगान 13 साल के उम्र थे तो उनके पिता ने अपने पांच बच्चों के साथ इस्तानबुल जाने का फैसला किया.
एर्दोगान ने इस्लामिक स्कूल में पढ़ाई करने के बाद इस्तांबुल के मरमारा विश्वविद्यालय (Marmara University) से मैनेजमेंट में डिग्री ली. उन्होंने अपनी युवावस्था में एर्दोगान ने लिए नींबू पानी बेचते हुए पार्टटाइम जॉब भी किया.
1970 और 80 के दशक में तैयप एर्दोगान इस्लामिस्ट समूहों के साथ एक्टिव हो गए और उन्होंने नेक्मेट्टिन एर्बाकन (Necmettin Erbakan) की प्रो-इस्लामिक पार्टी समर्थक वेलफेयर पार्टी (Welfare Party) में शामिल हो गए.
1990 के दशक में जैसे ही पार्टी की लोकप्रियता बढ़ी, 1994 में एर्दोगान को इस्तांबुल के मेयर पद के लिए उम्मीदवार के रूप में चुना गया और उन्होंने अगले चार सालों तक इस्तांबुल शहर के लिए काम किया.
मेयर पद पर रहते हुए एर्दोगान ने सार्वजनिक तौर पर एक राष्ट्रवादी कविता पढ़ी और इसके लिए उनको नस्लीय नफरत फैलाने के दोषी पाया गया.
"मस्जिद हमारी बैरक हैं, गुंबद हमारे हेलमेट हैं,
मीनारें हमारी संगीनें हैं और वफादार हमारे सैनिक हैं."
इस कविता के लिए उन्हें जेल हुई और चार महीने के बाद वो राजनीति में वापस आए. लेकिन इसके बाद उनकी पार्टी को आधुनिक तुर्की राज्य के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करने के लिए बैन कर दिया गया.
Expand4. साल 2001 में एर्दोगान ने बनाई खुद की पार्टी
रजब तय्यब एर्दोगान ने अगस्त 2001 में अपने सहयोगी अब्दुल्ला गुल के साथ एक नई इस्लामवादी पार्टी Justice and Development Party बनाई.
2002 के संसदीय चुनावों में AKP बहुमत मिला और उसके अगले साल ही एर्दोगन प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे. एर्दोगान AKP के अध्यक्ष हैं.
एर्दोगान ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन कार्यकाल बिताए और एक सुधारक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान बनी. देश के मध्यम वर्ग का विस्तार हुआ और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया. एर्दोगान ने तुर्की को आधुनिक बनाने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी.
साल 2011 की शुरुआत में संसदीय चुनावों के लिए प्रचार करते वक्त एर्दोगान ने तुर्की के संविधान को एक नए संविधान से बदलने का संकल्प लिया, जो लोकतांत्रिक आजादी को मजबूत करेगा.
जून 2011 में एर्दोगान ने प्रधानमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल हासिल किया, जब संसदीय चुनावों में एकेपी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की.
साल 2013 में एर्दोगान के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए, जब उन्होंने इंस्तानबुल के लोकप्रिय पार्क को शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में ट्रांसफॉर्म करने का फैसला किया.
साल 2014 में तैयप एर्दोगान ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. 2007 में हुए संवैधानिक संशोधनों के मुताबिक यह पहली बार था, जब देश का राष्ट्रपति सीधे चुना गया था.
Expand5. जब तख्तापलट से बाल-बाल बचे तय्यब एर्दोगान
साल 2016 की गर्मियों में राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान एक हिंसक तख्तापलट का शिकार हुए लेकिन बच गए. 15 जुलाई की रात कुछ सैन्य कर्मियों ने अंकारा और इस्तांबुल में सड़कों, टेलीविजन स्टेशनों और पुलों सहित कई सुविधाओं पर कब्जा कर लिया. तख्तापलट की साजिश रचने वालों को जल्द ही काबू में लिया गया और सरकार ने तुरंत नियंत्रण हासिल कर लिया.
राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान ने कई इस्लामिक उसूलों से जुड़े कदम भी उठाए. उनकी पार्टी ने सार्वजनिक सेवाओं में महिलाओं के हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को भी हटा दिया.
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Turkey: Recep Tayyip Erdogan के सामने क्या हैं चुनौतियां?
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान पिछले 20 सालों से शासन कर रहे हैं लेकिन मौजूदा वक्त में वे अपने राजनीतिक जीवन के सबसे मुश्किल भरे दिनों का सामना कर रहे हैं. तुर्की 1999 के बाद से सबसे विनाशकारी भूकंप से जूझ रहा है.
तय्यब एर्दोगान 2016 में एक तख्तापलट की कोशिश में बच गए थे लेकिन उनका आगे का शासन अब इस पर निर्भर करेगा कि देश के लोगों को आई तबाही से वो किस तरह से निकालने में सफल होते हैं.
देश में आई बेलगाम मंहगाई और जीवन संकट ने पहले ही एर्दोगान की चुनावी रेटिंग को प्रभावित कर दिया है. दूसरी तरफ आने वाले मई में चुनाव होने जा रहा है और विपक्ष ने उन पर आरोप लगाए हैं कि राष्ट्रपति आपदा के लिए तैयारी करने में फेल साबित हुए हैं.
2003 से प्रधानमंत्री के रूप में और फिर 2014 के बाद से राष्ट्रपति के रूप में, तय्यब एर्दोगान ने एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में तुर्की को मजबूत बनाया है. उन्होंने इस्लाम से प्रेरित मामलों का समर्थन किया और घरेलू विरोध को कम करने में भी सफलता हासिल की.
Turkey: क्या विपक्ष की एकजुटता बदलेगी तुर्की की सत्ता?
तुर्की में 14 मई को संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है. राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान को उम्मीद है कि वो एक बार फिर से सत्ता हासिल करने में कामयाब होंगे.
राष्ट्रपति एर्दोगान के सामने मुख्य विपक्ष मध्यमार्गी-वामपंथी और दक्षिणपंथी पार्टियों का गठबंधन है, जिसे टेबल ऑफ सिक्स कहा जाता है.
विपक्षी दलों का इरादा है कि सत्ता में आने के बाद वे एर्दोगान की नीतियों को बदल देंगे, सख्त मॉनेटरी पॉलिसी लागू करेंगे और सेंट्रल बैंक की आजादी बहाल करेंगे.
बता दें कि विपक्ष की ओर से अभी तक कोई राष्ट्रपति चेहरा नहीं तय किया गया है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाली 13 फरवरी को विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार का ऐलान किया जा सकता है.
अब देखना ये है कि क्या विपक्षा की एकता के सामने तैय्यब एर्दोगान की पार्टी कमजोर पड़ती या फिर से सत्ता की चाभी उनके हाथों में आएगी.
Turkey: तय्यब एर्दोगान का राजनीतिक सफर और चुनौतियां
तय्यब एर्दोगान की पैदाइश तुर्की काला सागर तट पर एक तटरक्षक के घर फरवरी 1954 में हुई. उसके बाद जब एर्दोगान 13 साल के उम्र थे तो उनके पिता ने अपने पांच बच्चों के साथ इस्तानबुल जाने का फैसला किया.
एर्दोगान ने इस्लामिक स्कूल में पढ़ाई करने के बाद इस्तांबुल के मरमारा विश्वविद्यालय (Marmara University) से मैनेजमेंट में डिग्री ली. उन्होंने अपनी युवावस्था में एर्दोगान ने लिए नींबू पानी बेचते हुए पार्टटाइम जॉब भी किया.
1970 और 80 के दशक में तैयप एर्दोगान इस्लामिस्ट समूहों के साथ एक्टिव हो गए और उन्होंने नेक्मेट्टिन एर्बाकन (Necmettin Erbakan) की प्रो-इस्लामिक पार्टी समर्थक वेलफेयर पार्टी (Welfare Party) में शामिल हो गए.
1990 के दशक में जैसे ही पार्टी की लोकप्रियता बढ़ी, 1994 में एर्दोगान को इस्तांबुल के मेयर पद के लिए उम्मीदवार के रूप में चुना गया और उन्होंने अगले चार सालों तक इस्तांबुल शहर के लिए काम किया.
मेयर पद पर रहते हुए एर्दोगान ने सार्वजनिक तौर पर एक राष्ट्रवादी कविता पढ़ी और इसके लिए उनको नस्लीय नफरत फैलाने के दोषी पाया गया.
"मस्जिद हमारी बैरक हैं, गुंबद हमारे हेलमेट हैं,
मीनारें हमारी संगीनें हैं और वफादार हमारे सैनिक हैं."
इस कविता के लिए उन्हें जेल हुई और चार महीने के बाद वो राजनीति में वापस आए. लेकिन इसके बाद उनकी पार्टी को आधुनिक तुर्की राज्य के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करने के लिए बैन कर दिया गया.
साल 2001 में एर्दोगान ने बनाई खुद की पार्टी
रजब तय्यब एर्दोगान ने अगस्त 2001 में अपने सहयोगी अब्दुल्ला गुल के साथ एक नई इस्लामवादी पार्टी Justice and Development Party बनाई.
2002 के संसदीय चुनावों में AKP बहुमत मिला और उसके अगले साल ही एर्दोगन प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे. एर्दोगान AKP के अध्यक्ष हैं.
एर्दोगान ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन कार्यकाल बिताए और एक सुधारक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान बनी. देश के मध्यम वर्ग का विस्तार हुआ और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया. एर्दोगान ने तुर्की को आधुनिक बनाने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी.
साल 2011 की शुरुआत में संसदीय चुनावों के लिए प्रचार करते वक्त एर्दोगान ने तुर्की के संविधान को एक नए संविधान से बदलने का संकल्प लिया, जो लोकतांत्रिक आजादी को मजबूत करेगा.
जून 2011 में एर्दोगान ने प्रधानमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल हासिल किया, जब संसदीय चुनावों में एकेपी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की.
साल 2013 में एर्दोगान के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए, जब उन्होंने इंस्तानबुल के लोकप्रिय पार्क को शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में ट्रांसफॉर्म करने का फैसला किया.
साल 2014 में तैयप एर्दोगान ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. 2007 में हुए संवैधानिक संशोधनों के मुताबिक यह पहली बार था, जब देश का राष्ट्रपति सीधे चुना गया था.
जब तख्तापलट से बाल-बाल बचे तय्यब एर्दोगान
साल 2016 की गर्मियों में राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान एक हिंसक तख्तापलट का शिकार हुए लेकिन बच गए. 15 जुलाई की रात कुछ सैन्य कर्मियों ने अंकारा और इस्तांबुल में सड़कों, टेलीविजन स्टेशनों और पुलों सहित कई सुविधाओं पर कब्जा कर लिया. तख्तापलट की साजिश रचने वालों को जल्द ही काबू में लिया गया और सरकार ने तुरंत नियंत्रण हासिल कर लिया.
राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान ने कई इस्लामिक उसूलों से जुड़े कदम भी उठाए. उनकी पार्टी ने सार्वजनिक सेवाओं में महिलाओं के हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को भी हटा दिया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)