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14 दिसंबर को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अमेरिका द्वारा निर्मित एफ-35 फाइटर जेट डील को लेकर बातचीत करने से मना कर दिया. यूएई के एक अधिकारी ने कहा कि 23 अरब डॉलर के इस सौदे में ड्रोन और कई अन्य हथियार भी शामिल हैं.
संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के साथ 50 एफ-35 फाइटर जेट डील पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के अंतिम दिनों में हुई थी.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक यूएई के एक अधिकारी ने कहा कि टेक्निकल आवश्यकताओं, ऑपरेशनल प्रतिबंधों और कॉस्ट-बेनिफिट एनालिसिस के कारण इसका फिर से मूल्यांकन किया गया.
द एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी दूतावास ने कहा कि यूएई बिक्री पर चर्चा को स्थगित करेगा, जबकि इस सप्ताह के अंत में दोनों पक्षों के बीच अन्य मुद्दों पर पेंटागन में होने वाली मीटिंग्स योजना के अनुसार बढ़ेंगी.
दूतावास ने कहा कि भविष्य में एफ-35 के लिए फिर से चर्चा हो सकती है.
इससे पहले पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा था कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ अमेरिकी पार्टनरशिप हथियारों की बिक्री की तुलना में अधिक रणनीतिक थी. उन्होंने कहा था कि हम हमेशा वैधानिक आवश्यकताओं और नीति के मामले में विभिन्न प्रकार की अंतिम आवश्यकताओं पर जोर देंगे.
उन्होंने यह भी कहा था कि पेंटागन में अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों के बीच एक मीटिंग तय की गई थी, उम्मीद है कि हथियारों की बिक्री शुरू हो जाएगी.
बता दें कि अमेरिका चीन की 5G सेवा देने वाली Huawei के साथ हुए यूएई के कॉन्ट्रैक्ट का विरोध करता है, इस डर से कि चीनी नेटवर्क टेक्नोलॉजिकल रूप से F-35 से कॉम्प्रोमाइज कर सकता है.
बहरून ने कहा कि उन मांगों का उपयोग डील में हुए पिछले संशोधनों के लिए किया गया है और टेक्नोलॉजी की सुरक्षा पर नए कंट्रोल लागू करने के साथ-साथ समझौतों पर फिर से विचार करने की मांग की वजह से संभवतः डील पर प्रभाव पड़ गया.
उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि अगर हालात बदलते हैं तो इसे फिर से शुरू किया जा सकता है.
बता दें कि पिछले दिनों इजराइल के प्रधान मंत्री नफ्ताली बेनेट ने संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी में अबू धाबी में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद से मुलाकात की.
इस मुलाकात के एक दिन बाद यूएई ने अमेरिका के साथ हुए ऐतिहासिक सौदे को स्थगित कर दिया है. इजराइल के प्रधानमंत्री की अबू धाबी की यात्रा किसी इजराइली नेता द्वारा खाड़ी देश की पहली यात्रा थी.
इस मुद्दे पर जानकारों का कहना है कि यूएई को यकीन है कि अगर इजराइल के साथ उसके संबंध अच्छे रहते हैं तो अमेरिका से ये सभी मॉडर्न हथियार मिलने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
अमेरिका के साथ हुई फाइटर जेट की इस डील के बाद यूएई ने औपचारिक रूप से इजरायल को मान्यता दे दी थी. अमेरिका में जो बाइडेन की सरकार बनने के बाद इस सौदे पर त्वरित कार्यवाही होती नहीं दिखी.
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