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पिछले दिनों युगांडा (Uganda) की संसद ने एक समलैंगिक विरोधी कानून पारित किया, जो LGBTQ के रूप में पहचान करने वाले व्यक्ति को अपराधी बनाता है. कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ी सजा का नियम बनाया गया है, जिसमें 'गंभीर समलैंगिकता' के लिए सजा-ए-मौत और समलैंगिक यौन संबंध के लिए आजीवन कारावास की सजा शामिल है. कानून में शामिल किए गए नियम इसे दुनिया के सबसे क्रूर समलैंगिक विरोधी कानूनों में से एक बनाते हैं.
कई कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार संगठनों ने कानून पारित करने पर युगांडा की आलोचना की है क्योंकि यह देश में किसी भी प्रकार के सामाजिक जुड़ाव से समलैंगिक लोगों को बैन करेगा. इस कानून पर राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी की सहमति का इंतजार है.
Al Jazeera की रिपोर्ट के मुताबिक मुसेवेनी ने इस कानून पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि उन्होंने एलजीबीटीक्यू समुदाय के अधिकारों का हमेशा विरोध किया है.
आइए जानने की कोशिश करते हैं कि वास्तव में यह कानून क्या कहता है? इसके नियमों में किसको सजा देना शामिल किया गया है और कानून पर रिग्रेशिव होने का आरोप क्यों लगाया जाता है?
समलैंगिकता विरोधी विधेयक 2023 दिसंबर 2013 में युगांडा की संसद द्वारा पारित समान कानून का अधिक रिग्रेशिव वर्जन है. फरवरी 2014 में राष्ट्रपति मुसेवेनी ने इस बिल पर हस्ताक्षर किया.
2014 के एंटी-समलैंगिकता विधेयक को 'Kill the Gays Bill' के रूप में डब किया गया, जिसमें समलैंगिक संबंधों में शामिल व्यक्तियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है.
हालांकि बाद में सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था. उसी साल अगस्त में, युगांडा के संवैधानिक न्यायालय ने प्रक्रियात्मक आधार पर अधिनियम को अमान्य करार दे दिया था.
युगांडा की संसद की वेबसाइट के मुताबिक मौजूदा समलैंगिकता-विरोधी विधेयक समान-लिंग आचरण की सीमा को व्यापक बनाना चाहता है. ऐसा माना जाता है कि यह युगांडा के पारंपरिक और धार्मिक मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है.
2023 का समलैंगिकता-विरोधी विधेयक में "गंभीर समलैंगिकता" नियम शामिल किए गए हैं, जिसमें 18 साल से कम उम्र के लोगों और विकलांग या HIV पॉजिटिव लोगों के साथ समान-यौन संबंध रखने वालों के लिए "सीरियल अपराधियों" सहित कुछ स्थितियों में मृत्युदंड शामिल किया गया है. इसके जरिए विकलांगों को सहमति देने की क्षमता से वंचित कर दिया जाएगा.
इसके अलावा, यह बिल समलैंगिकता को बढ़ावा देने को अवैध और LGBTQ मुद्दों पर पूरी तरह से सेंसरशिप लागू करता है. इसके मुताबिक LGBTQ समुदाय के अधिकारों की वकालत करने वाले या ऐसे संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने वालों को 20 साल तक की जेल हो सकती है.
इसके अलावा ये विधेयक समान-सेक्स विवाह समारोह आयोजित करना या समान-लिंग आचरण को सुविधाजनक बनाने को अपराध की श्रेणी में लाता है, जिसमें उल्लंघन करने वालों को 10 साल तक की जेल हो सकती है.
इस कानून को संसद के करीब सभी 389 सदस्यों ने समर्थन दिया था. सांसद डेविड बहती ने बिल पर बहस के दौरान कहा कि जो कुछ हो रहा है उसके बारे में हमें पैदा करने वाला भगवान खुश है...मैं हमारे बच्चों के भविष्य की रक्षा के लिए बिल के समर्थन में हूं.
संसद अध्यक्ष अनीता अमंग ने कहा कि समलैंगिकता विरोधी विधेयक, मूल रूप से लोगों को यह विश्वास दिलाने के लिए है कि हम एक जन-केंद्रित संसद हैं. हम इसे लोगों के लिए करते हैं, हम इसे कुछ लोगों के लिए नहीं कर रहे हैं.
लेकिन कार्यकर्ताओं को चिंता है कि नया कानून शारीरिक और ऑनलाइन हमलों, मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों और झूठी सजा के अलावा LGBTQ समुदाय के लोगों का शिकार करेगा.
ग्रुप के सह-संयोजक और युगांडा के प्रमुख कार्यकर्ता फ्रैंक मुगिशा ने कहा कि यह विधेयक लिंग और यौन अल्पसंख्यकों को आश्रय, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, भोजन जैसी बुनियादी सामाजिक सेवाओं तक पहुंच से वंचित करेगा.
कार्यकर्ता यह भी दावा कर रहे हैं कि यह कानून पारंपरिक मूल्यों के नाम पर अधिक रूढ़िवादिता लाएगा.
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक एमनेस्टी इंटरनेशनल के टिगेरे चगुताह ने कहा पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका के निदेशक का कहना है कि यह दमनकारी कानून LGBTI लोगों के खिलाफ भेदभाव, नफरत और पूर्वाग्रह को संस्थागत बना देगा. यह नागरिक समाज, सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों और सामुदायिक नेताओं के वैध काम में अड़चन पैदा करेगा.
इस बीच, व्हाइट हाउस ने नए कानून के लागू होने पर युगांडा को संभावित आर्थिक नतीजों की चेतावनी दी है.
Independent की रिपोर्ट के मुताबिक व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि हम इसे वास्तव में करीब से देख रहे हैं और हमें यह देखना होगा कि क्या ऐसे नतीजे हो सकते हैं या नहीं. हमें यह देखना होगा कि क्या यह कानून वास्तव में पारित और अधिनियमित होना चाहिए.
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