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रूस द्वारा यूक्रेन (Ukraine) पर हमला किए जाने के बाद यूरोपीय देश और अमेरिका रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं. यूरोपीय युनियन, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी भागीदार देशों ने रूस पर प्रतिबंध का ऐलान किया है, जिसमें स्विफ्ट इंटरनेट बैंकिंग सिस्टम से की रूसी बैंकों को अलग कर दिया गया है. आइए जानते हैं कि SWIFT बैंकिंग नेटवर्क क्या है और अगर ऐसा होता है तो रूस पर इसका क्या असर होगा.
SWIFT (Sociaty For Worldwide Interbank Financial Telecommunication) बैंकों के द्वारा दो देशों के बीच के ट्रांजैक्शन को सुरक्षित और तेजी से पूरा करने के लिये बनाया गया है. इस बैंकिंग सर्विस के उपयोग से हर साल खरबों डॉलर का ट्रांजैक्शन होता है. इसकी स्थापना साल 1973 में की गई थी.
बैंक आपस में फंड ट्रांस्फर करने, ग्राहकों के लिए फंड ट्रांस्फर और ऑर्डर खरीदने और बेचने के बारे में स्टैंडर्डाइज मैसेज भेजने के लिए स्विफ्ट सिस्टम का उपयोग करते हैं. 200 से अधिक देशों में 11,000 से अधिक वित्तीय संस्थान स्विफ्ट का उपयोग करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय फाइनेंसियल ट्रांस्फर सिस्टम को मजबूत बनाता है. यह फर्म आतंकवाद को फंडिंग होने से रोकने के लिए अधिकारियों का सहयोग करता है.
नेशनल एसोसिएशन रॉसविफ्ट के मुताबिक यूजर्स की संख्या के मामले में रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है, जिसमें सिस्टम से संबंधित लगभग 300 रूसी वित्तीय संस्थान हैं. रूस के आधे से अधिक वित्तीय संस्थान स्विफ्ट के मेंबर हैं.
रूस के पास अपना डोमेस्टिक फाइनेंसियल इन्फ्रास्ट्रक्चर है, जिसमें बैंक ट्रांस्फर्स के लिए एसपीएफएस सिस्टम और वीजा और मास्टरकार्ड सिस्टम के जैसे कार्ड पेमेंट के लिए मीर सिस्टम शामिल है.
व्यावहारिक रूप से, SWIFT से निकाले जाने का अर्थ है कि रूसी बैंक इसका उपयोग व्यापारिक ट्रांजैक्शन के लिए विदेशी वित्तीय संस्थानों के साथ पेमेंट करने या रिसीव करने के लिए नहीं कर सकते हैं.
बता दें कि क्रीमिया के विलय के बाद पश्चिमी देशों ने 2014 में रूस को स्विफ्ट से बाहर करने की धमकी दी थी.
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