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मानवीय सहायता कार्यों से लेकर निरस्त्रीकरण जैसे मुद्दों पर अहम फैसले लेने वाली दुनिया की सर्वोच्च संस्था संयुक्त राष्ट्र,जिसका खुद का वार्षिक बजट कई अरब डॉलर का है, वह आज गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और हालत यह है कि उसे अपने कर्मचारियों को इस महीने के वेतन देने में भी मुश्किल हो रही है.
सवाल यह उठता है कि आखिर संयुक्त राष्ट्र का 14.25 अरब रुपये से अधिक का कोष कैसे समाप्त होने की कगार पर है? तो इसका उत्तर है अमेरिका सहित कई सदस्य देशों ने अपने अपेक्षित वित्तीय योगदान का भुगतान नहीं किया है.
गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र की पांचवी समिति के सामने कहा कि,
गुतारेस ने कहा,
उल्लेखनीय है कि भारत उन गिने चुने देशों में शामिल है जिसने समय पर अपना पूरा अंशदान संयुक्त राष्ट्र में किया है. इसके उलट भारत का 3.8 करोड़ डॉलर संयुक्त राष्ट्र पर बकाया है. यह संयुक्त राष्ट्र की किसी देश के लिये सबसे अधिक देनदारी है जो मार्च 2019 के शांति अभियानों के लिए दी जानी है.
संयुक्त राष्ट्र में 1.3 अरब अमेरिकी डालर के बकाये भुगतान पर भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है. यह तब है जब नियमित बजट वित्त वर्ष तीन महीने में खत्म हो रहा है. महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को चेतावनी दी थी कि संयुक्त राष्ट्र के पास अक्टूबर के अंत में अपने कामकाज के संचालन के लिये पैसा खत्म हो सकता है क्योंकि विश्व निकाय 23 करोड़ डॉलर के घाटे से जूझ रहा है.
गुतारेस ने पिछले साल भी चेतावनी जारी की थी और कहा कि संगठन के पास अपने बजट के लिये धन की अभूतपूर्व कमी है और सदस्य राष्ट्र भुगतान नहीं करते हैं तो उसे अतिशीघ्र अपने कामकाज में कटौती करनी पड़ेगी.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव ने सोमवार को कहा,
संयुक्त राष्ट्र सार्वजनिक रूप से उन देशों को उजागर नहीं करेगा, लेकिन सूत्रों ने एएफपी को बताया कि इस संकट का मुख्य जिम्मेदार अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, मैक्सिको और ईरान हैं. कुल मिलाकर, 64 देशों पर संयुक्त राष्ट्र का पैसा बकाया है. इसके अलावा देनदारों की सूची में वेनेजुएला, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, इजराइल और सऊदी अरब शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भुगतान करने वाला अंतिम देश सीरिया है.
मंगलवार को जारी बयान के मुताबिक, गुतारेस ने भुगतान करने वाले 129 सदस्य देशों को धन्यवाद दिया और जिन्होंने अब तक भुगतान नहीं किया है, उनसे तत्काल भुगतान करने का आग्रह किया.
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