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"यार, इंडियन आटा नहीं मिल रहा" यह कहना है अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया के शहर सैन होसे में रहने वालीं मीरा नाडकर्णी का, जिनके परिवार के लिए रोटी स्टेपल फूड है.
वहीं अलबामा के मैडिसन में रहने वालीं नीवा कपूर हंसते हुए कहती हैं, ''किसने सोचा था कभी की आटा नहीं मिलेगा." उन्होंने आगे कहा कि “हम रोज रोटी बनाते हैं. हम कई सालों से इस देश में भारतीय आटे का उपयोग कर रहे हैं और अब तक कभी कमी का सामना नहीं करना पड़ा. मैंने सोचा कि सप्लाई चेन की यह समस्या कुछ दिनों की है, लेकिन यह उससे बड़ी है."
अमेरिका में रहने वाले देसी परिवारों में इन दिनों बातचीत गेंहू के आटे के आसपास ही हो रही है. अमेरिका में रहने वाले इन भारतीय मूल के परिवारों के लिए भी गेंहू की रोटी खाने का एक अहम हिस्सा है.
गेंहू के आटे की कमी अक्टूबर में दीवाली के आसपास शुरू हुई, लेकिन यह पहले थैंक्सगिविंग, फिर क्रिसमस और अब नए साल के बाद भी जारी है. भारतीय शरबती गेहूं के आटे से बनी नरम, गोल रोटियां पसंद करने वाले भारतीय अमेरिकी लोगों को यह विश्वास नहीं हो रहा है कि पूरे देश में भारतीय किराने की दुकानों में आटा कुछ हफ्ते पहले खाली हो गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे उन्हें इसकी आदत हो रही है.
दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध अमेरिका के देसी परिवारों के रोटी के जायके को प्रभावित कर रहा है. भारत ने घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मई से भारत में उगाए गए गेहूं और अगस्त 2022 से गेहूं के आटे का निर्यात बंद कर दिया है.
मिशिगन स्थित फूड इंपोर्ट एंड डिस्ट्रीब्यूशन फर्म, प्रीमियर फूड सप्लाई के फाउंडर और CEO जगदीश रुघानी ने कहा कि "गेंहू के आटे की किल्लत है, और यह कृत्रिम नहीं है. भारत सरकार ने गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, इसलिए जब तक प्रतिबंध नहीं हटता, तब तक अमेरिका को भारतीय आटे की सप्लाई नहीं होगी."
उत्तरी अमेरिकी के आटा उत्पादक और आपूर्तिकर्ता भारत के प्रतिबंध के कारण पैदा गेंहू के आटे की कमी को उत्तरी अमेरिका के आटे से भरने की कोशिश कर रहे हैं. संतोष एजेंसी इंक के CEO संतोष परमार का कहना है कि “ बड़ी मात्रा में स्थानीय आटे आ रहे हैं, लेकिन कैलिफोर्निया और कनाडा के आटे की अचानक बढ़ी मांग ने उत्पादन बढ़ाने के लिए हम पर बहुत दबाव डाला है..हम कैलिफोर्निया में अपने सैंटोस एलिफेंट ब्रांड आटा के नाम से रोजाना आटा पीसते हैं, और अपनी क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं,""
कैलिफोर्निया स्थित इंडियन फूड प्रोडक्ट के डिस्ट्रीब्यूटर- हाथी ब्रांड फूड्स अपने परिवार के स्वामित्व वाले स्टोर और अन्य आउटलेट की आपूर्ति के लिए अमेरिकी ड्यूरम गेहूं पीस रहा है.
हाथी ब्रांड फूड्स के CEO संजय बिड़ला ने कहा कि “हम हरियाणा में दो साल से अधिक समय से भारत में आटे का उत्पादन कर रहे थे. लेकिन अब हम इसे यहां कई स्टोर्स में सप्लाई करने के लिए पिसवाते हैं."
कभी भारतीय, अमेरिकी और कनाडाई आटे से भरे भारतीय स्टोर के आटे के रैक अब धीरे-धीरे स्थानीय रूप से उत्पादित गेहूं के आटे की थैलियों से भरे जा रहे हैं. हां, किसी गोदाम में या कहीं अटके पड़े मालवाहक जहाज से भारतीय आटे का दुर्लभ बैच आ जाता है, लेकिन उसे छोड़कर यहां अब उपलब्ध अधिकांश आटा उत्तरी अमेरिकी है.
लेकिन ड्यूरम गेहूं का आटा हर दिन चपाती बनाने वाले कुछ देसी परिवारों को अच्छा नहीं लग रहा है. ड्यूरम गेहूं उत्तरी अमेरिका में उगाई जाने वाली गेहूं की एक किस्म है.
हालांकि सैन फ्रांसिस्को में रहने वालीं लीना जैसे कुछ लोगों का कहना है कि बेवजह इसे तूल दिया जा रहा है और "परिवार सालों से कनाडा के आटे का उपयोग कर रहे हैं. यह जीने-मरने की स्थिति नहीं है!"
संतोष परमार का परिवार 35 वर्षों से अमेरिका में आटा का उत्पादन कर रहा है. वे बताते हैं कि
अब अमेरिका में रहने वाले देसी परिवार ड्यूरम गेहूं के आटे को स्वादिष्ट बनाने के हर उपाय आजम रहे हैं. कोई गर्म पानी से आटा गूंथ रहा है, कोई उसने टोफू मिला रहा है, कोई उबली हुई दाल डाल रहा है तो कोई तेल छिड़क रहा है- कोई भी एक्सपेरिमेंट छोड़ा नहीं गया है.
कुछ लोगों ने प्री-पैक्ड रोटियों का विकप्ल चुना है. न्यू जर्सी के स्कॉच प्लेन्स में रहने वालीं अलीशा भट्टाचार्जी बताती हैं कि “हम दिन में एक या दो बार रोटी खाते हैं. पहले हमारा कुक हमारे लिए भारतीय आटे से रोटियां बनाया करता था. लेकिन अब हमारे लिए लोकल भारतीय किराना स्टोर से पैकेट वाली रोटियां लाना ही आसान है."
एक तरफ अमेरिका के देसी परिवार भारतीय शरबती गेहूं के आटे के अपने पसंदीदा ब्रांड के लिए मीलों तक ड्राइव कर रहे हैं, अगर कहीं स्टॉक है तो उसके बारे में दूसरे शहरों में बसे अपने दोस्तों के साथ क्रॉसचेक कर रहे हैं और सोशल मीडिया ग्रुप पर एक-दूसरे की सहायता कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ ये भारतीय अमेरिकी धीरे-धीरे 'स्वादिष्ट चपातियों' के बिना जीने की आदत भी डाल रहे हैं.
नए आटा ब्रांड से बनी रोटियों के रिव्यू के लिए ऑनलाइन फोरम उपयोगी साबित हो रहे हैं.
अलीशा कहती हैं "एक स्थानीय स्टोर केवल कम से कम $50 मूल्य के किराने के सामान के साथ ही 20 पौंड का आटा खरीदने दे रहा है!"
नीवा कपूर कहती हैं कि “यहां तक कि हमसे कुछ घंटों की दूरी पर दूसरे शहरों में किराना स्टोर भी प्रति परिवार केवल एक बैग आटा खरीदने दे रहे हैं! काश मैंने पहले ही कुछ बैग खरीदे लिए होते”
भले ही अमेरिका में बसे ये देसी 'सुनहरी शरबती गेहूं के आटे' से बनी नरम रोटियां चाहते हैं, लेकिन इनमें भी यह आम सहमति है कि भारत सरकार गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सही कर रही है. सैन फ्रांसिस्को के एक स्टोर मैनेजर ने कहा कि "वे पहले अपने नागरिकों की रक्षा करेंगे, जो उचित है."
एक तमिल भारतीय अमेरिकी ने सुझाव दिया, "इसमें क्या बड़ी बात है! बस थोड़ी देर के लिए चावल खा लो दोस्तों!"
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