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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इशारे पर ईरानी जनरल सुलेमानी को मार गिराया गया. इसके बाद से ही मिडिल ईस्ट में युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. अब खबर आई है कि ईरान ने अमेरिकी बेस पर हमला किया है, रिपोर्ट्स के मुताबिक 80 लोगों की मौत हो गई है. अमेरिका और ईरान के बीच शुरू तनातनी का भारत की इकनॉमी पर क्या असर होगा और इससे भारत-ईरान, भारत-अमेरिका के संबंधों पर क्या असर पड़ेगा. समझने की कोशिश करते हैं.
भले ही भारत ने अमेरिका के कहने पर ईरान से क्रूड ऑयल इंपोर्ट करना बंद कर दिया है. लेकिन अगर हालात बिगड़ते हैं तो पूरे पश्मिच एशिया में उसका असर होगा. भारत इस इलाके से क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा इंपोर्टर है. भारत अभी भी इराक, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत जैसे देशों से सबसे ज्यादा ऑयल इंपोर्ट करता है. अगर अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी बढ़ती है तो कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे और जिसी सीधी मार भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी.
ऐसे में क्रूड ऑयल अगर महंगा होता है तो भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ेगा. सरकार के लिए ये मैनेज करना काबू से बाहर भी हो सकता है. इसलिए भारत की सरकार ने तेहरान और वॉशिंगटन दोनों से संयम बरतने की अपील की है.
अगर क्रूड का भाव बढ़ता है तो भारत के राजकोष पर असर हो होगा ही लेकिन ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी की खबरों भर से ही फौरी तौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने लगी हैं. लगातार 5 दिन तक पेट्रोल डीजल की कीमतों में इजाफा देखने को मिला है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के शेयरों में भी पिछले 5 दिनों में 5-10 परसेंट तक की कमजोरी देखने को मिली है.
ईरान-अमेरिका के बीच टकराव की खबरों के बाद सोमवार को शेयर बाजार पर भयानक असर देखने को मिला. सिर्फ एक दिन में सेंसेक्स करीब 800 प्वाइंट टूटा. शेयर बाजार से 3 लाख करोड़ रुपए एक झटके में निकाल लिए गए. हालांकि मंगलवार को बाजार ने थोड़ी राहत के संकेत दिए. लेकिन अब फिर से ईरान के हमले की और टकराव बढ़ने की खबरें आ रही हैं.
भारत ईरान में चाबहार पोर्ट विकसित कर रहा है. इस प्रोजेक्ट पर भारत, अमेरिका और ईरान मिलकर काम कर रहे हैं. भारत ने चाबहार पोर्ट मिडिल ईस्ट में अपना कारोबार बढ़ाने और अरब सागर में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए विकसित किया था. साथ ही ये पाकिस्तान के चाबहार पोर्ट के पास भारत का एक रणनीतिक ठिकाने का काम भी करता. अमेरिका इस पर भी मान गया था कि वो चाबाहार पोर्ट को ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों से बाहर रखेगा. लेकिन अगर तनाव होता है तो अमेरिका अपने प्रतिबंधों को कड़े करेगा और भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना पर इसका सीधा असर होगा.
ईरान की रणनीतिक स्थिति भी ऐसी है कि वहां अमेरिका के अलावा रूस, चीन जैसी महाशक्तियों का दखल है. अगर ये लड़ाई और बढ़ती है तो ये दुनिया को विश्व युद्ध की तरफ ले जा सकती है. अगर हालात तनाव पूर्ण ही बने रहते हैं और अमेरिका ईरान पर प्रतिबंध और बढ़ाता है तो भारत पर इसका न सिर्फ कारोबारी और आर्थिक बल्कि सामरिक नजरिए से भी बुरा असर होगा.
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