Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019रूस गैस के बदले मांग रहा रूबल, समझिए क्यों मुश्किल में पड़े पश्चिमी देश?

रूस गैस के बदले मांग रहा रूबल, समझिए क्यों मुश्किल में पड़े पश्चिमी देश?

Russia Ukraine War: गैर-मित्र देश अब से रूस से गैस खरीदने के लिए रूसी करेंसी रूबल में ही पेमेंट करें- पुतिन की शर्त

आशुतोष कुमार सिंह
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>रूसी गैस के बदले रूबल की मांग, पुतिन की एक चाल और रूस मस्त- पश्चिमी देश पस्त</p></div>
i

रूसी गैस के बदले रूबल की मांग, पुतिन की एक चाल और रूस मस्त- पश्चिमी देश पस्त

(फोटो- अल्टर्ड बाय क्विंट)

advertisement

पर्दे के सामने रूस और यूक्रेन की लड़ाई (Russia-Ukraine War) पिछले एक महीने से चल रही है लेकिन पर्दे के पीछे रूस और अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी शक्तियों के बीच भी जंग जारी है. हालांकि इस मामले में लड़ाई हथियारों से नहीं बल्कि आर्थिक हथकंडों की मदद से लड़ी जा रही है. अबतक आर्थिक प्रतिबंधों के साथ फ्रंट फुट पर खेल रहे थे लेकिन इस बार रूस ने दांव चला है.

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मांग है कि “गैर-मित्र देश" अब से रूस से गैस खरीदने के लिए रूसी करेंसी रूबल में ही भुगतान करें. पुतिन ने इसके लिए रूसी गैस पर निर्भर यूरोपीय देशों को एक हफ्ते की मोहलत दी थी. पुतिन के इस निर्णय के बाद से ही पहले से ही अधिक नेचुरल गैस की कीमतों में और इजाफा हो गया है.

पुतिन की एक चाल और रूस मस्त- पश्चिम पस्त

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस एक कदम से रसातल में जा रही रूसी करेंसी को बल मिला है. घोषणा के बाद से रूबल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है ( प्रति अमेरिकी डॉलर ₽107 से ₽93.50).

अगर यूरोपीय देश रूस की इस शर्त को स्वीकार करते हैं, तो रूबल की मांग और बढ़ेगी और इसी के अनुसार विदेशी मुद्रा बाजार में रूबल को और मजबूत मिलेगी.

पुतिन के इस कदम ने यूरोपीय देशों के लिए उन वित्तीय प्रतिबंधों को बनाए रखना कठिन कर दिया है जो उन्होंने यूक्रेन पर हमले के कारण रूस के बैंकों पर लगाया था. अब उन्हें रूबल खरीदने के लिए उन्हीं रूसी बैंकों के पास जाना पड़ेगा जिनपर उन्होंने प्रतिबंध लगाए थे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कई यूरोपीय देशों को इस बात का भी डर है कि पुतिन का यह दांव यूक्रेन हमलें के बाद बनी उनकी एकजुटता को भी तोड़ सकता है. हो सकता है कि जर्मनी और इटली प्रतिबंध वाले इस गठबंधन से दूर हो जाएं क्योंकि वे विशेष रूप से रूसी गैस पर निर्भर हैं.

हालांकि जर्मनी ने घोषणा की है कि वे 2024 की गर्मियों तक रूसी गैस पर अपनी निर्भरता को 10% तक कम कर देगा (आज वह अपनी 50% से अधिक की गैस जरुरत के लिए रूस पर निर्भर है).

क्या रूस ने तोड़ी कॉन्ट्रैक्ट की शर्त ?

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि रूस एकतरफा घोषणा कर अन्य यूरोपीय देशों के साथ मौजूदा दीर्घकालिक गैस आपूर्ति के कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को बदल सकता है या नहीं. मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट में पहले से ही वे करेंसी निर्धारित हैं, जिसमें रूसी गैस के बदले पेमेंट किया जाना है. वर्तमान में यूरोप में सबसे अधिक गैस सप्लाई करने वाली कंपनी Gazprom कुल पेमेंट का 58% यूरो में, 39% अमेरिकी डॉलर में और 3% स्टर्लिंग में स्वीकार करती है.

सवाल है कि अगर यूरोपीय देश रूस के इस फैसले को चुनौती देना चाहें तो हर कॉन्ट्रैक्ट में विवाद को हल करने के लिए कानूनी रास्ते हैं. 2005 और 2010 के बीच रूस और यूक्रेन के बीच गैस सप्लाई से जुड़े विवाद आखिरकार अंततः स्वीडन में स्टॉकहोम चैंबर ऑफ कॉमर्स (SCC) में जाकर सुलझा था.

लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग हैं. रूस ने सभी यूरोपीय यूनियन के सभी 48 सदस्य देशों “गैर-मित्र देशों " की सूची में डाल दिया है. ऐसे में मुश्किल है कि वह स्वीडन में स्टॉकहोम चैंबर ऑफ कॉमर्स के फैसले को स्वीकार करे.

विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के इस मांग के पीछे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को खत्म करने की उसकी मंशा दिखती है. रूस भारत और चीन जैसे देशों के साथ यूरो या स्थानीय करेंसी में व्यापार बढ़ा रहा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT