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बदलाव की चिंगारी को हवा देने के लिए एक ही व्यक्ति काफी होता है. चाहें वो अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग हो या भारत में मोहनदास करमचंद गांधी. इस समय पश्चिमी यूरोप में स्थित बेलारूस में भी बदलाव की बयार चल रही है. बेलारूस में मौजूदा समय में विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं. ये यूरोप के 'आखिरी तानाशाह' कहे जाने वाले देश के राष्ट्रपति एलक्जेंडर लुकाशेंको को सत्ता से हटाने के लिए हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों के केंद्र में भी एक व्यक्ति ही है, जो नायक के तौर पर उभरा है. खास बात ये है कि ये व्यक्ति एक महिला है- नाम है स्वेतलाना तीखानोव्स्कया.
कुछ महीनों पहले तक देश जिस स्वेतलाना को शायद जानता भी नहीं था, आज वो बेलारूस के राष्ट्रपति को सत्ता को चुनौती दे रही हैं. कुछ समय पहले तक पेशे से शिक्षक स्वेतलाना राजनीति से दूर थीं. उनके पति सर्गी तीखानोव्स्कया राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार थे, लेकिन उनके जेल जाने के बाद स्वेतलाना ने मोर्चा संभाला और चुनाव लड़ा. उन्होंने पूरे देश में प्रचार किया और साथ ही अपने बच्चों को भी संभाला. स्वेतलाना बेलारूस में सत्ता के खिलाफ कैसे खड़ी हुईं, बेलारूस में प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं, राष्ट्रपति एलक्जेंडर लुकाशेंको कौन हैं, ये सब समझते हैं.
बेलारूस में प्रदर्शन राष्ट्रपति एलक्जेंडर लुकाशेंको को सत्ता से हटाने के लिए हो रहे हैं. जुलाई 1994 से आज तक लुकाशेंको देश के राष्ट्रपति बने हुए हैं. 1992 में सोवियत संघ के खत्म हो जाने के बाद लुकाशेंको ने बेलारूस की बागडोर संभाल ली थी. सोवियत संघ खत्म हुआ लेकिन लुकाशेंको ने उसके दिए नाम की खुफिया सर्विस KGB रखी और उसका नाम भी वही रहने दिया.
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बेलारूस में अब तक छह राष्ट्रपति चुनाव हो चुके हैं और कोई एक भी निष्पक्ष और साफ नहीं माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि लुकाशेंको ने एक ऐसी संसद बना रखी है, जो उनके इशारों पर काम करती है और उसमें एक भी विपक्षी आवाज नहीं है. मुख्य न्यूज चैनल भी सरकार के वफादार हैं.
एलक्जेंडर लुकाशेंको ने अपनी छवि एक राष्ट्रवादी नेता की बना रखी है. लोग सालों से भ्रष्टाचार, कम आय, रोजगार की कमी को लेकर शिकायत करते आए हैं. लेकिन लुकाशेंको की राष्ट्रवादी नीतियों की वजह से विरोध को उतनी जगह नहीं मिल पाती थी. हालांकि, ये सब हाल के सालों में बदल गया है. कोरोना वायरस महामारी ने लुकाशेंको के लिए हालात और खराब दिए.
चुनाव से पहले बेलारूस के मुख्य विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया या देश निकाला दे दिया गया. इन नेताओं में यूट्यूबर और ब्लॉगर सर्गी तीखानोव्स्कया भी शामिल थे. सर्गी की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी स्वेतलाना तीखानोव्स्कया लुकाशेंको की मुख्य विरोधी बनकर उभरी थीं.
9 अगस्त को वोटिंग हुई और उससे कई दिन पहले से ही इंटरनेट ब्लैकआउट शुरू हो गया. हर बार की तरह लोगों को आशंका थी कि चुनाव निष्पक्ष नहीं हो पाएगा. स्वतंत्र पर्यवेक्षकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और प्रिलिमिनरी वोटिंग तय समय से ज्यादा देर तक चालू रखी गई थी. ऐसा नहीं है कि ये सब पहले नहीं हुआ लेकिन तब लुकाशेंको के पास एक बड़े धड़े का समर्थन हुआ करता था, जिसकी वजह से वो चुनावों के वैध होने का दावा करते थे.
राजधानी मिंस्क और कई शहरों में चुनाव नतीजों के अगले दिन करीब 3000 लोगों की गिरफ्तारी हुई. इससे बड़ी संख्या में अगले दिन लोगों को पकड़ा गया. सोशल मीडिया पर लोगों के पुलिस बर्बरता की फोटो और वीडियो डालने के बाद प्रदर्शन और तेज होते चले गए.
महिलाओं का इन प्रदर्शन में बड़ा योगदान रहा है. हाथों में हाथ डाले और गुलाब लिए महिलाएं बेलारूस की सड़कों पर सत्ता को चुनौती दे रही हैं.
यूरोपियन यूनियन ने कहा है कि वो बेलारुस के लोगों के साथ है और चुनाव 'न निष्पक्ष और न ही साफ थे, और अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के मुताबिक भी नहीं थे.' यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स माइकल ने कहा, "हम चुनाव को नहीं मानते हैं."
14 अगस्त को चुनाव नतीजे घोषित किए जाने के कुछ दिन बाद ही स्वेतलाना तीखानोव्स्कया ने बेलारूस छोड़ दिया था. वो लिथुआनिया चली गई थीं. चुनाव से पहले स्वेतलाना ने 'खतरे' की वजह से अपने बच्चों को भी लिथुआनिया भेज दिया था. स्वेतलाना ने चुनाव नतीजों के बारे में अधिकारियों से शिकायत करने की कोशिश की थी. हालांकि, उन्हें कई घंटों के लिए हिरासत में ले लिया गया था. जिसके बाद उन्होंने देश छोड़ दिया था. उनके कैंपेन के लोगों का कहना है कि उन्हें जाने के लिए मजबूर किया गया था.
इस वीडियो के बाद ऐसा लगा था कि प्रदर्शन शांत हो जाएंगे और एलक्जेंडर लुकाशेंको की मुश्किलें खत्म हो जाएंगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. बल्कि स्वेतलाना तीखानोव्स्कया की वापसी और विरोध की आवाज तेज होती गई. फिर 17 अगस्त को तीखानोव्स्कया ने एक और वीडियो जारी किया और संदेश दिया कि वो बेलारूस का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने अधिकारियों से लुकाशेंको का साथ छोड़ने की भी अपील की थी. स्वेतलाना ने यूरोप से लुकाशेंको के दोबारा चुने जाने को मान्यता न देने की अपील की है.
जो स्वेतलाना तीखानोव्स्कया राजनीति से दूर शिक्षा को अपना पेशा मान चुकी थीं, वो अब बेलारूस में बदलाव का चेहरा बन गई हैं. पति के जेल जाने के बाद मुख्य विपक्षी उम्मीदवार बनीं स्वेतलाना का चुनावी कैंपेन तीन कैंपेन का मिश्रण था. एक उनके पति सर्गी, दूसरा पूर्व बैंकर विक्टर बाबरीका और तीसरा अमेरिका में बेलारूस के पूर्व राजदूत वैलेरी सेपकलो का. बाबरीका को जेल में डाल दिया गया था और वैलेरी मॉस्को भाग गए थे.
एलक्जेंडर लुकाशेंको चुनाव भले ही जीत गए हों, लेकिन जो लोकप्रिय विद्रोह उनके खिलाफ खड़ा हुआ है वो उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है. लुकाशेंको दावा कर रहे हैं कि उन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सैन्य मदद की पेशकश की है. लेकिन क्षेत्रीय राजनीति के समीकरण और एक्सपर्ट्स का मानना है कि पुतिन अगर मदद करते भी हैं तो वो लुकाशेंको को कमजोर हालत में देखना ज्यादा पसंद करेंगे.
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