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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को गलत बताया है, जिसमें उन्होंने संगठन पर आरोप लगाते हुए कहा था कि WHO ने ताइवान की चेतावनी को नजरअंदाज किया. अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने WHO पर ताइवान की चेतावनी नजरअंदाज कर राजनीति को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया था.
ट्रंप ने WHO की फंडिंग रोकने के भी धमकी दी थी. दुनियाभर में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका है, जहां इसके केस 4 लाख का आंकड़ा पार कर गए हैं. अमेरिका में 16,000 से ज्यादा लोगों की COVID-19 से मौत हो चुकी है.
अमेरिका ने गुरुवार को कहा था कि ये परेशान करने वाला है कि ताइवान की जानकारी ग्लोबल हेल्थ कम्युनिटी से छिपाई गई, जैसा कि WHO के 14 जनवरी, 2020 के बयान में लिखा था कि आदमी-से-आदमी ट्रांसमिशन का कोई संकेत नहीं था.
WHO ने AFP न्यूज एजेंसी को भेजे एक ईमेल में इन आरोपों से इनकार किया. WHO ने कहा कि उसने 31 दिसंबर को ताइवान के प्रशासन से एक ईमेल मिला, जिसमें "वुहान में एटिपिकल न्यूमोनिया के केसों की प्रेस रिपोर्ट और वुहान अधिकारियों का मानना था कि "ये SARS" या सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम नहीं है, जिसके कारण 2002-2003 में 774 लोगों की जान चली गई थी" बात लिखी थी. WHO ने कहा कि उस मेल में आदमी-से-आदमी ट्रांसमिशन की कोई बात नहीं लिखी थी.
WHO के डायरेक्टर-जनरल टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने विश्व नेताओं से वायरस पर राजनीति नहीं करने की अपील की है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के सेक्रेटरी-जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने भी WHO का समर्थन करते हुए कहा कि ये 'जरूरी संगठन' की आलोचना करने का समय नहीं है.
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