advertisement
वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक में मौत के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है. दोनों देशों के बीच यूं तो रिश्तों में दरार 1979 ईरानी क्रांति के बाद से कभी भर नहीं पाई, लेकिन ऐसे हालात शायद तब भी नहीं थे. ईरान जहां अमेरिकी सेना को 'आतंकी संगठन' घोषित कर चुका है, वहीं डोनाल्ड ट्रंप लगातार ईरान को कार्रवाई ना करने की चेतावनी दे रहे हैं.
ईरान के सुप्रीम लीडर से लेकर राष्ट्रपति हसन रूहानी तक सुलेमानी की मौत का बदला लेने की बात कह चुके हैं. आर्थिक तौर पर बेहद खराब दौर का सामना कर रहा ईरान, अमेरिका को ललकार रहा है. तो सुलेमानी की मौत से ईरान को ऐसा क्या नुकसान हुआ है जिसके लिए वो दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क से भिड़ने को तैयार है.
करीब 20 साल तक ईरान की कुद्स फोर्स के चीफ रहने के दौरान कासिम सुलेमानी ज्यादातर पर्दे के पीछे रहे थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में उन्हें ईरान और उसके साथी देशों में एक 'हीरो' का स्टेटस मिल गया था. कई मौकों पर सुप्रीम लीडर के साथ पब्लिक में देखे जा चुके सुलेमानी ईरान की विदेश नीति तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते थे. मिडिल ईस्ट में ईरान का जो वर्चस्व अभी है, उसका श्रेय सुलेमानी को ही जाता है.
मिडिल ईस्ट में अमेरिका के सऊदी अरब और इजरायल जैसे प्रभावशाली साथी होने के बावजूद ईरान का रीजन में इतना प्रभाव होना सुलेमानी का ही करिश्मा था. अपने इतने महत्वपूर्ण जनरल की मौत से ईरान में इस कदर बवाल मचना सामान्य लगता है.
उस समय इराक में अमेरिकी सेना के टॉप कमांडर डेविड पेट्रिअस को सुलेमानी ने एक मैसेज भेजा था. पेट्रिअस के मुताबिक सुलेमानी ने लिखा था, "आपको पता होना चाहिए कि मैं ईरान की इराक, लेबनान, गाजा और अफगानिस्तान के लिए पॉलिसी को कंट्रोल करता हूं." ईरान में सुलेमानी को भले ही 'हीरो' माना जाता था, लेकिन अमेरिका ने उन्हें उस शख्स के रूप में देखा जिसने उसकी इराक पॉलिसी कभी कामयाब नहीं होने दी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)