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भारत (India) के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार, 18 सितंबर को महिला आरक्षण विधेयक (Women's Reservation Bill) को मंजूरी दे दी. ऐसे में अब माना जा रहा है कि संसद के विशेष सत्र में ये बिल सरकार लेकर आ सकती है, जिससे संसद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी. आइए जानते हैं कि दुनिया भर की संसदों में महिलाओं की क्या स्थिति है लेकिन उससे पहले ये जानते हैं कि मौजूदा वक्त में भारत की संसद में महिलाओं की भागीदारी क्या है?
2019 के लोकसभा चुनाव में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 का 15 फीसदी से भी कम है. 17वीं लोकसभा में अब तक (उपचुनाव के आंकड़े जोड़कर) सबसे अधिक 82 महिला सांसद हैं. यह कुल लोकसभा सदस्य संख्या का लगभग 15.21 फीसदी है.
2022 में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्यसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 14 फीसदी है.
2014 में यानी 16वीं लोकसभा में, 68 महिला सांसद थीं, जो सदन की कुल ताकत का 11.87 फीसदी थीं.
2019 के लोकसभा चुनाव के मुताबिक 47.27 करोड़ पुरुष और 43.78 करोड़ महिला मतदाता हैं. 2019 के चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी 67.18 फीसदी थी, जो पुरुषों की भागीदारी (67.01 फीसदी) से ज्यादा थी.
संसद में महिला सांसदों की संख्या के मामले में सबसे आगे अफ्रीकी देश रवांडा है. यहां 60 फीसदी से ज्यादा सीटों पर महिला सांसदों का कब्जा है. साल 2008 में रवांडा महिला-बहुमत संसद वाला पहला देश बना था.
इसके बाद नंबर आता है, क्यूबा (53%) और निकारागुआ (52%) का, जहां की संसद में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है.
न्यूजीलैंड, मैक्सिको और संयुक्त अरब अमीरात में महिला-पुरुष का अंतर समान है, जबकि आइसलैंड, कोस्टा रिका, स्वीडन और दक्षिण अफ्रीका भी इससे ज्यादा दूर नहीं हैं.
context.news की रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात में 2006 से पहले संघीय राष्ट्रीय परिषद (Federal National Council) में कोई महिला नहीं थी, लेकिन राष्ट्रपति के आदेश के बाद 2019 में लैंगिक समानता हासिल की गई.
IPU के महासचिव मार्टिन चुंगॉन्ग के मुताबिक मौजूदा दर पर बाकी दुनिया को इसकी बराबरी करने में 80 साल लग सकते हैं.
अमेरिकी कांग्रेस में कुल 535 सदस्य हैं, जिसमें 100 अमेरिकी सीनेट में हैं. 7 मार्च, 2023 तक अमेरिका के प्रतिनिधि सभा में 125 महिलाएं थीं (चार महिला गैर-मतदान प्रतिनिधि शामिल नहीं), इसी के साथ महिलाओं का कुल आंकड़ा 28.7% हो गया है. यह आंकड़ा अमेरिका के इतिहास में सबसे ज्यादा प्रतिशत है, जो एक दशक पहले की तुलना में काफी बढ़ोतरी हुई है.
अगस्त 2023 तक हाउस ऑफ कॉमन्स में 223 महिलाएं थीं, जो अब तक की तीसरी सबसे ज्यादा संख्या है. ब्रिटेन की संसद में कुल 650 सदस्य हैं. यह पहली बार है कि हाउस ऑफ कॉमन्स में महिला प्रतिनिधित्व एक तिहाई से ज्यादा हैं.
statista की रिपोर्ट के मुताबिक 1958 से 2022 तक फ्रेंच नेशनल असेंबली में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ती-घटती रही है. 1958 में, फ्रांस की नेशनल असेंबली में 1.5 प्रतिशत से भी कम सदस्य महिलाएं थीं. 2017 में फ्रेंच नेशनल असेंबली के सभी सदस्यों में लगभग 39 प्रतिशत महिलाएं थीं. 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद महिलाओं का आंकड़ा केवल 37.3 फीसदी हो गया.
दक्षिण अफ्रीका में संसद की मौजूदा संरचना के मुताबिक नेशनल असेंबली में 46 फीसदी महिला प्रतिनिधि शामिल हैं और नेशनल काउंसिल ऑफ प्रोविंस में 36 फीसदी महिला प्रतिनिधि हैं. 2019 के चुनावों के बाद, प्रांतीय स्तर पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व 30 फीसदी से बढ़कर 43 फीसदी हो गया.
जनवरी 2023 तक, रूस की संसद या संघीय विधानसभा में महिला प्रतिनिधित्व उपलब्ध सीटों की कुल संख्या का 18.3 प्रतिशत दर्ज किया गया. संसद के निचले सदन स्टेट ड्यूमा (State Duma) में 16.7 प्रतिशत सीटों पर महिलाओं का कब्जा है. 2014 के बाद से रूस में राष्ट्रीय संसदों में महिलाओं की हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ी है.
राष्ट्रीय संसदों के वैश्विक संगठन इंटर-पार्लियमेंट्री यूनियन (IPU) के मुताबिक दुनिया भर में हर चार में से एक से ज्यादा सांसद महिलाएं हैं, जो 2011 के डेटा (पांच में से एक या एक से ज्यादा) के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है. पिछले दिनों मार्च में आई इस रिपोर्ट के मुताबिक इतिहास में पहली बार, दुनिया भर की हर संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया गया है.
यह रिपोर्ट पिछले साल चुनाव कराने वाले 47 देशों के आंकड़ों पर आधारित है, जो दिखाती है कि दुनिया में 2020 की तुलना में प्रतिनिधि निकायों में पुरुष प्रभुत्व में कमी हो रही है.
UN Women ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी 2023 तक 11.3 फीसदी देशों में महिला राष्ट्र प्रमुख हैं (151 देशों में से 17, राजशाही-आधारित प्रणालियों को छोड़कर) और 9.8 फीसदी देशों में महिला शासन प्रमुख हैं (193 में से 19).
यह एक दशक पहले की तुलना में बढ़ोतरी हुई है, जब आंकड़े क्रमशः 5.3 फीसदी और 7.3 फीसदी थे. बता दें कि यूरोप में महिलाओं के नेतृत्व वाले देशों की संख्या सबसे ज्यादा (16) है.
डोमिनिका, चाड, माली और उज्बेकिस्तान ने भी हाल के वर्षों में अहम तरक्की की है.
सिएरा लियोन (Sierra Leone) में महिलाओं के पास 13% सीटें हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में सरकारी मंत्रियों में से पांचवे नंबर पर कोई महिला है, और उन्हें आम तौर पर स्वास्थ्य, परिवार, सामाजिक मामलों या पर्यावरण से जुड़े विभाग दिए जाते हैं.
जिन देशों ने महिला-बहुमत या समान-लिंग वाली कैबिनेट बनाई है, उनमें स्पेन, अल्बानिया, कोलंबिया, रवांडा, कनाडा और फ्रांस शामिल हैं.
1 जनवरी 2023 तक कैबिनेट मंत्रियों में 22.8 प्रतिशत महिलाएं प्रतिनिधित्व करती हैं. यूरोप और उत्तरी अमेरिका (31.6 प्रतिशत) और लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई (30.1 प्रतिशत) कैबिनेट में महिलाओं की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी वाले क्षेत्र हैं.
हालांकि, ज्यादातर अन्य क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व गंभीर रूप से कम है, जो मध्य और दक्षिणी एशिया में 10.1 प्रतिशत और प्रशांत द्वीप समूह (ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को छोड़कर ओशिनिया) में 8.1 प्रतिशत तक गिर गया है.
केवल 13 देशों में (ज्यादातर यूरोप में) महिलाओं और पुरुषों की संख्या मंत्रीमंडल में एक समान है. इनमें 50 प्रतिशत या ज्यादा महिला कैबिनेट सदस्य मंत्रालयों की प्रमुख हैं.
9 देश (ज्यादातर ओशिनिया और पश्चिमी एशिया में हैं) ऐसे हैं, जहां मंत्रालयों का नेतृत्व करने वाली कोई महिला कैबिनेट सदस्य नहीं है.
कई देशों ने महिलाओं के प्रतिनिधित्व में अहम प्रगति की है, इसमें ऑस्ट्रेलिया भी शामिल है. यहां की सीनेट में महिलाओं ने रिकॉर्ड 56.6% सीटें जीती हैं.
दूसरी ओर अगर यूरोप की बात करें तो, पिछले साल जिन पंद्रह यूरोपीय देशों में संसदीय चुनाव हुए, उनमें महिलाओं के प्रतिनिधित्व में कोई खास बदलाव नहीं हुआ और यह 31% पर ही रहा. European Institute for Gender Equality के आंकड़ों के मुताबिक 2017 के मध्य से महिलाओं का संसदीय प्रतिनिधित्व 30 से 33% के बीच स्थिर रहा है.
यमन के निचले सदन में कोई महिला नहीं है और ऊपरी सदन में सिर्फ एक महिला सांसद है.
वानुअतु (Vanuatu) की संसद ने पिछले साल एक अकेली महिला सांसद बनी, जो 2008 के बाद पहली बार था.
नाइजीरिया (3.6%), कतर (4.4%) और ईरान (5.6%) सहित 20 से ज्यादा देशों में महिलाओं के पास 10 फीसदी से भी कम सीटें हैं.
1960 में दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री होने के बावजूद, श्रीलंका एक और पिछड़ा देश है, जहां पिछले 25 वर्षों से संसद में लगभग 5% महिलाएं हैं.
जापान में 2022 में रिकॉर्ड संख्या में महिलाएं चुनी गईं, फिर भी उनके पास निचले सदन में केवल 10% सीटें हैं, जो अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से काफी कम है.
एक तरफ दुनिया के ज्यादातर देशों में संसद के अंदर महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी के साथ सुधार हो रहा है, तो वहीं कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां की संसद में महिलाओं की संख्या में कमी आ रही है. इस लिस्ट में अल्जीरिया और ट्यूनीशिया सबसे आगे हैं.
साल 2021 में अल्जीरिया की कोटा प्रणाली में बदलाव के बाद संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 26% से घटकर 8% हो गई.
ट्यूनीशिया में हाल ही में हुए चुनाव के बाद महिला सांसदों की संख्या घटी है.
अल्जीरिया की तरह, ट्यूनीशियाई महिलाओं का कहना है कि चुनावी प्रणाली में बदलाव ने उनके लिए चुनाव लड़ना और सीटें जीतना कठिन बना दिया है.
अफगानिस्तान में, तालिबान समूह ने 2021 में देश पर कब्जा करने के बाद से महिलाओं को पब्लिक लाइफ से लगभग हटा ही दिया है. तालिबान के कब्जे से पहले देश की नेशनल असेंबली में 27% सीटें थीं. कई पूर्व महिला सांसद देश छोड़कर भाग गई हैं.
(इनपुट्स- IPU, context.news, euronews, unwomen.org, World Bank)
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