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Xi Jinping तीसरी बार बने राष्ट्रपति-नई स्टैंडिंग कमिटी से क्या संदेश दे रहा चीन?

शी जिनपिंग के शासनकाल में क्या उग्र राष्ट्रवाद की ओर बढ़ रहा चीन?

उपेंद्र कुमार
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>Xi Jinping तीसरी बार बने राष्ट्रपति, क्या उग्र राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ रहा चीन?</p></div>
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Xi Jinping तीसरी बार बने राष्ट्रपति, क्या उग्र राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ रहा चीन?

(फोटो: क्विंट)

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शी जिनपिंग तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति चुने गए हैं. कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में उन्हें एक बार फिर पार्टी का महासचिव बनाया गया. यह लगातार तीसरी बार है जब शी जिनपिंग पार्टी के प्रमुख चुने गए हैं. अब वो अगले पांच साल तक इस पद पर बने रहेंगे. एक दशक से सत्ता में बने शी जिनपिंग ने तीसरी बार सत्ता में आकर कई दशकों से चला आ रहा रिकॉर्ड तोड़ दिया है और इतिहास बनाया है. उन्होंने अब माओ त्से तुंग की बराबरी कर ली है.

शी जिनपिंग ने पार्टी का नेता चुने जाने के बाद अपने संबोधन में कहा कि मुझ पर भरोसा जताने के लिए आप सभी का शुक्रिया. देश ने अब तक काफी कुछ हासिल किया है और अब हम हर तरह से चीन को एक आधुनिक समाजवादी देश बनाने की ओर अग्रसर होंगे.

जिनपिंग ने नई स्टैंडिंग कमेटी का भी किया गठन

बता दें, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ त्से तुंग के निधन के बाद कोई भी नेता तीसरी बार सत्ता में नहीं पहुंचा. शी जिनपिंग ने पार्टी का प्रमुख चुने जाने के बाद अपनी नई स्टैंडिंग कमेटी का भी ऐलान किया है. शी जिनपिंग की टीम में ली कियांग, शाओ लेजी, वांग ह्यूनिंग, काई की, डिंग शेशियांग और ली शी शामिल हैं. इनमें से ली कियांग नए प्रधानमंत्री बनाए गए हैं. उन्होंने ली केकियांग की जगह ली है.

शी जिनपिंग के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद जिनपिंग देश के सर्वोच्च नेता बन गए हैं. इसके साथ ही वो केंद्रीय सैन्य कमीशन यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और पीपुल्स आर्म्ड पुलिस के चेयरमैन भी बन गए हैं.

जिनपिंग के कार्यकाल में उग्र राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ रहा चीन?

शी जिनपिंग सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रवादी भावना में एक विस्फोट देखा जाता है. शी जिनपिंग की सरकार यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि चीन का समय अब आ गया है. ऐसे में इस देश के साथ खिलवाड़ करने वाले खुद को ही खतरे में डालेंगे.

इसके कई उदाहरण भी देखे जा सकते हैं. ताजा उदाहरण अमेरिकी सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे का है, जिसका विरोध करते हुए चीन ने अमेरिका से साफ-साफ दो टूक में कह दिया था कि अमेरिका आग से न खेले जल जाएगा.

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दूसरा उदाहरण शनिवार को चुनी गई कम्युनिस्ट पार्टी कमिटी की 205 सदस्यीय सेंट्रल कमेटी की बनावट से भी चलता है. नई सेंट्रल कमेटी में न तो प्रधानमंत्री ली केकियांग शामिल हैं और न ही वांग यांग हैं. आ​र्थिक एजेंडे के मामले में इन दोनों को 'लिबरल' माना जाता है. साथ ही इन दोनों को वैचारिक तौर पर पहले वाले शासन से प्रभावित बताया जाता है. नई बनी पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी में भी वे लोग ही हैं, जो शी जिनपिंग के वफादार माने जाते हैं. शनिवार को चीन का भविष्य तय करने वाले शी जिनपिंग के विचारों को मंजूर करते हुए पार्टी के संविधान में बदलाव कर दिए गए.

दरअसल, चीन में 1980 के बाद सर्वोच्च पद पर 10 साल के कार्यकाल का नियम बनाया गया था. हालांकि, जिनपिंग को 5 वर्षों तक और सत्ता में रखने के लिए इस नियम को किनारे कर दिया गया.

चीन के प्रमुख नेता और पोलितब्यूरो की स्टैंडिंग समिति के सदस्य

  • शी जिनपिंग- राष्ट्रपति, पार्टी महासचिव

  • ली जांशू- चेयरमैन, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस

  • ली केचियांग- सेंट्रल गवर्नमेंट प्रीमियर

  • हान जेंग- वाइस प्रीमियर

  • वांग हूनिंग- राजनीतिक विचारक

  • जाओ लेजी- भ्रष्टाचाररोधी शाखा प्रमुख

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