ADVERTISEMENTREMOVE AD

Xi Jinping का फ्यूचर प्लान : ताइवान, गलवान के बाद कहां रुकेगा चीन का घोड़ा?

Xi Jinping address to the 20th CCP: दो घंटे के भाषण से चीन के खतरनाक मंसूबों का पता चलता है

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

शी जिनपिंग ने 16 अक्टूबर को बीजिंग में 20वीं कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस (सीसीपी) को संबोधित किया. प्रबल राष्ट्रवादी बयानबाजी, घरेलू और बाह्य दोनों मोर्चे पर आक्रामक रुख, ताइवान और विवादित क्षेत्रों पर शक्ति प्रदर्शन. मौजूदा विश्व व्यवस्था की अवहेलना चीन को कथित तौर पर प्राथमिक रूप से लाभ हुआ और महामारी के बीच चीन के 'कायाकल्प' के लिए भव्य योजनाएं और यूक्रेन संकट उनके संबोधन की विशेषता रही.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

शी जिनपिंग ने लगभग दो घंटे तक अपना भाषण पढ़ा जिसमें उन्होंने चीनी लोगों का आह्वान किया कि वे सीसीपी (CCP) के विकास के लिए, इसकी आकांक्षाओं और "संस्थापक मिशन" को पूरा करने के लिए और बलिदान दें. इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि अगर चीन के लोग 2027 में सशस्त्र बलों और 2049 में पीपुल्स रिपब्लिक के आने वाले शताब्दी वर्ष को देखना चाहते हैं तो वे पार्टी और सरकार की सेवा करें.

इसके अलावा शी ने यह भी निर्देश दिया कि देश को "गंभीर, जटिल अंतर्राष्ट्रीय विकास और अत्यधिक जोखिमों और चुनौतियों की एक श्रृंखला का प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए."

बेशक इनमें से कई चीन द्वारा ही निर्मित हैं, जिनमें कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति और इसके प्रसार के साथ क्षेत्रीय आक्रामक रुख शामिल है. जबकि हाल ही में यूक्रेन पर रूस द्वारा हमला किया गया जिससे काफी तबाही हुई और नई राजनीतिक स्थिति के साथ-साथ खाद्य, ईंधन और उर्वरकों का संकट पैदा हो गया.

CCP में शी का राष्ट्रवादी एजेंडा

पिछले साल नए सुरक्षा कानून के पारित होने और लागू होने के बाद हांगकांग में जो बदलाव हुआ उस पर शी जिनपिंग ने संतोष व्यक्त किया. उस कानून का उद्देश्य किसी भी असंतोष को रोकना है. अमेरिकी नेता नैन्सी पेलोसी की ताइपे यात्रा के जवाब में हाल ही में चीनी सैन्य अभ्यास के बाद ताइवान पर उनकी टोन, उनके पिछले कांग्रेस के "six nos" और पिछले जुलाई में "सिर तोड़ने" के सीसीपी शताब्दी के भाषण की याद ताजा करती थी.

बल के प्रयोग से इंकार किए बिना शी जिनपिंग ने "चीन के पूर्ण एकीकरण के लिए एक रणनीतिक पहल" का आह्वान किया. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने ने सुझाव दिया कि "चीन के मुद्दों को चीन के लोगों द्वारा चीन के संदर्भ को देखते हुए निपटाया जाना चाहिए." उनका यह सुझाव ताइवान के राष्ट्रपति डॉ साई इंग-वेन की स्थिति के विपरीत है कि ताइवान के मुद्दों को ताइवानियों द्वारा निपटाया जाना चाहिए.

"ब्लैकमेल करने, रोकने, नाकाबंदी करने और चीन पर अधिकतम दबाव डालने के बाह्य प्रयास" को बताकर शी ने एक धूमिल विदेश नीति, कब्जा करने वाली मानसिकता को चित्रित किया.

यह ऐसे समय में हो रहा है जब हालिया आधिकारिक आकलन बताते हैं कि अमेरिका का प्रभाव कमजोर पड़ रहा है, वहीं हाल के टैरिफ युद्धों और सेमीकंडक्टर प्रतिबंध के बावजूद चीन का अमेरिका और अन्य देशों के साथ व्यापार और निवेश फल-फूल रहा है.
0

संकट से निपटने के लिए चीन की योजनाएं

इस तरह का मूल्यांकन सेनकाकू द्वीपों के प्रति चीन के दंबग रुख, दक्षिण चीन सागर के विवादों और भारत-चीन सीमा क्षेत्रों पर आक्रामकता को भी छुपाता है. महत्वपूर्ण रूप से एक मुखर मुद्रा में शी ने सुझाव दिया कि "विदेशी प्रतिबंधों और दखलांदाजी का मुकाबला करने के लिए एक तंत्र विकसित किया जाए और लॉन्ग-आर्म ज्यूरिडिक्शन को मजबूत किया जाए."

राष्ट्र के सशस्त्र बलों और राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र की सहायता से "शांतिपूर्ण चीन" का निर्माण शी के भाषण का एक और महत्वपूर्ण संदेश है.

हैरानी की बात यह है कि शी की सबसे कड़वी आलोचना सीसीपी के भीतर घरेलू राजनीतिक गुटों के प्रतिद्वंद्वियों को लेकर थी. अपने झुंड की रक्षा करते हुए उनमें से कई को उन्होंने 1.5 मिलियन "बाघ," "मक्खियों," और "लोमड़ियों" के खिलाफ शुरू किए गए सांप्रदायिक और क्रूर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के माध्यम से नष्ट कर दिया.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

शी का आंतरिक नेतृत्व पर सवाल

शी ने सीसीपी सदस्यों के बीच कुछ "निहित स्वार्थ" की आलोचना करते हुए कहा कि "व्यवहार या प्रैक्टिस में पार्टी का नेतृत्व कमजोर, खोखला और कम प्रभावी होता जा रहा है." आलोचनात्मक शब्दों में शी ने कहा : "बार-बार चेतावनी देने के बावजूद, कुछ इलाकों और विभागों में व्यर्थ की औपचारिकताएं, नौकरशाही, उपभोगवाद (सुखी जीवन) और फिजूलखर्ची बनी रही. विशेषाधिकार प्राप्त करने वाली मानसिकता और व्यवहार की वजह से गंभीर समस्या पैदा हुई और भ्रष्टाचार के कुछ बेहद चौंकाने वाले मामले सामने आए."

शी उन पार्टी सदस्यों पर भी निशाना साध रहे थे "जो पैसों की पूजा, उपभोगवाद (सुखी जीवन), अहंकार जैसी सोच के पथभ्रष्ट पैटर्न के साथ थे और जिनके लिए ऐतिहासिक शून्यवाद या नास्तिकवाद आम था और जिनके ऑनलाइन लेख / प्रवचन विकारों से भरे हुए थे." सामान्य तौर पर जियांग जेमिन और हू जिंताओ जैसे पिछले नेताओं के प्रभाव को कम करने के लिए, शी को उन्हें बदनाम करना होगा ताकि वे लगभग दो दशक पहले के प्रांतीय स्टिंग के बाद से अपने "न्यू झिजियांग आर्मी" के फॉलोवर्स का समर्थन कर सकें.

शी जिस दृष्टिकोण की तरफ इशारा करते हैं वह यह है कि "लोग देश चलाते हैं.", हालांकि उनकी तरफ से कोई स्पष्ट संस्थागत संरचना और प्रक्रियाओं का उल्लेख नहीं किया गया और इस प्रकार प्रकृति में बयानबाजी बनी हुई है और इस तरह उनके भाषण की प्रकृति अलंकारिक बनी रही. पिछले कुछ वर्षों में ग्राम स्तर के चुनाव हुए थे, लेकिन सीसीपी का संगठनात्मक ढांचा इससे अछूता ही रहा.. इस समय 20वें सीसीपी में 2,296 प्रतिनिधि हैं, जिन्हें 96 मिलियन कैडर द्वारा चुना गया है, न कि 1.47 बिलियन लोगों द्वारा.

CCP में भारत-चीन समीकरण

हालांकि शी द्वारा प्रस्तुत कार्य रिपोर्ट में भारत का उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन पांच व्यापक क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा सकता है. सबसे पहले, शी का यह दावा कि "एक सदी में नहीं देखे गए महत्वपूर्ण परिवर्तन दुनिया भर में तेजी से हो रहे हैं." और यह कि "अंतर्राष्ट्रीय शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है, जिससे चीन को कई रणनीतिक अवसर मिल रहे हैं." यह भारत के लिए दो संभावनाओं को दर्शाता है.

पहला- ब्रिक्स, एससीओ और अन्य प्लेटफार्मों जैसे बहुध्रुवीय घटनाओं में भारत और अन्य सरकारों के साथ अस्थायी सहयोग, विशेष रूप से रॅन्मिन्बी अंतर्राष्ट्रीयकरण प्रक्रिया में और अमेरिका का विरोध या सीमाओं पर और हिंद महासागर क्षेत्र में संघर्ष को तेज करने का जोखिम.

दूसरा- यह पहले वाले से संबंधित है. शी ने कार्य रिपोर्ट में पीएलए के आधुनिकीकरण और "चीन की गरिमा और मूल हितों की रक्षा" की बात पर जोर दिया. अन्य देशों की तरह भारत पर भी इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है. शी के संबोधन में सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के विषयों का 73 बार उल्लेख किया गया है.

यह बल प्रयोग करने, बल प्रयोग करने की धमकी देने और प्रतिरोध क्षमताओं को बढ़ाने पर निरंतर ध्यान देने की ओर इशारा करता है. भले ही चीन ने पहले विश्वास-निर्माण उपायों (CBM : confidence-building measures)और सीमा स्थिरता का पालन करने का वादा किया था, लेकिन जून 2020 में गलवान की घटना में चीन द्वारा पारंपरिक प्रतिरोध क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया था.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

गलवान सीमा विवाद, जिसने लोगों का काफी ध्यान खींचा

तीसरा- 20वीं सीसीपी कांग्रेस में गलवान झड़प में हिस्सा लेने वाले क्यूई फैबाओ की उपस्थिति के अलावा चीन में मुख्यधारा के मीडिया में गलवान से संबंधित वीडियो के प्रसार से पता चलता है कि 2020 के सीमा संघर्ष की आग शांत नहीं हुई है, बल्कि भविष्य के लिए उसे जीवित भी रखा जा रहा है.

चौथा- शी का यह दावा कि "लोगों और उनके जीवन को सबसे ऊपर" रखने के लिए "पीपुल्स वॉर" की "डायनेमिक जीरो कोविड" पॉलिसी सही है. इसका यह मतलब है कि सीमा नियंत्रण में जल्द ही ढील नहीं दी जाने वाली है- जिससे हजारों भारतीय छात्रों और व्यवसायों को कठिनाई हो रही है. चीन अपने लाभ के लिए इनमें चुनिंदा रूप से ढील दे सकता है लेकिन द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है.

अंत में, शी की एस एंड टी और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने के प्लान से अमेरिका, भारत और अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा पैदा हो सकती है. 'मेड इन चाइना 2025' के साथ पहले से ही चीन ने अमेरिका पर नजर रखी हुई है. जबकि इसके 14वें पंचवर्षीय प्लान में ग्यारह क्षेत्रों जैसे व्यापार, उच्च तकनीक निर्माण, डिजिटलीकरण, साइबर स्पेस, खेल, संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा है. लेकिन विडंबना यह है कि इनमें से अधिकतर इनपुट अमेरिका और अन्य विकसित देशों से प्राप्त हुए हैं.

(श्रीकांत कोंडापल्ली, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीन हैं. इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×