Die Hard Star Bruce Willis: हॉलीवुड स्टार और एक्शन हीरो ब्रूस विलिस (Bruce Willis) को 'फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया'(Frontotemporal Dementia) नाम की बीमारी होने की बात उनके परिवार वालों ने बताई है. ब्रूस विलिस (Bruce Willis) ने अपने एक्टिंग करियर से संन्यास ले लिया था. ब्रूस के परिवार ने मार्च 2022 में 'एफासिया' (Aphasia) बीमारी के बारे में जानकारी दी थी. वहीं, जब ब्रूस ने फिर से अपना चेकअप कराया तब उन्हें इस गंभीर बीमारी के बारे में पता चला. फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया (FTD) एक स्थायी, जीवन भर चलने वाली स्थिति है.

आइए जानते हैं क्या है फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया (FTD), इसके लक्षण, कारण और रिस्क के बारे में.

ब्रूस विलिस 'फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया'(Frontotemporal Dementia) की समस्या से ग्रसित हैं. ये बीमारी डिमेंशिया के प्रकारों में से एक है.

(फोटो:फिट हिंदी/नमिता चौहान)

फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया अल्जाइमर से थोड़ा अलग है. फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया  मुख्य रूप से दिमाग के फ्रंटल और टेम्पोरल लोब्स को प्रभावित करता है. वहीं अल्जाइमर रोग आमतौर पर दिमाग के अधिकांश हिस्से को प्रभावित करता है.

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फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (FTD) एक असामान्य स्थिति है लेकिन काफी अच्छी तरह से जाना जाता है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि यह प्रत्येक 100,000 में से 15 से 22 लोगों को होती है. यानी दुनिया भर में 1.2 मिलियन से 1.8 मिलियन लोग इससे प्रभावित होते हैं.

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फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया(Frontotemporal Dementia) आमतौर पर व्यक्तित्व और व्यवहार से जुड़े क्षेत्र को प्रभावित करता है.

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फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया 50 से 80 वर्ष की आयु के लोगों को प्रभावित करता है. यह उम्र से जुड़ी स्थिति है लेकिन यह आपके दिमाग को प्रभावित करने वाली अधिकांश उम्र से जुड़ी स्थितियों की तुलना में जल्दी शुरू होती है. फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया होने की औसत आयु 58 होती है.

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फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया अर्ली और मिडल स्टेज में आपके दिमाग के फ्रंटल और टेम्पोरल लोब को प्रभावित करता है. 

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फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (FTD) जब फ्रंटल और टेम्पोरल लोब को प्रभावित करता है तब आप कुछ क्षमताओं को खो देते हैं क्योंकि उन क्षेत्रों में न्यूरॉन्स काम करना बंद कर देते हैं. जैसे कि याददाश्त, निर्णय लेना, बोलना और सुनना, बात समझना, खुद पर कंट्रोल, इमोशनल एक्सप्रेशन.

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फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (FTD) के लक्षण सभी में एक जैसे नहीं होते हैं. इसकी वजह से कुछ लोग अधिक चिड़चिड़े तो कुछ शांत हो जाते हैं. बात-बात पर गुस्सा आना, लोगों की भावनाओं को नहीं समझना, अपने हाइजीन का ध्यान नहीं रखना, सोशल डिस्टेंस बना लेना, लोगों को दुख पहुंचाने वाली बातें बोल देना, कोई मोटिवेशन नहीं रहना जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं. 

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फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (FTD) अप्रत्याशित(unpredictably) रूप से होता है, इसलिए इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है. लेकिन इसे विकसित करने के अपने जोखिम को कम करना संभव हो सकता है. FTD के विकास के जोखिम को कम करने का एकमात्र तरीका सिर की चोटों से बचना है. पहले हुए सिर की चोट होने से FTD विकसित होने का जोखिम तीन गुना से अधिक हो जाता है.

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फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (Frontotemporal Dementia) का कोई इलाज नहीं है. ये एक लाइलाज स्थिति है.

(फोटो:फिट हिंदी/नमिता चौहान)

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