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G20 Summit से पहले दिल्ली की झुग्गियों पर पर्दा, शहर छोड़ने को मजबूर गरीब| Photos

G20 Summit से पहले दिल्ली को 'सजाया' जा रहा है और झुग्गियों को हरी चादरों के पीछे छिपाया जा रहा है.

ऋभु चटर्जी & प्रणय दत्ता रॉय
तस्वीरें
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<div class="paragraphs"><p>PHOTOS | 'गरीबी से शर्मिंदा': G20 से पहले दिल्ली की झुग्गियों को छिपाया जा रहा है</p></div>
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PHOTOS | 'गरीबी से शर्मिंदा': G20 से पहले दिल्ली की झुग्गियों को छिपाया जा रहा है

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

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आगामी G20 शिखर सम्मेलन 2023 की तैयारियां नई दिल्ली में जोरों पर हैं. राष्ट्रीय राजधानी में 9-10 सितंबर को होने वाले इस हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम ने पूरे दिल्ली में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं, क्योंकि दिल्ली कई राष्ट्राध्यक्षों की मेजबानी के लिए तैयार हो रही है. लेकिन ये तैयारियां अब सवाल खड़े कर रही हैं कि ये बदलाव  किस कीमत पर हो रहा है? 

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

केंद्र सरकार ने दिल्ली में सौंदर्यीकरण परियोजना शुरू की है, जिसमें सड़कों का नवीनीकरण, अंडरपास का निर्माण और दीवारों पर बड़ी-बड़ी तस्वीरें पेंट करना शामिल हैं. इस सब के कारण दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों का विस्थापन हुआ है, साथ ही जिन क्षेत्रों में वे रहते हैं उन्हें प्लास्टिक शीट और फ्लेक्स बोर्ड से ढक दिया गया है.

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

सूरत और दीपक लाजपत नगर में मूलचंद फ्लाईओवर के नीचे रूमाल बेचते हैं. सूरत ने क्विंट हिंदी को बताया, "जी20 से ठीक पहले सुरक्षा कारणों से फ्लाईओवर के नीचे रहने वाले लोगों को वहां से हटने के लिए कहा गया है. बहुत सारे लोग राजस्थान से दिल्ली आए थे." दोनों लड़कों ने कहा कि उन्हें भी अपने मूल गांव अलीपुर जाना होगा.

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

ममता और उनके तीन लोगों का परिवार मूलचंद फ्लाईओवर के नीचे रहता है. वे वहां से गाड़ी से आने-जाने वालों से भीख मांगकर पेट भरते हैं. उन्होंने क्विंट हिंदी को बताया, "लगभग 15 दिन पहले, अधिकारी आए और फ्लाईओवर के नीचे रहने वाले हमारे पूरे समुदाय को जी20 शिखर सम्मेलन के कारण क्षेत्र खाली करने के लिए कहा." वे सभी अब राजस्थान अपने गांव के लिए निकल चुके हैं.

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

दिल्ली के कुली कैंप में स्थानीय दुकानदारों और किराना स्टोर मालिकों, ने भी एक दिन अपनी दुकानों को इसी तरह हरी चादर से ढका हुआ पाया, क्योंकि ये दुकानें उन मार्गों पर हैं जहां से जी20 नेता निकलने वाले हैं. 50 साल से अधिक समय से कुली कैंप के निवासी शंकर लाल ने क्विंट हिंदी को बताया कि "अधिकारियों ने एक हफ्ते से भी कम समय पहले इस इलाके का दौरा किया और सभी झुग्गियों और दुकानों को हरी चादर से ढक दिया."

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

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वहीं, सुनीता और मुन्ना लाल जैसे दुकानदारों के लिए, हरे रंग की चादर का मतलब है कि उनकी छोटी किराना दुकान राहगीरों की नजर से दूर हो जाती है. इससे उनकी आय का मुख्य स्रोत प्रभावित होता है. क्विंट हिंदी से बात करते हुए मुन्ना लाल ने कहा, ''गरीब भारतीयों को भगाया और छुपाया जा रहा है क्योंकि विदेशी लोग G20 के लिए भारत आ रहे हैं.''

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

साल की शुरुआत के बाद से, कई आवासीय घर और सड़क के किनारे की दुकानें भी जमींदोज हो गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

भारत में जी20 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नजरियां ये है कि वे एक आधुनिक महाशक्ति, वैश्विक दक्षिण का एक प्रमुख नेता और गरीब देशों की ओर से मुखरता से वकालत करने वाला है. हालांकि, आलोचकों का तर्क है कि सरकार देश के सबसे स्थायी मुद्दों में से एक को छुपाने के लिए जांच के दायरे में आ गई है.

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने जी20 के दौरान हो रही बेदखली के खिलाफ मई में एक सार्वजनिक सुनवाई के दौरान कहा, "जो बात मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है वह यह है कि कई राज्य जो भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं वह गरीबी से शर्मिंदा हैं. ऐसा लगता है कि वह विदेशी नेताओं की नजरों से गरीबी को दूर करने का प्रयास कर रहा है."

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

वरिष्ठ पत्रकार पामेला फिलिपोज ने भी सार्वजनिक सुनवाई में बात की और कहा, "जब आप गरीबों को छिपाने के लिए ये पर्दे लगाते हैं, तो आप आम लोगों की आजीविका तक पहुंच को भी रोक रहे हैं."

(फोटो- रिभु चटर्जी/द क्विंट)

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