<div class="paragraphs"><p>(फोटो- धनंजय कुमार/ क्विंट)</p></div>

मुंशी प्रेमचंद के घर के बाहर एक बोर्ड लगा है जो बताता है कि ये प्रेमचंद का पैतृक निवास स्थान है.

(फोटो- धनंजय कुमार/ क्विंट)

मुंशी प्रेमचंद का जन्म इसी स्थान पर हुआ था जहां ये मूर्ति बनी है. ये उनके घर का ही हिस्सा है.

(फोटो- धनंजय कुमा र/ क्विंट)

बांई ओर मुंशी प्रेमचंद का घर है, बीच में सड़क और दाई ओर मंदिर है. ये लमही गांव के बीच से गुजरने वाली मुख्य सड़क है.

(फोटो- धनंजय कुमार/ क्विंट)

मुंशी प्रेमचंद का घर, मुख्य सड़क की ओर से

(फोटो- धनंजय कुमार/ क्विंट)

मुंशी प्रेमचंद के घर के अंदर की फोटो

(फोटो- धनंजय कुमार/ क्विंट)

प्रेमचंद के घर ज्ञानचंद! ये मुंशी जी के घर के बाहर की तस्वीर है. इसपर किसी स्थानीय पार्षद प्रत्याशी ने अपना पोस्टर लगा दिया है.

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प्रेमचंद के घर में मौजूद पुराना कुंआ.

(फोटो- धनंजय कुमार/ क्विंट)

ये प्रेमचंद के घर के ठीक सामने 'प्रेमचंद रिसर्च सेंटर' है.

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प्रेमचंद की कहनियों के प्रतीकों को उनके गांव के गेट पर बनाया गया है.

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लमही गांव का प्रवेश द्वार

(फोटो- धनंजय कुमार/ क्विंट)

भारतीय हिंदी साहित्य के युग प्रवर्तक और उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद को याद किए बिना शायद हिंदी दिवस अधूरा है. इसलिए इस हिंदी दिवस क्विंट की टीम बनारस में प्रेमचंद के पैतृक निवास स्थान से कुछ ताजा तस्वीरें लेकर आई है. प्रेमचंद की कहानियों के प्रतीकों को उनके गांव के प्रवेश द्वार पर बनाया गया है, उनके घर के ठीक सामने 'प्रेमचंद रिसर्च सेंटर' है. उनके घर में पुराना कुंआ आज भी मौजूद है. ज्ञानचंद नाम के स्थानीय पार्षद प्रत्याशी ने उनके घर की दिवार पर अपना पोस्टर लगा दिया है.

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