Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Photos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019'हाथी उड़ सकते हैं': जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 3 दिन में बनीं एक पेटिंग| Photos

'हाथी उड़ सकते हैं': जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 3 दिन में बनीं एक पेटिंग| Photos

Jaipur Lit Fest: क्विंट हिंदी तीन दिन तक पेंटिंग बनने के दौरान अभिषेक के साथ रहा और उनके सफर और कला के बारे में बात की.

गरिमा साधवानी
तस्वीरें
Published:
<div class="paragraphs"><p>Jaipur Literature Festival में एसी पेंटिंग जिसे बनाने में तीन दिन लगें, देखें Photos</p></div>
i

Jaipur Literature Festival में एसी पेंटिंग जिसे बनाने में तीन दिन लगें, देखें Photos

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

राजस्थान की राजधानी में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 17वें संस्करण का आयोजन 1 से 5 फरवरी के बीच हुआ. यह महोत्सव साहित्य और कला प्रेमियों को एक साथ लाने का काम करता है. इस फेस्टिवल में देश के जाने माने लेखक और कलाकार अभिषेक सिंह ने द फ्लाइट ऑफ द एलिमेंट्स (The Flight of The Elephants) नामक पेंटिंग बनाई. यह पेंटिंग को पूरा करने में तीन दिनों का समय लगा. इस तीन दिनों तक क्विंट हिंदी उनके साथ रहा और उनसे बात की. क्विंट हिंदी के सवाल का जवाब देते हुए अभिषेक कहते है  “मुझे खुशी है कि उन्होंने मेरी कला को समझा और पेंटिंग बनाने के लिए वापस बुलाया है.”

क्विंट हिंदी से बात करते हुए अभिषेक सिंह ने बताया कि जब वो बड़े हो रहे थें तो न्यूरोसर्जन बनने का सपना देखते थें लेकिन दिलचस्पी स्टोरीटेलिंग में रही. यही वजह है कि अभिषेक  ने अपने जीवन में अलग रास्ता चुना, जो एक लेखक और कलाकार बनना है.

(फोटो: गरिमा साधवानी/क्विंट हिंदी)


अभिषेक ने हाल ही में नमः और पूर्णम् नामक किताब लिखी है. ये दोनों किताबें  बेस्टसेलर किताबों में से एक है. यह  किताब देवी-देवताओंऔर  प्रकृति की कल्पना पर आधारित है.

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2024 में बनाई गई लाइव विजुअल टेपेस्ट्री पेंटिंग 'द फ्लाइट ऑफ द एलीफेंट्स' के बारे में अभिषेक कहते है कि इस पेंटिंग के जरिए उन्होनें प्रकृति के सभी पहलुओं को छूने की कोशिश की है "खासतौर पर उन खूबसूरत जानवरों को जो प्रकृति के राजदूत हैं". 

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

अभिषेक ने बताया की, हम पेड़ों से बहुत सारे फायदे होते हैं. लेकिन पेंटिंग में आप जिस बाघ को देख रहे हैं वह पृथ्वी का एक बहुत पुराना गीत गाते हुए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट को वापस पेड़ में तब्दील कर रहा है. यह बाघ जंगल के संरक्षक के साथ एक योगी भी है. 

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

अभिषेक पेंटिंग को और बेहतर तरीके से समझाते हुए बताते हैं कि  जैसे-जैसे वाद्ययंत्र पेड़ में तब्दील हो रहे हैं, सभी पक्षी और जानवर अपने घर लौट रहे हैं, और जंगल वापस अपने समान्य रूप में जा रहा है."

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

अभिषेक बताते है कि मेरे लिए प्रकृति को विस्तार से लिखना या उसका चित्र बनाना कोई आसान बात नही है. मुझे प्रकृति से भावनात्मक और रचनात्मक प्रेम भी है. जहां तक मुझे याद है, मैंने अपने चित्रों और कलाकृतियों में, प्रकृति का खूब इस्तेमाल किया है.''

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

लेकिन अभिषेक स्वीकार करते हैं कि यह प्रशंसा हमेशा सूचित नहीं थी. जब प्रकृति की बात आती है तो बहुत कुछ ऐसा था जो वह नहीं जानते थे - वह कैसे जान सकता था, जबकि यह शब्द ही हमारे जीवन और हमारे ग्रह का इतना बड़ा हिस्सा शामिल करता है?

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

अभिषेक चाहते थे कि उनकी कला का एक उद्देश्य हो, एक ऐसा कला जो आपके देखने लायक चीजों से परे हो. इन वर्षों में, उन्होंने वन्यजीवों के संरक्षण और पुनर्वास कार्यक्रमों में स्वयं सेवा करने का निर्णय लिया और हाथियों के संरक्षण में बड़े पैमाने पर काम किया.

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

अभिषेक कहते हैं, ''मैं अपनी कला में पहले सेवा की भावना और फिर रचनात्मक इरादा रखता हूं. हम प्रकृति के बारे में जितना जानते हैं, उससे कहीं अधिक उसका दोहन करते हैं.''

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

हमारे समय में जानवर किस तरह का जीवन जीते हैं, इसके बारे में जानने के बाद, सिंह ने अपनी कला के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि देने का फैसला किया. वह कहते हैं, "मेरे लिए, यह प्रकृति को एक श्रद्धांजलि है लेकिन मैं हाथियों, जानवरों और पहाड़ों की ओर से भी पेंटिंग कर रहा हूं जो इतने सालों से मेरा घर चला रहे हैं."

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

अभिषेक ने जिस पेंटिंग को बनाया है उसे वे कला और मौन का ध्वनिक संगीत कहते हैं. सरल उपकरण जैसे कैनवास पर काली स्याही का उपयोग करके कुछ ऐसा चित्र बनाने का प्रयास किया है जो कला को पसंद करने वाले लोगों को मनमोह लेगा.

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

अभिषेक कला के बारे में कहते हैं "आम तौर पर कला एकांत और मौन का प्रयास है. जब मैं कोई जीवंत कृति कर रहा होता हूं तो मैं कला को कुछ हद तक संगीत की तरह देखता हूं. मैं इस प्रक्रिया को सामने लाना चाहता हूं ताकि लोग यह अनुभव कर सकें कि कला बनाना कैसा होता है.''

(फोटो: गरिमा साधवानी/ क्विंट हिंदी)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT