जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) की दीवारें रंगी हुई हैं और JNU की दीवारें पोस्टर और पेंटिंग के लिए लोकप्रिय भी हैं. कहीं मौजूदा सरकार के खिलाफ अवाजें उठाते हुए तो कहीं इंकलाब नारे से लिखी हुई. जेनयू की दीवारें बोलती हैं चीखती हैं. दबे मुद्दों पर बहस करती हैं, किसी बात पर सहमत और असहमत भी होती हैं. कला एक ऐसा जरिया है जो स्वतंत्र हैं. अब इन 'जिंदा दीवारों' को मारा जा रहा है बोलती हुई दीवारों को मौन कराया जा रहा. ये दीवारें सवाल करती थीं पर अब सवालों को छिपाया जा रहा है, पोस्टर और पेंटिंग को हटाया जा रहा है.

<div class="paragraphs"><p>(फोटो:&nbsp;कंचन यादव)</p></div>

जेएनयू में दीवारें सिर्फ दीवारें नहीं हैं, बल्कि लोकतंत्र, शिक्षाविदों और कला का स्थान हैं.

(फोटो: कंचन यादव)

अत्याचार, शोषण और अन्याय का दर्पण भी हैं.

(फोटो: कंचन यादव)

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कलाओं की वजह से हमेशा एक अलग पहचान रखता है.

(फोटो: कंचन यादव)

जेएनयू में कला के जरिए  अपने अधिकार को शांति से मांगने का तरीका हैं दीवारें.

(फोटो: कंचन यादव)

बंद परिदों की कैद आवाजों को सुनती और सबको सुनाती हैं.

(फोटो: कंचन यादव)

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इन्कलाब-इन्कलाब के नारों से चीखती थीं दीवारें और गलियां.

(फोटो: कंचन यादव)

छात्र आंदोलन सामाजिक न्याय की बात करते हैं, समानता की बात करते हैं अपने हक की बात करते हैं. 

(फोटो: कंचन यादव)

ये दीवारें अलग-अलग विचारधाराओं को मंच देती हैं.

(फोटो: कंचन यादव)

इतिहास में हुए जुलमों के काले निशानों को दर्शाती हैं ये जेएनयू की दीवारें.

(फोटो: कंचन यादव)

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की दीवारें अब मौन कराई जा रही हैं.

(फोटो: कंचन यादव)

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