Menstrual Hygiene Day 2023: पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओएस (PCOS) शरीर में प्रजनन हार्मोनों के असंतुलन से पैदा होने वाली मेडिकल कंडीशन को कहते हैं. दुनिया भर में प्रजनन आयु वर्ग की करीब 6 से 12% महिलाएं इससे प्रभावित हैं. इसके सामान्य लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, बाल झड़ना, मुंहासे या चेहरे पर बालों का उभरना शामिल है. पीसीओएस का कोई इलाज या दवा नहीं है लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव करने से कुछ हद तक राहत मिल सकती है. फिट हिंदी ने वसंत कुंज, फोर्टिस हॉस्पिटल में ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी कीं डायरेक्टर डॉ. नीमा शर्मा से बात की और जाना PCOS से बचने के लिए लाइफस्टाइल में लाने वाले बदलावों के बारे में.

<div class="paragraphs"><p>(फोटो:iStock)</p></div>

एक्सरसाइज करें. एक्सर्ट्स महिला को शारीरिक व्‍यायाम करने की सलाह देते हैं. भले ही वह पीसीओएस से ग्रस्‍त न हो तो भी ऐसा करना लाभदायक होता है. लेकिन जि है उनके लिए तो व्‍यायान महिलाओं को पीसीओएस से ग्रस्‍त पाया गयाम करना बेहद जरूरी है. एक्सरसाइज इस प्रकार किया जाए कि उससे पीसीओएस को मैनेज करने में आसानी हो.

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योग को अपनाएं. पीसीओएस के प्रबंधन में योग लंबे समय तक प्रभावी भूमिका निभाता है. योग को आजीवन अपनाएं न कि सिर्फ पीसीओएस से बचे रहने के लिए.

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संतुलित खानपान खाएं.  रेशेदार पदार्थों से भरपूर संतुलित खुराक लेना भी फायदेमंद होता है. किसी भी डाइट प्‍लान को अपनाने से पहले किसी अच्‍छे डाइटिशियन से जरूर सलाह लें, यह भी याद रखें कि कुछ पॉजिटिव असर दिखायी देने में कई बार काफी समय लगता है, लेकिन संतुलित और पोषणयुक्‍त खानपान का पालन करते रहें.

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एंटी-इंफ्लेमेट्री फूड खाएं. पीसीओएस से ग्रस्‍त महिलाओं में एक प्रकार का इंफ्लेमेशन होता है, जो ओवरीज को एंड्रोजेन्‍स बनाने के लिए इंड्यूस करता है. इसलिए अपने भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों, मेवों, फलों जैसे कि संतरा, चेरी, ब्‍लूबेरी और स्‍ट्रॉबेरी जैसे एंटी-इंफ्लेमेट्री फूड आइटम्‍स शामिल करने से इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद मिलती है.

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रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स, शुगर और प्रोसैस्‍ड रेड मीट के सेवन से हर हाल में बचना चाहिए.

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शराब और धूम्रपान से भी बचें. इस मामले में कोई छूट नहीं लें.

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ऐसा भी देखा गया है कि स्ट्रेस की वजह से पीसीओएस संबंधी मुश्किलें बढ़ती हैं. तनाव मैनेज की तकनीकें, तौर-तरीकें सीखें और अपने जीवन में उन्‍हें लागू करें.

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वजन को कंट्रोल में रखना बहुत महत्‍वपूर्ण है. ऐसा देखा गया है कि मोटापे की शिकार या सामान्‍य से अधिक वजन की महिलाएं पीसीओएस की शिकार होती हैं या उन्‍हें पीसीओएस का खतरा बना रहता है. अपना वजन जांचे और उसे कंट्रोल करें.

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पीसीओएस की वजह से बांझपन, डायबिटीज और यहां तक कि हृदय रोगों का भी खतरा बढ़ जाता है. लाइफस्टाइल में सुधार करना ही पीसीओएस को मैनेज करने की एकमात्र रणनीति है.

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