ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) हड्डी की ऐसी बीमारी है, जो शरीर की हड्डियों को धीरे-धीरे खोखला और कमजोर बना देती है, जिसकी वजह से हड्डियों के टूटने की आशंका बढ़ जाती है. ऑस्टियोपोरोसिस होने पर पुरानी हड्डी की जगह नई हड्डी के टिशू विकसित नहीं हो पाते, जिससे हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि गिरने और हड्डी पर हल्का दबाव भी फ्रैक्चर का कारण बन सकता है. ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होने वाला फ्रैक्चर आमतौर पर कूल्हे, कलाई और रीढ़ की हड्डी में होते हैं.

एक्सपर्ट के अनुसार बदलती जीवनशैली और दूसरे कारणों की वजह से युवाओं में ये समस्या बढ़ती जा रही है. जानते हैं ऑस्टियोपोरोसिस यानी भंगुर हड्डियों से कैसे बचा जा सकता है.

हर दिन एक्सरसाइज करें. मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव के लिए 30 मिनट तक योग, सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें. चलना, टहलना, दौड़ना, कूदना, नृत्य करना, पैदल यात्रा, सीढ़ियां चढ़ना शामिल करें.

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शरीर की लंबाई के हिसाब से वजन बनाए रखें. वजन के बढ़ने से जोड़ों पर भार पड़ता जो नुकसान पहुंचाता है. 

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एक्सरसाइज के साथ  नियमित शारीरिक गतिविधियां बढ़ाएं. वॉकिंग, रनिंग, वेटलिफ्टिंग भी हड्डियों के लिए फायदेमंद है.

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कैल्शियम, माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और मैग्नीशियम का सेवन अधिक करें. इनसे हड्डियां मजबूत होती हैं.

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विटामिन डी के लिए धूप सेकें और खाने में विटामिन डी से भरपूर चीजें खाएं. जैसे कि अंडे, मशरूम.

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धूम्रपान और शराब से दूर रहने.

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कैफीन का सेवन सीमित करें. कैफीन के सेवन से बोन डेंसिटी में कमी और हिप फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. यह कैल्शियम के अब्सॉर्प्शन पर नेगेटिव असर डालता है. 

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तनाव से दूर रहें. बहुत ज्यादा तनाव होने पर बोन मिनरल डेंसिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिस वजह से इस तरह की बीमारी व्यक्ति के शरीर में पाई जा सकती है.

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डॉक्टर से अपना रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाते रहें.

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