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ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) हड्डी की ऐसी बीमारी है, जो शरीर की हड्डियों को धीरे-धीरे खोखला और कमजोर बना देती है, जिसकी वजह से हड्डियों के टूटने की आशंका बढ़ जाती है. ऑस्टियोपोरोसिस होने पर हल्के से झटके या गिरने से भी फ्रैक्चर हो सकता है.
यह बीमारी 50 साल की उम्र से ऊपर वाली महिलाओं में अधिक होती है पर आजकल नौजवानों में भी यह बीमारी बढ़ने लगी है.
बदलती जीवनशैली, खराब खान-पान की आदतें, जेनेटिक कारणों के साथ ही एक्सरसाइज में कमी ऑस्टियोपोरोसिस होने के मुख्य कारक हैं.
फिट हिंदी ने हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण, कारण, इलाज और उससे बचने के उपाय जानने के लिए गुरुग्राम, मेदांता हॉस्पिटल के मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर एंड ऑर्थोपेडिक्स संस्थान में रीढ़ की हड्डी विभाग के डायरेक्टर डॉ. विनेश माथुर से बातचीत की.
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हड्डियां बेहद कमजोर हो जाती हैं. इस स्थिति में बोन मास डेंसिटी (BMD) कम हो जाती है, जिससे हड्डियों के फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है. आमतौर पर, हड्डी लगातार टिशूओं को ठीक करती है. हालांकि ऑस्टियोपोरोसिस में पुरानी हड्डी की जगह नई हड्डी के टिशू विकसित नहीं हो पाते, जिससे हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि गिरने और हड्डी पर हल्का दबाव भी फ्रैक्चर का कारण बन सकता है.
बीएमडी लॉस के पहले लेवल को 'ऑस्टियोपेनिया' (osteopenia) के रूप में जाना जाता है. अगर समय पर इसका इलाज न शुरू किया जाए, तो ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होने वाला फ्रैक्चर आमतौर पर कूल्हे, कलाई और रीढ़ की हड्डी में होते हैं.
ऑस्टियोपोरोसिस के कारणों में ये सभी शामिल हैं:
कैल्शियम और विटामिन डी की कमी
जेनेटिक कारण
कम बॉडी मास इंडेक्स होना
पुरानी बीमारियों का वापस आना
स्टेरॉयड और दवाओं की उच्च खुराक का लंबे समय तक सेवन करना
इसके अलावा शारीरिक गतिविधियों की कमी और वजन कम करने वाले व्यायाम, खराब पोषण, धूम्रपान और शराब का सेवन भी मुख्य कारणों में आते हैं.
ऑस्टियोपोरोसिस के चेतावनी संकेतों में
कमजोर पकड़
भंगुर नाखून
धीरे-धीरे ये लक्षण और अधिक गंभीर हो जाते हैं, जिससे विकास संबंधी समस्याएं जैसे कि:
झुकी हुई मुद्रा
पीठ और गर्दन में दर्द
हड्डी की नाजुकता से संबंधित फ्रैक्चर खास कर कलाई, पीठ, कूल्हे या अन्य हड्डियों पर होते हैं
ऑस्टियोपोरोसिस को 'भंगुर हड्डियों' (brittle bones) के रूप में भी जाना जाता है. जैसा कि हमने पहले भी बताया है, ऑस्टियोपोरोसिस रोग अब कम उम्र के लोगों में भी आम होता जा रहा है और इसका कारण खराब जीवनशैली, देर तक बैठे रहना, अनहेल्दी ईटिंग हैबिट्स, तनाव जैसे अन्य कारण हैं. अन्य रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं-
फिजिकल इनएक्टिविटी
कैल्शियम की कमी
विटामिन डी की कमी
स्मोकिंग करना
अधिक शराब का सेवन
वजन कम होना
रूमेटाइड अर्थराइटिस
दवाओं का अधिक सेवन
डॉ. विनेश माथुरी ने समस्या से निजात पाने के लिए सुझाए ये सरल उपाय:
कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार, जिसमें भरपूर मात्रा में ताजी सब्जियां, फल और साबुत अनाज हों
कैफीन का सेवन सीमित
धूम्रपान और शराब से दूर रहने
शारीरिक वजन पर कंट्रोल करने
व्यायाम सहित नियमित शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने
चलना, टहलना, दौड़ना, कूदना, नृत्य करना, पैदल यात्रा, सीढ़ियां चढ़ना शामिल करें
मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव के लिए 30 मिनट तक योग, सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें
50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं, पारिवारिक और व्यक्तिगत फ्रैक्चर के इतिहास वाले लोग, जेनेटिक कारणों की वजह से कम बोन मास डेंसिटी वाले लोग, मेनोपॉज, गठिया जैसी कुछ बीमारियों से पीड़ित लोग, सक्रिय रूप से धूम्रपान और शराब पीने वाले लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा ज्यादा है.
डॉक्टर के अनुसार, ऑस्टियोपोरोसिस का अन्य बीमारियों से कोई सीधा संबंध नहीं है. हालांकि, इस स्थिति के नतीजे विभिन्न स्थितियों को जन्म दे सकते हैं जैसे कि यह शारीरिक गतिविधियों को अक्षम और सीमित कर सकता है, जिससे वजन बढ़ सकता है, जिससे हड्डियों, घुटनों और कूल्हों पर तनाव हो सकता है. वजन बढ़ने से हृदय रोग और मधुमेह के जोखिम कारक भी बढ़ सकते हैं.
ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार को दो समूहों में बांटा गया है:
निवारक उपचार: इसका उद्देश्य ऑस्टियोपोरोसिस की शुरुआत को रोकना है. इसमें जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान, पौष्टिक आहार के सेवन पर ध्यान और चोट लगने या गिरने से रोकथाम शामिल है, जो इसका मुख्य आधार है.
ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार में इंजेक्शन और गोलियों सहित प्रभावी आधुनिक दवाएं शामिल हैं. इनमें दवाओं के दो समूह उपलब्ध हैं. पहले एंटीरेसरप्टिव हैं, जो शरीर की पुरानी कमजोर हड्डी की जगह नई हड्डी लगाने की प्रक्रिया और मौजूदा हड्डी को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
दवाओं का दूसरा समूह दवाओं का एनाबॉलिक समूह है, जो हड्डी के बोन मास को को बढ़ाता है और साथ ही उसकी गुणवत्ता को भी है. इनका उपयोग गंभीर ऑस्टियोपोरोसिस के मामलों के लिए किया जाता है.
ऑस्टियोपोरोसिस को स्वाभाविक रूप से रोकने के तरीके के बारे में नीचे कुछ दिशानिर्देश दिए गए हैं, जिसे अपनाकर काफी हद तक आप हड्डी के इस रोग से बचे रह सकते हैं:
प्रतिदिन एक्सरसाइज करें
शरीर की लंबाई के हिसाब से वजन बनाए रखें
वॉकिंग, रनिंग, वेटलिफ्टिंग हड्डियों के लिए फायदेमंद है
हेल्दी डायट
माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का सेवन करें
कैल्शियम और मैग्नीशियम का सेवन अधिक करें
विटामिन डी के लिए धूप सेकें
विटामिन के की कमी न होने दें
मोटापा कम करें
स्मोकिंग और एल्कोहल का सेवन छोड़ दें
तनाव से दूर रहें
रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाएं
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Published: 05 Jul 2022,01:20 PM IST