Home Photos 'लौट के फिर न आने वाले'... पंकज उधास नहीं रहें, ₹51 से करोड़ों दिल कमाने की कहानी | Photos
'लौट के फिर न आने वाले'... पंकज उधास नहीं रहें, ₹51 से करोड़ों दिल कमाने की कहानी | Photos
Pankaj Udhas passes away: मशहूर ग़ज़ल गायक पंकज उधास का 73 साल की उम्र में निधन हो गया.
क्विंट हिंदी
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बॉलीवुड में नहीं मिला काम तो गए विदेश, वापस आकर गाए हिट गानें, जानें पंकज उधास की जीवनी
फोटो- इंस्टाग्राम
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मशहूर ग़ज़ल गायक पंकज उधास (Pankaj Udhas) अब हमारे बीच नहीं हैं. उन्होंने लंबी बीमारी के बाद सोमवार, 26 फरवरी को 73 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. उनकी बेटी नायाब ने सोशल मीडिया के जरिए उनके निधन की जानकारी दी.
हिंदी फिल्म 'नाम' के गाने 'चिट्ठी आई है' से पंकज उधास को एक नई पहचान मिली थी. उनकी ग़ज़लों को हमेशा से ही खूब प्रसिद्धी मिली. 'चांदी जैसा रंग है तेरा' हो या फिर 'एक तरफ उसका घर एक तरफ मयकदा' हो.
आईए जानते हैं पंकज उधास के सफर के बारे में जानते हैं.
हिंदी सिनेमा में पंकज उधास के गाए गाने हर किसी की जुबान पर रहे. 'ना कजरे की धार', 'रिश्ता तेरा मेरा सबसे है', 'भला क्या मांगू मैं रब से' और 'मत कर इतना गुरूर' जैसे गाने आज भी लोग गुनगुनाते रहते हैं.
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पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में एक जमींदार परिवार में हुआ था. वह तीन भाईयों में सबसे छोटे थे. उनके दादा भावनगर राज्य के दीवान और पिता एक सरकारी कर्मचारी थे. उनकी माता जीतूबेन उधास को संगीत का बहुत शौक था. ऐसे में उनके पूरे परिवार में माहौल संगीत का था और सभी भाइयों का भी संगीत में रुझान रहा.
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पंकज उधास के बारे में बताया जाता है कि वह गायकी को कभी अपना पेशा नहीं बनाना चाहते थे. लेकिन, बचपन से ही पंकज का संगीत के प्रति रुझान रहा था इसलिए वह समय के साथ इसमें ढलते चले गए. सबसे पहले स्कूल के एक प्रोग्राम में उन्हें गायकी में इनाम के तौर पर 51 रुपए मिले जो उनकी पहली कमाई थी.
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पंकज के भाई मनहर और निर्जल उधास पहले से ही संगीत के दुनिया के जाने माने नाम थे. ऐसे में पंकज के माता-पिता ने उनका दाखिला राजकोट में संगीत एकेडमी में करा दिया. उन्हें पता था कि वह इस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं. परंतु बॉलीवुड में लंबे संघर्ष के बाद भी पंकज को काम नहीं मिला. यहां तक कि वह तब तक कई बड़े स्टेज शो कर चुके थे.
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पंकज उधास ने पहली फिल्म 'कामना' में गाना गाया लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई और पंकज को इसकी वजह से ज्यादा प्रसिद्धि नहीं मिल पाई. इससे आहत होकर उन्होंने विदेश जाकर रहने के फैसला कर लिया. पंकज उधास को विदेश में खूब प्रसिद्धि मिली और वहां उनकी आवाज को खूब पहचाना गया.
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इसके बाद मशहूर अभिनेता राजेंद्र कुमार की तरफ से उनके पास फोन आया और उनकी आवाज से इंप्रेस होकर उनसे एक गाना गाने की सिफारिश की. साथ ही फिल्म में कैमियो करने के बारे में भी कहा. पंकज ने तब इसके लिए मना कर दिया. हालांकि ये बात जब मनहर उधास को राजेंद्र कुमार ने बताई तो उन्होंने इसे लेकर पंकज से बात की. जिसके बाद उन्होंने फिल्म 'नाम' में ‘चिट्ठी आई है’ को अपनी आवाज दी.
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राजेंद्र कुमार ने जब यह ग़ज़ल अपने सबसे अच्छे दोस्त राज कपूर को सुनाई तो वो रो पड़े. ग़ज़ल गायकी से उनका प्यार यहीं से परवान चढ़ा और फिर पंकज उधास ने इसके लिए उर्दू सीखी.
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पंकज उधास ने 11 फरवरी 1982 को फरीदा से शादी की. दोनों की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड की शादी में हुई थी. तब पंकज पढ़ाई कर रहे थे और फरीदा एयर होस्टेस थीं. फिर दोनों के बीच दोस्ती हुई और यह दोस्ती प्यार में बदल गई.
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पंकज और फरीदा शादी करना चाहते थे. पंकज उधास के परिवार को इससे आपत्ति नहीं थी लेकिन फरीदा के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था. पंकज अपनी शादी की बात करने खुद फरीदा के घर चले गए और फिर फरीदा के परिवार वालों की मंजूरी से दोनों की शादी हो गई. उनकी दो बेटियां नायाब और रेवा हैं.
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पंकज उधास को 2006 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.