मार्च का महीना अभी खत्म भी नहीं हुआ और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में तापमान 50 डिग्री को छू रहा है. मार्च का सुहाना मौसम कुछ सालों से बीती बात बन चुका है. हर साल आम तौर पर अप्रैल से शुरू होने वाली गर्मी इस साल मार्च में ही भीषण हो चुकी है. कुछ महीने पहले बेतरतीब बारिश झेलने वाले केरल के कुछ हिस्सों में तापमान 54 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड स्तर को पार कर चुका है. वहीं गोवा में भी अलर्ट जारी किया गया है. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल जरूर है कि आखिर क्यों मार्च में इतनी अधिक गर्मी पड़ रही है? आइये जानते हैं क्यों पड़ रही दक्षिण भारत में भीषण गर्मी.

<div class="paragraphs"><p>(फोटोः इंस्टाग्राम)</p></div>

सर्दियों का मौसम अभी खत्म ही हुआ ही कि लोगों को मार्च में ही जून वाली चिलचिलाती गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. देश के कई राज्यों में गर्मी अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ रही है. जिसके कारण लोगों का घर से निकलना भी काफी मुश्किल हो गया हे. खास कर दक्षिण भारत में कई राज्यों में तापमान 50 डिग्री के पार पहुंच गया है.

(फोटोः इंस्टाग्राम)

9 मार्च को केरल के कुछ जगहों में हीट इंडेक्स 54 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है जो आने वाले दिनों में गंभीर बीमारियां और हीट स्ट्रोक की संभावना पैदा कर सकता है.

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हीट स्ट्रोस्क या सन स्ट्रोक को आम भाषा में 'लू लगना' कहते हैं. ये तब होता है, जब आपका शरीर अपने तापमान को कंट्रोल नहीं कर पाता. हीट-स्ट्रोक होने पर शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है. जब किसी को लू लगती है तो शरीर का स्वेटिंग मैकेनिज्म (पसीना तंत्र) भी फेल हो जाता है और इंसान को बिल्कुल पसीना नहीं आता. 

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हीट-स्ट्रोक की चपेट में आने पर शरीर का तापमान 106°F या इससे अधिक हो जाता है. इतना ही नहीं अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया किया गया तो इंसान की मौत या ऑर्गन फेल होने का खतरा बढ़ जाता है. 

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दक्षिण भारत की बात करें तो यहां की स्थितियां  अन्य राज्यों की अपेक्षा अलग होती हैं. भूमध्य रेखा के करीब होने के कारण दक्षिण भारत के  कई हिस्से में गर्मी तकरीबन साल भर पड़ती है. लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां का तापमान में ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है. 

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दक्षिण भारत में आखिर इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है, इस सवाल का सीधा सा जवाब है- क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन. जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी में तीव्रता आ रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर साल औसत वैश्विक तापमान एक डिग्री सेल्सियस के करीब बढ़ रहा है. जिसका असर ग्लोबल वॉर्निंग और मौसम के पैटर्न दोनों पर पड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन के चलते गर्मी के मौसम की अवधि बढ़ रही है और बारिश की अवधि कम हो रही है.

(फोटोः ट्विटर)

हालांकि अन्य राज्यों की अपेक्षा दक्षिण भारत में गर्मी पड़ने का सबसे बड़ा कारण  एक प्रायद्वीपीय त्रिकोण जैसा समुद्री क्षेत्र होना है. दरअसल, तीन तरफ से समुद्र से घिरे होने के कारण यहां का मौसम  स्वाभाविक तौर पर गर्म और आर्द्रता वाला होता है.

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वहीं दूसरी ओर भारत की कॉटिनेंटल प्लेट होने के कारण दक्षिणी हिस्सा प्राचीन पठार जैसा है, जिसे डेक्कन प्लैटू के नाम से भी जाना जाता है. इतना ही नहीं दक्षिण भारत उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में होने के कारण भी गर्म होता है.

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