फरवरी का महीना अभी खत्म भी नहीं हुआ और मौसम का मिजाज ऐसा बदला की गुलाबी सर्दी वाले इस मौसम में पसीने छूटने लगे है. हालत ऐसा है कि देश के कई इलाकों में पारा 40 डिग्री तक चला गया है और पहाड़ों पर भी गर्मी का एहसास होने लगा है. उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक पारे में लगातार बढोतरी देखी जा रही है.
दिल्ली और एनसीआर में फरवरी (Heat Fury in February) के महीने मे गर्मी ने करीब 55 साल में तीसरी बार रिकॉर्ड बनाया है. इससे पहले फरवरी में सबसे ज्यादा पारा बढने का रिकॉर्ड 26 फरवरी 2006 का था, उस वक्त तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया था, वहीं 1993 में 33.9 लेकिन 20 फरवरी 2023 अधिकतम तापमान सामान्य से नौ डिग्री ज्यादा 33.9 डिग्री सेल्सियस था.
फरवरी में क्यों लग रही इतनी गर्मी?
इस तरह से अचानक बदले मौसम की वजह वेस्टर्न डिस्टरबेंस को बताया जा रहा है. आमतौर पर फरवरी में 6 बार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आते हैं, लेकिन इस बार इनके काफी कमजोर होने की वजह से ना तो बारिश हो रही है और ना ही पहाड़ों पर बर्फबारी. हम आपको बताते हैं कि आखिर वेस्टर्न डिस्टरबेंस होता क्या है और ये कैसे मौसम को बदलता है.
क्या होता वेस्टर्न डिस्टर्बेंस?
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (Western Disturbance) वो तूफान होते हैं, जो कैस्पियन या भूमध्य सागर में बनते हैं. ये तूफान भारत के उत्तर पश्चिमी इलाकों में सर्दी के मौसम में बारिश की वजह बनता है, इस तूफान में तेज बर्फीली हवाएं होती हैं, जो अपने साथ नमी लाती हैं. इस बार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कमजोर पड़ने की वजह से बारिश नहीं हुई इसलिए तापमान तेजी से बढ़ने लगा.
बदल रहा है बारिश का पैटर्न
पिछले कुछ सालों में बारिश का पैटर्न भी बदलता दिख रहा है, वहीं हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिसकी वजह से मौसम लगातार बदल रहा है.
दक्षिण भारत के मौसम का हाल बदला?
आंधप्रदेश और तेलंगाना में भी इस साल गर्मी का असर ज्यादा देखा जा रहा है, दक्षिण के कुछ राज्यों में इस साल फरवरी सबसे गर्म महीना रहा.
पिछले कुछ सालों में भारत समेत दुनियाभर में मौसम के अलग-अलग रूप दिख रहे हैं. कभी भयंकर गर्मी, तो कभी मूसलाधार बारिश और कभी कड़ाके की ठंड. आखिर क्यों मौसम में आ रहे है बड़े बदलाव.
क्लाइमेट चेंज का असर
2022 के मौसम को देखें तो पता चलेगा कि इस एक साल में भी कई बदलाव हुए हैं. साल के पहले महीने से लेकर दिसंबर तक मौसम का रूख पूरी तरह अलग रहा. मानसून और गर्मी के आगमन में भी बदलाव देखा गया. वहीं बीते साल मौसम में ठंड के दिनों में भी बदलाव देखा गया. मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है. इसी के चलते मौसम हर वक्त करवट बदल रहा है.
वर्तमान जलवायु परिवर्तन का असर ग्लोबल वॉर्निंग और मौसम के पैटर्न दोनों पर पड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वॉर्मिंग और मॉनसून में अस्थिरता को बढ़ा रही है, जिसके चलते गर्मी के मौसम की अवधि बढ़ रही है और बारिश की अवधि कम हो रही है.
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन की वजह से तकरीबन हर मौसम में असामान्य व्यवहार नजर आता है. पिछले कुछ सालों में मानसून प्रणालियों में भी बदलाव देखा गया है. गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में पिछले साल यानी 2022 में ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी. इसके बिल्कुल उलट पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में बारिश ही नहीं हुई. पिछले साल के अगस्त महीने में बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक दो मानसून चक्र बने जिससे पूरा मध्य भारत प्रभावित हुआ.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)