World Thalassemia Day 2023: थैलेसीमिया एक अनुवांशिक यानी जेनेटिक डिसऑर्डर है, जिसमें होमोग्लोबिन बनने की प्रक्रिया मंद पड़ जाती है. इस डिसऑर्डर से पीड़ित मरीजों के शरीर में खून की कमी होने के कारण उन्हें बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. फिट हिंदी ने थैलेसीमिया के साथ स्वस्थ रहने के उपायों के बारे में सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स में ब्लड एंड मैरो ट्रांसप्लांट के डायरेक्टर एंड एचओडी, डॉ. धर्मा चौधरी से जाना.

<div class="paragraphs"><p>(फोटो:iStock)</p></div>

डॉक्टर की सलाह पर नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाते रहें. अगर किसी को थैलेसीमिया डायग्नोस हो ही गया है, तो निश्चित रूप से लंबे समय तक आपको ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की आवश्यकता होगी, जो 20 दिनों से लेकर एक महीने के अंतराल में होती है. स्वस्थ जीवन जीने के लिए इस अवधि का ध्यान रखें और कोशिश करें कि हीमोग्लोबिन 9 ग्राम से ऊपर बना रहे. यह अवधि मरीज की स्थिति और रोग की गंभीरता के अनुसार बदल सकती है. ऐसे में अपने संबंधित डॉक्टर की सलाह पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन के साथ नियमित रहें और लापरवाही न करें, जिसके कारण जोखिम बढ़ सकता है.

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भोजन में न लें आयरन. ब्लड की कमी को देखते हुए बहुत मुमकिन है आपको कोई आयरन लेने की सलाह दे डाले. लेकिन इससे रोगी को पूरी तरह से बचना है. डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही अपने भोजन के मेन्यू को तय करें, उसके अतिरिक्त किसी भी चीज का सेवन न करें.

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मानसिक स्वास्थ्य पर दें ध्यान. इस गंभीर बीमारी से जूझते हुए निश्चित रूप से मानसिक रूप से मजबूत होने की जरूरत है. ऐसे में रोगी को जीवन के प्रति सकारात्मक रुख अपनाने के लिए प्रेरित करें. अगर फिर भी स्थिति गंभीर नजर आती हो तो बिना किसी झिझक के मनोचिकित्सक की मदद लें. साथ ही रोगी के माता पिता भी अपने मानसिक स्वास्थ्य को तवज्जो दें, क्योंकि रोगी का ख्याल रखने के लिए उन्हें बहुत हिम्मत की आवश्यकता होती है. वे भी जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक की मदद लें ताकि सही मानसिक स्थिति के साथ रोगी का ख्याल रखा जा सके और दूसरी जिम्मेदारियों को भी पूरा करने में मदद मिल सके.

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डॉक्टर के अलावा किसी की सलाह पर न करें अमल. बहुत बड़े तबके को यह समझने की जरूरत है कि गंभीर अनुवांशिक बीमारियों के सन्दर्भ में केवल संबंधित डॉक्टर ही सही सलाह दे सकता है. ऐसे में किसी भी दूसरे व्यक्ति के बताये जाने वाले किसी प्रकार के टिप्स या नुस्खों पर बिल्कुल भी ध्यान न दें. केवल अपने सम्बंधित डॉक्टर की ही बात पर ध्यान दें.

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डॉक्टर की सलाह से समय-समय पर शरीर में आयरन लेवल की जांच करते रहें.

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पौष्टिक आहार का सेवन करें. अपने डॉक्टर की सलाह से खाने-पीने का एक रूटीन बना उससे फॉलो करें.

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नियमित दवाएं लें. अपनी किसी भी दवा को अनियमित न करें. अपनी दवाओं का स्टॉक पूरा रखें और समय अनुसार लें. इसी कड़ी में आयरन की कमी करने वाली दवाओं के साथ बिल्कुल भी लापरवाही न करें.

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नियमित रूप से एक्सरसाइज करते रहें. फिजिकल ऐक्टिविटी करते रहने से शरीर और मन दोनों ऐक्टिव रहता है.

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