Home Photos Uttarkashi: मजदूरों को निकालने के लिए मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू, 'रैट माइनर्स' पर जिम्मेदारी
Uttarkashi: मजदूरों को निकालने के लिए मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू, 'रैट माइनर्स' पर जिम्मेदारी
Uttarkashi Tunnel Rescue Update: उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में 41 मजदूरों को फंसे हुए 27 नवंबर को 15 दिन हो चुके हैं.
क्विंट हिंदी
तस्वीरें
Updated:
i
Uttarkashi: फंसे मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन और कितना बाकी?
(फोटो- पीटीआई)
✕
advertisement
उत्तरकाशी (Uttarkashi Tunnel Rescue) में निर्माणाधीन सुरंग में 41 मजदूरों को फंसे हुए 27 नवंबर को 15 दिन हो चुके हैं. हॉरिजॉन्टल रेस्क्यू का काम अब बिना मशीनों के हाथ से ही किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक, मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू हो गई है. एक शिफ्ट में 3 मजदूर काम कर रहे हैं. जिस पाइप में बैठ कर मजदूर बाहर आएंगे उस पाइप को मैन्युअली धीरे धीरे अंदर धकेला जा रहा है और उस जगह के मलबे को हाथों से हटाया जास रहा है.
ऑगर (ड्रिलिंग मशीन) मलबे में फंस गई थी जिस वजह रेस्क्यू ऑपरेशान रुक गया था. ऊपर से नीचे होने वाली ड्रिलिंग 36 मीटर की हो चुकी है, 50 मीटर बाकी है. फिलहाल प्रशासन की ओर से रेस्क्यू को लेकर कोई समयसीमा नहीं बताई गई है.
उत्तरकाशी की सुरंग के मलबे में ड्रिल कर रही ऑगर मशीन फंस गई थी जिसके टुकड़े अब काट काट कर सफलता पूर्वक बाहर निकाल लिए गए हैं. 27 नवंबर की सुबह ही इस काम को पूरा कर लिया गया था.
साथ ही मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू हो गई है.
(फोटो- पीटीआई)
माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने पहले बताया था कि, “9 मीटर सुरंग का काम करना और बाकी है. यह वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि जमीन का रिस्पॉन्स कैसा मिलता है. काम जल्दी भी हो सकता है, और लंबा भी खींचा जा सकता है. मलबे में अगर फिर से कोई बाधा आती है तो उसे फिर हटाना होगा. लेकिन हमें विश्वास है कि हम इससे पार पा सकते हैं."
(फोटो- पीटीआई)
राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के एमडी ने महमूद अहमद ने कहा, "वर्टिकल बोरिंग का काम चल रहा है और करीब 36 मीटर हो चुका है हमें करीब 50 मीटर और करना है... हम सभी कार्रवाई करेंगे और हमें उम्मीद है कि हम जल्द से जल्द आगे बढ़ेंगे..."
सीमा सड़क संगठन के पूर्व महानिदेशक हरपाल सिंह ने कहा कि, "इस ऑपरेशन में फंसे हुए 41 श्रमिकों को निकालने के लिए कुल 86 मीटर की ड्रिलिंग करनी होगी. इसके लिए सुरंग के ऊपर से नीचे की ओर 1.2 मीटर चौड़े पाइप बिछाना शामिल है."
(फोटो- पीटीआई)
सीमा सड़क संगठन के पूर्व महानिदेशक हरपाल सिंह ने कहा कि, "800 मिमी वाले पाइपों के फ्रेम तैयार किए गए हैं. हम धीरे-धीरे आधे मीटर से एक मीटर आगे बढ़ेंगे. यदि सब कुछ ठीक रहा और कोई बाधा नहीं आई तो 10 मीटर की दूरी 24-36 घंटों में तय की जा सकती है."
(फोटो- पीटीआई)
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, प्रमोद कुमार मिश्रा, केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग का दौरा कर चल रहे बचाव अभियान का निरीक्षण किया.
(फोटो- पीटीआई)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, प्रमोद कुमार मिश्रा ने सुरंग स्थल का निरीक्षण किया, फंसे हुए श्रमिकों के परिवार से बातचीत की और हर दिन भेजे जा रहे खाने-पीने के बारे में जानकारी ली.
(फोटो- पीटीआई)
ऑगर (ड्रिलिंग मशीन) ने कुल 46 मीटर का हिस्सा ड्रिल कर दिया था जिसके बाद मशीन फंस गई थी.
अब बाकी 9 मीटर की ड्रिलिंग का काम बिना मशीन के हाथ से किया जाएगा. इस वजह से समय लगेगा.
(फोटो- पीटीआई)
बिना ऑगर मशीन के बाकी बची हुई ड्रिलिंग के काम के लिए 11 लोगों की एक टीम दिल्ली से भेजी गई है. इनमें छह विशेषज्ञ और पांच अन्य शामिल हैं. रेस्क्यू टीम ने कहा कि वे मैन्युअल रूप से मलबा हटाने के लिए 800 मिमी पाइप के अंदर जाएंगे.
(फोटो- पीटीआई)
मैन्युअल ड्रिलिंग एक थका देने वाला काम है और खुदाई करने वालों को बारी-बारी से खुदाई करनी पड़ती है. खुदाई में बिलकुल चूहे जैसी कुशलता चाहिए होती है इस कारण ऐसी खुदाई करने वालों को रेट (चूहा) माइनर कहा जाता है.
(फोटो- पीटीआई)
एनएचएआई के सदस्य विशाल चौहान ने कहा, "मैन्युअल ड्रिलिंग किसी क्षण शुरू होने वाली है इसकी तैयारी शुरू हो गई है इसमें 6 सदस्यों की एक टीम होगी जो तीन-तीन के समूह में काम करेगी... ड्रिलिंग के लिए धरती के अंदर की हलचल पर नजर रखने के लिए सेंसर लगे हैं.."
(फोटो- पीटीआई)
स्थानीय लोगों ने फंसे मजदूरों की कुशल कामना के लिए निर्माणाधीन सुरंग के पास हवन किया