एक समय था जब शादी ब्याह, त्योहार, मनोरंजन जैसे समारोहों में पौराणिक कलाओं का प्रदर्शनी देखने को मिलता था, लेकिन आज के आधुनिक दौर में ये न के बराबर देखने को मिलती हैं. चाहे रासलीला हो, बहरूपिया कला, जात्रा पाला, नौटंकी या तमाशा हो. इतना ही नहीं आज के तकनीकी विकास और मनोरंजन के विभिन्न विकल्प के दौर में कोहबर जैसे पारंपरिक वैवाहिक कला विलुप्त होने की कगार पर है. तो आइये 'वर्ल्ड आर्ट डे' (World Art Day) के इस खास मौके पर जानते हैं उन कलाओं के बारे में जो विलुप्त हो रही हैं.
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