World Immunisation Week 2023: बच्चों का सही समय पर टीकाकरण करवाना आवश्यक होता है क्योंकि यह बच्चों को संभावित घातक इंफेक्शंस के संपर्क में आने से पहले ही इम्युनिटी प्रदान करता है. कई बार वैक्सीन नहीं लगने पर शिशु या बच्चे बीमारी की चपेट में आ कर अस्पताल में भर्ती होते हैं और कुछ मामलों में उन बीमारियों के कारण बात उनकी जान पर बन आती है, जो टीकाकरण से रोकी जा सकती थी. इसीलिए, बच्चों में अधिकतर टीकाकरणों की सिफारिश बच्चे के जीवन के पहले 12 से 18 महीनों के लिए की जाती है. बच्चे को गंभीर-घातक बीमारियों से पूरी तरह सुरक्षित है रखने के लिए डॉक्टर के बताए गए टीकाकरण रूटीन का पालन करना महत्वपूर्ण है.

फिट हिंदी ने गुरुग्राम, मेदांता में पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर और इमरजेंसी के डायरेक्टर और एचओडी, पीडियाट्रिक्स, डॉ. राजीव उत्तम से ऐसे 10 टीके के बारे में जाना जो आपके बच्चे को 5 साल की उम्र तक लगने चाहिए.

बीसीजी (बैसिलस कैलमेट-गुएरिन) वैक्सीन: बीसीजी टीका ट्यूबरकुलोसिस से बचाता है. बच्चों को उनके जन्म के समय ही यह टीका लगाया जाता है.

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हेपेटाइटिस बी वैक्सीन: हेपेटाइटिस बी का टीका नवजात शिशुओं को जन्म के 24 घंटे के भीतर दिया जाता है. इसकी अतिरिक्त खुराक 1.5 महीने और 2.5 महीने की उम्र में दी जाती है. यह टीका हेपेटाइटिस बी से बचाता है, हेपेटाइटिस बी एक वायरस है, जो गंभीर परिस्थितियों में लिवर को नुकसान पहुंचाता और यहां तक कि मौत का कारण बन सकता है.

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डीटीएपी वैक्सीन: डीटीएपी वैक्सीन, डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (आमतौर पर काली खांसी के रूप में जाना जाता है) जैसी तीन घातक बीमारियों से बचाता है. इसका टीकाकरण 1.5, 2.5 और 3.5 महीने में पांच खुराक की श्रृंखला में दी जाती है, जिसमें बूस्टर खुराक 18 महीने और 5 साल की उम्र में दी जाती है. डिप्थीरिया और पर्टुसिस अत्यंत संक्रामक रोग हैं, जिनके कारण छोटे बच्चों में गंभीर बीमारी या मृत्यु भी हो सकती है. टेटनस एक इन्फेक्शन है, जिसमें बैक्टीरिया के कारण इन्फेक्शन होता है, जो मांसपेशियों में कड़ापन और लॉकजॉ (lockjaw) की समस्या पैदा कर सकता है.

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आईपीवी वैक्सीन: आईपीवी टीकाकरण पोलियो से बचाता है. इसमें वायरस गंभीर मामलों में पैरालिसिस और मृत्यु का कारण बनता है. टीकाकरण पांच खुराक में 1.5, 2.5, 3.5 और 18 महीने की उम्र में दिया जाता है, इसके बाद 5 साल की उम्र में बूस्टर खुराक दी जाती है.

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PCV13 वैक्सीन: PCV13 टीकाकरण न्यूमोकोकल रोग से सुरक्षा प्रदान करता है. न्यूमोकोकल रोग एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है, जो मेनिन्जाइटिस, निमोनिया और दूसरे गंभीर विकारों का कारण बन सकता है. टीकाकरण चार खुराक में 1.5, 2.5, और 3.5 महीने की उम्र में दिया जाता है, इसके बाद 16-18 महीने की उम्र में बूस्टर खुराक दी जाती है.

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एमएमआर वैक्सीन: मीजल्स, मम्प्स और रूबेला सभी को एमएमआर वैक्सीन से रोका जा सकता है. यह टीकाकरण बच्चों को 9 और 15 महीने की उम्र में तीन खुराक और 4 साल की उम्र में बूस्टर खुराक के रूप में दिया जाता है.

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वैरिसेला वैक्सीन (Varicella Vaccine): वैरिसेला वैक्सीन  चिकनपॉक्स से बचाता है. यह टीकाकरण बच्चों को दो खुराक में दे जाती है. पहला 15 महीने की उम्र में और दूसरा 18-21 महीने की उम्र में.

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हेपेटाइटिस ए वैक्सीन: हेपेटाइटिस ए वैक्सीन गंभीर लिवर रोग से सुरक्षा प्रदान करता है. यह टीका बच्चों को दो खुराक में दिया जाता है, पहला 12 महीने की उम्र में और दूसरा 18-24 महीने की उम्र के बीच.

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Hib वैक्सीन: Hib वैक्सीन हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी से बचाता है. इसमें बैक्टीरिया निमोनिया और दूसरे गंभीर इन्फेक्शन पैदा कर सकता है. 1.5, 2.5 और 3.5 महीने की उम्र में चार खुराक में यह टीकाकरण दिया जाता है. 18 महीने की उम्र में बूस्टर खुराक दी जाती है.

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इन्फ्लुएंजा वैक्सीन: बच्चों को वार्षिक इन्फ्लूएंजा का टीका लगाया जाता है. टीकाकरण 6 और 7 महीने की उम्र में दिया जाता है और 2 साल की उम्र से हर साल बूस्टर खुराक दी जाती है. इन्फ्लूएंजा का टीका फ्लू से बचाता है. फ्लू एक संक्रामक रेस्पिरेटरी बीमारी है, जिसके छोटे बच्चों में घातक परिणाम हो सकते हैं.

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