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World Immunisation Week: बच्चों के टीकाकरण से जुड़े 10 आम मिथक और उसकी सच्चाई

World Immunisation Week 2023: टीकाकरण के अनेक लाभ हैं, जो इसके जोखिमों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
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<div class="paragraphs"><p>World Immunisation Week: टीकाकरण से जुड़े&nbsp;10 आम मिथक और उनकी सच्चाई</p></div>
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World Immunisation Week: टीकाकरण से जुड़े 10 आम मिथक और उनकी सच्चाई

(फोटो:फिट हिंदी/iStock)

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World Immunisation Week 2023: बचपन में लगने वाले टीके बच्चों को गंभीर संक्रामक बीमारियों से बचाने के सबसे प्रभावशाली तरीकों में से एक है. टीकों की सुरक्षा और प्रभावशीलता के समर्थन में पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण होने के बाद भी टीकों को लेकर अनेक मिथक और भ्रांतियां फैली हुई हैं, जो भ्रम पैदा करती हैं.

फिट हिंदी ने गुरुग्राम, मेदांता में पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी एंड पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर के चेयरमैन- पीडियाट्रिक्स, डॉ. प्रवीन खिलनानी से ऐसे ही 10 आम मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में जाना.

मिथकः टीकाकरण से ऑटिज्म होता है.

सच्चाई: 1998 में किए गए एक स्टडी ने मीजल्स-मम्प्स-रूबेला (एमएमआर) वैक्सीन और ऑटिज्म के बीच संभावित संबंध को लेकर चिंता उत्पन्न कर दी. हालांकि, इस स्टडी का प्रकाशन करने वाले जर्नल ने इसे वापस ले लिया क्योंकि यह स्टडी विज्ञान के गलत उपयोग के कारण कमियों से भरपूर था. उसके बाद से टीकों और ऑटिज्म के बीच संबंध का समर्थन करने वाला कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है.

मिथकः टीकाकरण के कारण सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (सीड्स) हो सकता है.

सच्चाई: टीकाकरण के अनेक लाभ हैं, जो इसके जोखिमों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं. टीकाकरण न लगाने पर रोकी जा सकने वाली बीमारियों से ज्यादा नुकसान और मौत की आशंका भी हो सकती है. अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है कि टीकाकरण से सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) हो सकता है.

मिथकः टीकाकरण सेफ नहीं है. उनमें नुकसानदायक चीजें होती हैं, जो गंभीर साइड इफेक्ट कर सकती हैं.

सच्चाई: टीके को उपयोग की अनुमति दिए जाने से पहले उसके सुरक्षित होने का गहन परीक्षण किया जाता है. टीके में उपयोग की जाने वाली सामग्री बहुत सावधानी से चुनी जाती है और उनके सुरक्षित होने का विस्तृत परीक्षण किया गया होता है. उनकी बहुत छोटी मात्रा ली जाती है, जो टीके के प्रभावशाली होने के लिए जरूरी होती है. इसलिए टीकाकरण का कोई भी गंभीर साईड इफेक्ट नहीं हुआ करता है, जबकि इसके फायदे, इसके जोखिमों के मुकाबले बहुत ज्यादा होते हैं.

मिथकः नेचुरल इम्युनिटी, टीके से बनी इम्युनिटी से बेहतर होती है?

सच्चाई: नेचुरल इम्युनिटी बीमारियों से सुरक्षा प्रदान कर सकती है पर, इसके साथ गंभीर बीमारी होने या मौत होने तक का जोखिम हो सकता है. इम्युनिटी बढ़ाने का ज्यादा सुरक्षित और प्रभावशाली तरीका टीकाकरण है.

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मिथकः स्तनपान इन्फेक्शन से संपूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है. इसलिए शिशु को टीका लगाए जाने की जरूरत नहीं है?

सच्चाई: स्तनपान कुछ संक्रमणों, जैसे वायरल रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, कान के इन्फेक्शन और डायरिया से सुरक्षा प्रदान कर सकता है, लेकिन यह टीकाकरण का विकल्प नहीं हो सकता. स्तनपान यानी ब्रेस्ट फ़ीडिंग से केवल आंशिक और अस्थायी सुरक्षा मिलती है. शिशु को इन्फेक्शन ज्यादा है, तो स्तनपान उसे सुरक्षा नहीं दे सकता. इसलिए अपने शिशु को पूरी और लंबे समय तक सुरक्षा देने के लिए टीकाकरण की रेकमेंडेड रूटीन का पालन करें.

मिथकः टीकाकरण जरूरी नहीं है क्योंकि अच्छी हाइजीन से बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है?

सच्चाई: अच्छी हाइजीन और स्वच्छता बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं, लेकिन टीका लगाकर रोके जा सकने वाले सभी रोगों के लिए वो प्रभावशाली नहीं होते. इन बीमारियों को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावशाली तरीका है.

मिथकः टीका लगाने से वो बीमारियां हो सकती हैं, जिन्हें रोकने के लिए वो लगाए जाते हैं

सच्चाई: टीका बीमारी पैदा करने वाले मरे हुए या कमजोर पैथोजन लेकर बनाया जाता है. टीका वह बीमारी पैदा नहीं कर सकता, जिसे रोकने के लिए वह बनाया गया है.

मिथकः स्वस्थ बच्चों के लिए टीका जरूरी नहीं है?

सच्चाई: टीका लगाकर रोकी जाने वाली बीमारियां सभी बच्चों के लिए खतरा होती हैं, फिर चाहे उनका स्वास्थ्य कैसा भी क्यों न हो. टीका उन बच्चों के लिए तो बहुत जरूरी है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity) कमजोर है या जिन्हें कोई दूसरी मेडिकल समस्या है.

मिथकः बच्चे को पहले हो चुकी बीमारी के लिए टीका लगाने की जरूरत नहीं है?

सच्चाई: अगर किसी बच्चे को कोई बीमारी हुई और वह उससे ठीक हो गया, तो इसका यह मतलब कतई नहीं है कि उसे बीमारी के प्रति आजीवन इम्युनिटी मिल गई. कुछ बीमारियां जैसे पर्टुसिस (काली खांसी) और टिटनस अगर किसी बच्चे को हो जाएं और वह इनसे ठीक हो जाए, तो भी उसे आजीवन इनके खिलाफ इम्युनिटी नहीं मिलती है. टीका न केवल उस बच्चे की रक्षा करता है, जिसे यह टीका लगाया गया है बल्कि दूसरों में बीमारी फैलने से भी रोकता है. इसलिए अगर बच्चे को कोई बीमारी हो चुकी है और वह उससे ठीक हो चुका है, तब भी टीकाकरण की रेकमेंडेड रूटीन का पालन करना जरूरी है.

मिथकः एक बार में एक से ज्यादा टीका लगाने से साइड इफेक्ट होने का रिस्क रहता है?

सच्चाई: विभिन्न टीकों की सुरक्षा का आकलन करने के लिए अनेक स्टडीज किए जा चुके हैं. इनमें से किसी में भी विभिन्न टीके लगाए जाने से किसी भी समस्या का कोई संकेत नहीं मिला है. टीके में मौजूद बैक्टीरिया या वायरस की मामूली मात्रा बच्चे को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त नहीं होती, लेकिन बच्चे के टीकाकरण में देरी से उसे नुकसान जरूर पहुंच सकता है.

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