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अर्णब के खिलाफ केस का कानूनी पहलू, नेताओं को याद आई बोलने की आजादी

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी एक बार फिर चर्चा में हैं

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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अगर नाइक की सुसाइड के मामले की जांच रही है, तो गिरफ़्तारी अभी ही क्यों?
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अगर नाइक की सुसाइड के मामले की जांच रही है, तो गिरफ़्तारी अभी ही क्यों?
फोटो: क्विंट हिंदी/ कामरान अख्तर 

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रिपोर्ट: फबेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी एक बार फिर चर्चा में हैं, टीआरपी घोटाला केस, पालघर लिंचिंग, सुशांत सिंह राजपूत केस के अलावा अब अर्णब के खिलाफ एक और केस सामने आया है, जिसमें उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. साल 2018 में एक इंटीरियर डिजाइनर के सुसाइड मामले को लेकर उन पर ये कार्रवाई हुई है. अर्णब की गिरफ्तारी के बाद उन्हें केंद्र सरकार के बड़े मंत्रियों से पूरा समर्थन मिला. गृहमंत्री से लेकर रक्षा मंत्री तक उनसे समर्थन में खड़े दिखे और इसे प्रेस की आजादी पर बड़ा हमला बताया गया. अब इस मामले को लेकर पुलिस के पूरे एक्शन पर क्यों सवाल उठ रहे हैं? इस सवाल का जवाब समझने के लिए पहले अर्णब के खिलाफ दर्ज केस और उसके कानूनी पहलुओं को जानना जरूरी है.

इसी पर आज इस पॉडकास्ट में बात करेंगे.

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