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पॉडकास्ट | आरे ‘जंगल’ में अमंगल: पेड़ों की मौत के बाद आई ‘राहत’

क्या विकास के नाम पर 2600 से ज्यादा हरे-भरे पेड़ों का कट जाना जायज है?

वैभव पलनीटकर
पॉडकास्ट
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 आरे ‘जंगल’ में अमंगल: पेड़ों की मौत के बाद आई ‘राहत’
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आरे ‘जंगल’ में अमंगल: पेड़ों की मौत के बाद आई ‘राहत’
फोटो: क्विंट हिंदी

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कैसे BMC के एक फैसले ने आम लोगों से लेकर राजनेताओं और बॉलीवुड सेलेब्रिटीज को प्रदर्शन करने के लिए मजबूर कर दिया और क्या विकास के नाम पर 2600 से ज्यादा हरे-भरे पेड़ों का कट जाना जायज है भी या नहीं?

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आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई और कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि मुंबई की आरे कॉलोनी में अब और पेड़ ना काटे जाएं.

लेकिन मामले की सभी याचिकाओं की विस्तार से सुनवाई 21 अक्टूबर को की जाएगी. ऐसे में हम बात करेंगे कि आखिर आरे कॉलोनी में हजारों पेड़ काटे जाने का पूरा मामला क्या है? और विकास Vs पर्यावरण की ये बहस किस दिशा में जा रही है और सरकार इसमें कहां खड़ी है.

आरे जंगल है या नहीं ये तो अब कोर्ट ही तय करेगा. लेकिन आरे कॉलोनी के पेड़ काटे जाने के विरोध में जिस तरह से आम से लेकर बेहद खास लोगों ने अपनी राय रखी, प्रदर्शन किए और कैंपेन चलाए गए वो उम्मीद तो जगाते ही हैं.

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