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Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Podcast Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019राहत इंदौरी: जिनकी शायरी ‘धर्मनिरपेक्ष भारत’ के लिए विरसा है 

राहत इंदौरी: जिनकी शायरी ‘धर्मनिरपेक्ष भारत’ के लिए विरसा है 

11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
Updated:
राहत इंदौरी के आशार हमें भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की याद दिलाते हैं.
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राहत इंदौरी के आशार हमें भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की याद दिलाते हैं.
फोटो: क्विंट हिंदी/श्रुति माथुर 

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ये एक ऐसा गजल है जो तमाम प्रदर्शनों, अवसरों पर शासन-प्रशासन के खिलाफ अपने 'हक-हकूक की आवाज' बनकर गूंजा. अब ऐसी नई पंक्तियां दोबारा सुनने को नहीं मिलेंगी. 11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.

आज उर्दूनामा के इस खास एपिसोड में याद करेंगे राहत इंदौरी को जिनके शेर सालों से गूंजते रहे हैं और आगे भी गूंजते रहेंगे.

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Published: 16 Aug 2020,06:35 PM IST

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