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Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Podcast Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019हिंदी दिवस:दुर्भाग्य आज हिंदी और उर्दू को धर्म से जोड़ दिया गया है

हिंदी दिवस:दुर्भाग्य आज हिंदी और उर्दू को धर्म से जोड़ दिया गया है

भाषाएं कब से ‘रिलिजियस मार्कर्स’ में तब्दील हो गईं ? समझिए हिंदी के जाने माने लेखक, प्रोफेसर अब्दुल बिस्मिल्लाह से.

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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आखिर भाषाएं कब से ‘रिलिजियस मार्कर्स’ में तब्दील हो गईं ?
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आखिर भाषाएं कब से ‘रिलिजियस मार्कर्स’ में तब्दील हो गईं ?
फोटो: क्विंट हिंदी /अरूप मिश्रा

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होस्ट, राइटर और साउंड डिजाइनर: फबेहा सय्यद

गेस्ट: प्रोफेसर अब्दुल बिस्मिल्लाह, लेखक, नॉवेलिस्ट

एडिटर: संतोष कुमार

म्यूजिक: बिग बैंग फज

हिंदी उर्दू की सदियों पुरानी बहस में एक एहम सवाल ये है कि भाषा को धर्म के दायरे में लाना जरूरी है क्या? अगर कोई किसी भाषा को बोलना सीखना चाहता है, तो क्या ये जरूरी है कि उसे किसी खास धर्म का होना होगा?

हिंदी, उत्तरी भारत में कई अलग डाइलेक्ट्स में बोली जाने जाने वाली भाषा है. क्योंकि हर भाषा की तरह हिंदी का भी एक इतिहास है तो आज हिंदी दिवस पर एक एहम सवाल का जवाब समझेंगे - आखिर भाषा को धर्म के चश्मे से क्यों देखते हैं? और ऐसा देखने पर हमें किसने मजबूर किया?

आज 'पॉलिटिक्स ऑफ लैंग्वेज एंड आइडेंटिटी' की इस मास्टरक्लास में हिंदी-उर्दू के जन्म को भारत के इतिहास के हवाले से समझेंगे हिंदी के जाने माने लेखक, नॉवेलिस्ट, प्रोफेसर अब्दुल बिस्मिल्लाह जिन्होंने कई साल जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पढ़ाया है.

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