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कश्मीर के लिए 5 अगस्त के मायने, 1 साल में कहां तक पहुंचा ‘विकास’?

पालिसी, कानूनी और मानवाधिकार विशेषज्ञों से सुनिए कश्मीर में किस तरह कॉमर्स, चाइल्ड राइट्स और मीडिया प्रभावित हुए.

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
Published:
विशेषज्ञों से सुनिए  कश्मीर  में किस तरह कॉमर्स, चाइल्ड राइट्स और मीडिया प्रभावित हुए.
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विशेषज्ञों से सुनिए कश्मीर में किस तरह कॉमर्स, चाइल्ड राइट्स और मीडिया प्रभावित हुए.
फोटो: क्विंट हिंदी/श्रुति माथुर 

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5 अगस्त जहां पूरे देश के लोगों के लिए अब एक त्योहार की तरह होगा, वहीं इस दिन को कश्मीर के लोग किसी दूसरी वजह से भी याद रखेंगे. पिछले साल 2019 में 5 अगस्त को ही जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया गया था. जिसके बाद पूरे कश्मीर में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया. हर सड़क, हर चौराहे पर कर्फ्यू लगा दिया गया, तमाम बड़े से लेकर छोटे नेताओं को हिरासत में ले लिया गया. आर्टिकल 370 को हटाना बीजेपी सरकार के एजेंडे में था, उनका कहना था कि ये कश्मीर के विकास में एक रोड़ा है. लेकिन अब एक साल बाद अगर नजर डालें तो क्या वाकई में कश्मीर का विकास हो रहा है? आर्टिकल 370 हटाते हुए जो दावे किए गए थे वो कहां तक पूरे हुए?

दावों को छोड़कर अगर पिछले एक साल में कश्मीरियों की जिंदगी देखें तो वो काफी मुश्किल भरी रही है. हमारे एक पिछले पॉडकास्ट में आपने खुद कश्मीरियों से सुना कि पिछले एक साल में उनकी जिंदगी पर क्या असर पड़ा. लेकिन इस एपिसोड में हम पॉलिसी, कानूनी और मानवाधिकार विशेषज्ञों से बात करेंगे कि क्या कश्मीर को लेकर सरकार के कदम उचित थे और घाटी में किस तरह से कॉमर्स, चाइल्ड राइट्स और मीडिया प्रभावित हुए.

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