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होस्ट, राइटर, और साउंड डिजाइनर: फबेहा सय्यद
एडिटर: शैली वालिया
म्यूजिक: बिग बैंग फज
काम है मेरा तग़य्युर, नाम है मेरा शबाब
मेरा नारा: इंक़लाब-ओ-इंक़लाब-ओ-इंक़लाब
तग़य्युर का मतलब बदलाव होता है. इस शेर को, या यूं कहें कि इस नारे को किसी न किसी विरोध प्रदर्शन में आप ने सुना ही होगा. उर्दुनामा के इस खास पॉडकास्ट में आपको इस नारे को लिखने वाले शायर, जोश मलीहाबादी से मिलवाते हैं.
जोश की पैदाइश 5 दिसम्बर 1898 में लखनऊ के पास, मलिहाबाद में एक जमींदार परिवार में हुई थी. क्यूंकि बाप दादा सभी शायर और लेखक गुज़रे तो अपने खानदान में शायरों की इस रिवायत के बारे में जोश ने एक बार कहा था:
शाइरी क्यूं न रास आए मुझे
ये मिरा फ़न्न-ए-ख़ानदानी है
जोश, जो 'शायर-ए-इंक़लाब' से भी जाने जाते हैं, उन की जिंदगी में खौफ की कोई जगह नहीं थी. इसीलिए जो कहते थे, साफ कहते थे. चाहे इससे उन्हें जाती तौर से नुक्सान ही क्यों न उठाना पढ़ जाए. आज पॉडकास्ट में जानिए जोश को और क़रीब से, उनकी बेबाक शायरी के ज़रिये.
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Published: 21 Feb 2021,09:44 PM IST